The discovery of the Omicron variant in southern Africa Raquel Viana | मेरा दिल बैठा जा रहा था, वायरस के म्यूटेट होने की रफ्तार ने मुझे हैरान कर दिया : ओमिक्रॉन का पता लगाने वाली वैज्ञानिक – Bhaskar Hindi
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डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। डेल्टा वेरिएंट के बाद कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन अब कई देशों में फैल चुका है, जिसका पता सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका की सबसे बड़ी प्राइवेट टेस्टिंग लैब लैंसेट लैबोरेटरी की वैज्ञानिक राक्वेल वियाना ने लगाया था। उन्होंने जब वायरस के इसने वेरिएंट की खोज की तो, वो डर गई और हैरान हो गई। क्योंकि, इस नए वेरिएंट के म्यूटेशंस को देखकर उन्हें लगा कि, उनसे जांच के दौरान कोई गलती हो गई है।
वैज्ञानिक राक्वेल वियाना ने अपने अनुभव को लेकर समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत की है। उन्होंने इंटरव्यू के दौरान बताया कि, जब पहली बार 19 नवंबर को मैं कोरोना के 8 नमूनों की जीनोम सिक्वेंसिंग कर रही थीं, उस वक्त वायरस काफी तेजी से म्यूटेंट हो रहे थे, जिसे देखकर मैं दंग रह गई। मुझे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था। ऐसा लगा कि मैंने प्रोसेस में कोई गलती कर दी है। क्योंकि, मुझे महसूस हो चुका था कि, जिस चीज की खोज मैंने की है अगर वो सही निकला तो, इसका बहुत बड़ा असर होने वाला है।
NICD में लगाया फोन
राक्वेल वियाना ने इस नए वेरिएंट की म्यूटेंट रफ्तार देखने के तुरंत बाद जोहान्सबर्ग के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्यूनिकेबल डिजीजेज (NICD) में अपने एक दोस्त और जीन सीक्वेंसर डेनियल अमोआको को फोन लगाया। वियाना के अनुसार, उन्हें फोन लगाने के बाद भी ये समझ नहीं आ रहा था कि, वो अपने दोस्त को क्या बताए। लेकिन, उन्होंने कहा, “मैंने अमोआको से बोला कि, मुझे लग रहा है कि यह नया वेरिएंट है।”
अमोआको ने क्या किया
अमोआको और NICD ने तुरंत वियाना से वो 8 सैंपल मंगवाएं और उनका परीक्षण करने में 20-21 नवंबर का सप्ताहांत बिताया। अध्ययन के बाद पता लगा कि, सभी सैंपल में म्यूटेशंस एक तरह के थे। इसके बावजूद अमोआको और उनके साथ काम करने वाले सहकर्मियों को लगा कि, उनसे भी कोई गलती हो रही है। लेकिन, फिर उन्होंने देखा कि, पिछले 1 हफ्तों से संक्रमण की दर में बढ़ोत्तरी हुई है और ये नए म्यूटेंट की तरफ इशारा करती है। अमोआको के अनुसार, 23 नवंबर तक, जोहान्सबर्ग और प्रिटोरिया के आसपास से 32 अन्य नमूनों की जांच फिर की गई और ये बात साफ हुई कि, ये बेहद खतरनाक है। 24 नवंबर को इस नए वेरिएंट के बारे में एनआईसीडी अधिकारियों और विभाग ने डब्ल्यूएचओ को जानकारी दी।
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