UP में उन्नाव के पहले दहेज मुक्त गांव से रिपोर्ट: 400 आबादी वाले सेवाखेड़ा गांव में हर घर के बाहर लिखा ‘दहेज मुक्त आवास’, अब यहां शादी के लिए कोई नहीं लेता कर्ज

UP में उन्नाव के पहले दहेज मुक्त गांव से रिपोर्ट: 400 आबादी वाले सेवाखेड़ा गांव में हर घर के बाहर लिखा ‘दहेज मुक्त आवास’, अब यहां शादी के लिए कोई नहीं लेता कर्ज

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उन्नाव2 घंटे पहले

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UP में उन्नाव के पहले दहेज मुक्त गांव से रिपोर्ट: 400 आबादी वाले सेवाखेड़ा गांव में हर घर के बाहर लिखा ‘दहेज मुक्त आवास’, अब यहां शादी के लिए कोई नहीं लेता कर्ज

उत्तर प्रदेया के उन्नाव जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी दूर बिछिया ब्लॉक में पड़ने वाला गांव सेवाखेड़ा जिले का पहला दहेज मुक्त गांव बन गया है। उसे यह तमगा लगभग साल भर की मशक्कत के बाद मिला है। अब जैसे ही गांव में घुसेंगे सामने ही आपको दहेज मुक्त गांव का बोर्ड लगा मिलेगा।

जागरूकता का आलम यह है कि अब यहां के लड़के और लड़कियों ने भी ठान लिया है कि न दहेज देंगे और न ही दहेज लेंगे। गांव वालों के मुताबिक, मिशन शक्ति अभियान के तहत गांव दहेज मुक्त हो पाया है। अब गांव वाले ही अगल बगल के गांव वालों को भी जागरूक कर रहे हैं।

हर घर के बाहर लगा है दहेज मुक्त आवास का बोर्ड
सेवाखेड़ा गांव की आबादी लगभग 400 के आसपास है। ज्यादातर परिवार कृषि या मजदूरी से जुड़े हुए हैं। कई परिवारों के सदस्य गुजरात कमाने गए हुए हैं। गांव में जगह-जगह दहेज को लेकर अलग अलग स्लोगन लिखे गए हैं। यही नहीं हर घर के आगे नेम प्लेट की जगह दहेज मुक्त आवास का बोर्ड लगा हुआ है। गांव के ही हरि प्रसाद पाल का कहना है कि इसका मकसद यही है कि हम कहीं से भी भटकने न पाएं।

सेवाखेड़ा गांव में हर घर के आगे नेम प्लेट की जगह दहेज मुक्त आवास का बोर्ड लगा हुआ है।

सेवाखेड़ा गांव में हर घर के आगे नेम प्लेट की जगह दहेज मुक्त आवास का बोर्ड लगा हुआ है।

अब शादी के लिए यहां कर्ज नहीं लिया जाता है
गांव में होने वाली शादियों में आज भी लड़की का पिता बेटी की शादी के बाद कर्ज में डूब जाता है लेकिन सेवाखेड़ा गांव में ऐसा नहीं होता है। यहां अब जिससे जितना बन पाता है उतना ही शादी में खर्च करता है। सबसे अच्छी बात यह है कि अब कोई भी ऐसे परिवार में शादी नहीं करता है। जिसे दहेज की जरूरत होती है। ऐसे लोगों को गांव में भी नहीं घुसने दिया जाता है। वहीं साल भर पहले 80 परिवारों वाले गांव में 78 परिवार शादी के दौरान लिए गए कर्ज में डूबे थे। 2 परिवारों में सरकारी नौकरी वाले हैं तो उन्हें बहुत फर्क नहीं पड़ा। हालांकि, अब सभी परिवार लगभग कर्ज मुक्त हो चुके हैं।

शिवरानी ने अपनी दो बेटियों की शादी बिना दहेज की है।

शिवरानी ने अपनी दो बेटियों की शादी बिना दहेज की है।

वर पक्ष ने दहेज मांगा तो शादी से कर दिया इंकार
गांव में ही लगभग 22 वर्षीय मंजू भी रहती है। मंजू बताती हैं कि लगभग 2 महीने पहले मेरी शादी तय हुई थी। हमें पसंद भी कर लिया गया था। मेरे घर वाले भी राजी थे। जब लड़के वाले अंतिम बात करने घर आए तो लड़के ने कहा हमें कुछ भी नहीं चाहिए। हम लोग बहुत खुश हुए। इसके बाद लड़के ने कहा बस हमें अपाचे बाइक दिलवा दीजिएगा। उसकी इस बात पर मुझे बहुत गुस्सा आया। मैंने लोकलाज छोड़कर लड़के को फटकारा कि हमारे पास जो है उसमे शादी करने को राजी हो तो ठीक नहीं तो मैं शादी नहीं करूंगी। इसके बाद बात बढ़ गई और लड़के वाले चले गए लेकिन मैं खुश हूं। वहीं गांव के युवा भरत और संदीप कहते हैं कि हम लड़कों ने भी बिना दहेज शादी करने की ठानी है। हम किसी से कोई भी दहेज नहीं लेंगे।

शिवरानी की एक बेटी की शादी की तस्वीर।

शिवरानी की एक बेटी की शादी की तस्वीर।

हाल ही में हुई है दो बेटियों की बिना दहेज शादी
घर के बाहर बैठी शिवरानी कहती हैं कि ऐसा नहीं है कि सभी दहेज लोभी हैं। कुछ लोग अच्छे भी हैं। अभी हाल ही में मैंने अपनी दो बेटियों की शादी बिना दहेज की है। गांव में शिवरानी अकेली नहीं है बल्कि हरि प्रसाद पाल ने भी दूसरे गांव में अपनी बेटे की शादी तय की है। उन्होंने भी बिना दहेज अपने बेटे की शादी करने का फैसला किया है। बहरहाल, इस गांव के लोगों को उम्मीद है कि अब उन्हें बेटियों की शादी की चिंता करने के बजाय उनकी पढ़ाई लिखाई करने पर ध्यान लगाने में आसानी होगी।

गांव में घुसते ही आपको दहेज मुक्त गांव का बोर्ड लगा मिलेगा।

गांव में घुसते ही आपको दहेज मुक्त गांव का बोर्ड लगा मिलेगा।

इस व्यक्ति के प्रयास से दहेज मुक्त हुआ गांव
ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में इस गांव में तैनात ग्राम विकास अधिकारी पुत्तन लाल पाल ने लोगों को जागरूक करने का काम किया है। पुत्तन लाल पाल एक सामाजिक संस्था भी चलाते हैं। जिसका नाम नवयुग जन चेतना समिति है। इसी सामाजिक संस्था ने इस गांव के सभी लोगों को दहेज कुप्रथा के खिलाफ जागरूक किया और यह भी समझाया कि दहेज एक सामाजिक बुराई है। जिसे रोकना जरूरी है। संस्था की सालों की मेहनत का परिणाम सामने है। इस गांव के लोग दहेज के खिलाफ होकर अपने गांव को दहेज मुक्त गांव बना चुके हैं।

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