Taliban engaged in getting humanitarian support from regional powers | क्षेत्रीय शक्तियों से मानवीय समर्थन पाने में जुटा तालिबान – Bhaskar Hindi
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डिजिटल डेस्क,इस्लामाबाद। अफगानिस्तान में तालिबान के नए शासकों के साथ कम से कम 10 क्षेत्रीय शक्तियां शामिल हो गई हैं, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र से देश को संभावित आर्थिक पतन और मानवीय तबाही से बचाने में मदद करने के लिए कहा है।
मॉस्को में क्षेत्रीय स्तर की बैठक में रूस, चीन, पाकिस्तान, भारत, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान में तालिबान प्रतिनिधिमंडल का पक्ष लिया गया और संयुक्त राष्ट्र से अफगानिस्तान की जल्द से जल्द मदद के लिए संयुक्त राष्ट्र दाता सम्मेलन बुलाने का आह्वान किया, ताकि कई प्रकार के संकट से घिरे अफगानिस्तान का पुनर्निर्माण किया जा सके।
मास्को सम्मेलन के एक संयुक्त बयान में कहा गया है, यह इस समझ के साथ होना चाहिए कि मुख्य बोझ उन बलों को उठाना चाहिए, जिनकी सैन्य टुकड़ी पिछले 20 वर्षों के दौरान अफगानिस्तान में मौजूद रही है।
संयुक्त राज्य अमेरिका के खिलाफ भी चिंता और आलोचना की आवाज उठाई गई, जिसने तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए वार्ता में शामिल नहीं होने का विकल्प चुना। 11 सितंबर, 2001 के बाद अफगानिस्तान पर आक्रमण करने के लिए अमेरिका की आलोचना की गई, जिसने 20 वर्षों के बाद, एक अराजक वापसी का विकल्प चुना, जिसने तालिबान के लिए देश पर नियंत्रण स्थापित करना काफी आसान बना दिया।
इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि अफगानिस्तान के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहायता समय की आवश्यकता है, क्योंकि देश में किसी भी अस्थिरता का क्षेत्रीय देशों पर प्रभाव पड़ेगा और इससे क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा हो सकता है।
अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा अपने साथ 90 के दशक के डर और यादें लेकर आया है, जब सार्वजनिक पत्थरबाजी, कट्टरपंथियों की स्थापना और महिलाओं को हाशिए पर रखने जैसी प्रथाएं सामान्य थीं।
हालांकि, तालिबान ने नए सरकारी ढांचे के तहत महिलाओं के अधिकारों की गारंटी देने का आश्वासन दिया है।
तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने कहा, अफगानिस्तान कभी भी अपनी धरती को किसी दूसरे देश की सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए आधार के रूप में इस्तेमाल नहीं होने देगा।
तालिबान की कार्यवाहक सरकार में उप प्रधान मंत्री अब्दुल सलाम हनफी ने कहा, अफगानिस्तान को अलग-थलग करना किसी के हित में नहीं है। बैठक पूरे क्षेत्र की स्थिरता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
रूस सहित क्षेत्रीय शक्तियों ने यह सुनिश्चित किया है कि तालिबान एक नई वास्तविकता है और उन्होंने सभी जातीय समूहों और राजनीतिक हस्तियों के प्रतिनिधित्व के साथ एक समावेशी सरकार के गठन की दिशा में काम करने का आह्वान किया।
इस दौरान क्षेत्रीय शक्तियों ने अफगानिस्तान के लिए तत्काल सहायता की आवश्यकता को पहचाना, मगर साथ ही उन्होंने तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता देने से इनकार कर दिया है।
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा, क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति का कार्यालय) ने अफगानिस्तान में स्थिति को स्थिर करने और इस दिशा में कोशिश करने के लिए तालिबान के प्रयासों को मान्यता दी है। एक नया प्रशासन अब सत्ता में है। हम सैन्य और राजनीतिक स्थिति को स्थिर करने और राज्य तंत्र के काम को स्थापित करने के उनके प्रयासों पर ध्यान दे रहे हैं।
मास्को सम्मेलन का बहुत महत्व है, क्योंकि यह तालिबान के अधिग्रहण के बाद से सबसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय बैठक है।
हालांकि, तालिबान को पहले सत्ता संभालने के दौरान किए गए वादों को पूरा करने को लेकर एक स्पष्ट निर्देश दिया गया है, जिसमें महिलाओं के अधिकार और एक जातीय समावेशी सरकार शामिल है।
(आईएएनएस)
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