UP में चुनाव से पहले BSP का बड़ा दांव: 18 मंडलों में मायावती कराएंगी ब्राह्मण सम्मेलन, अयोध्या से होगा आगाज; बोलीं- ब्राह्मण अब BJP को कभी वोट नहीं देंगे, BSP ही उनके अधिकारों को सुरक्षित रखेगी
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लखनऊ12 मिनट पहले
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मायावती ने 2007 के चुनाव में 403 में से 206 सीटें जीती थीं। पार्टी को 30 फीसदी वोट मिले थे।
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने बड़ा दांव खेला है। एक बार फिर से बसपा सुप्रीमो मायावती ने दलित-ब्राह्मण कार्ड चल दिया है। मायावती ने रविवार को इसका ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि 23 जुलाई से प्रदेश के 18 मंडलों में BSP की तरफ से ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। इसका आगाज अयोध्या से होगा। BSP के महासचिव सतीश चंद्र मिश्र को इसकी जिम्मेदारी दी गई है।
अब BJP को वोट नहीं देंगे
मायावती ने कहा, प्रदेश के ब्राह्मण अगले विधानसभा चुनाव में BJP को बिल्कुल वोट नहीं करेंगे। ब्राह्मण समाज और उनके अधिकार BSP के शासनकाल में ही सुरक्षित हैं। इसके लिए सतीश चंद्र मिश्र की अगुवाई में 23 जुलाई से एक बड़ा अभियान लॉन्च किया जा रहा है। अलग-अलग जिलों में ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे।
जिलों तक ब्राह्मणों को जोड़ने का आवाहन
बसपा के ब्राह्मण सम्मेलन की शुरुआत अयोध्या से 23 जुलाई को होगा। बसपा के ब्राह्मण चेहरा सतीश चन्द्र मिश्रा को लेकर ब्राह्मणों को एकत्र करने कोशिश की हैं। मंडलों के अलावा प्रदेश के सभी जिलों में भी ब्राह्मण सम्मेलन होगा। अयोध्या में ब्राह्मण सम्मेलन के लिए स्थान अभी तय नहीं हैं। अयोध्या में आयोजन की जिम्मेदारी बसपा नेता करुणाकर पांडे को दी गई है।
2007 में कामयाब हुआ था यह फॉर्मूला
बसपा का ब्राह्मण सम्मेलन 2007 के चुनावी अभियान के तर्ज पर होगा। शुक्रवार को लखनऊ में पूरे प्रदेश से 200 से ज्यादा ब्राह्मण नेता और कार्यकर्ता बसपा दफ्तर पहुंचे थे, जहां आगे की रणनीति पर चर्चा हुई थी। दलित-ब्राह्मण-ओबीसी के फॉर्मूले के साथ मायावती 2022 चुनाव में उतरेंगी। मायावती ने 2007 में यूपी के चुनाव में 403 में से 206 सीटें जीतकर और 30 फीसदी वोट के साथ सत्ता हासिल करके देश की सियासत में खलबली मचा दी थी। बसपा 2007 का प्रदर्शन कोई आकस्मिक नहीं था बल्कि उसके पीछे मायावती की सोची समझी रणनीति थी। प्रत्याशियों की घोषणा चुनाव से लगभग एक साल पहले ही कर दी गई थी। इसके अलावा ओबीसी, दलितों, ब्राह्मणों और मुसलमानों के साथ एक तालमेल बनाया था। बसपा इसी फॉर्मूले को फिर से जमीन पर उतारने की कवायद में है।
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