PGI निदेशक पद की दौड़ में 5 डॉक्टर: विज्ञापन ही 6 महीने लेट इसलिए 2022 में मिल पाएगा नया डायरेक्टर, मौजूदा डायरेक्टर प्रो. जगतराम की रिटायरमेंट 31 अक्टूबर को
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चंडीगढ़4 घंटे पहले
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पीजीआई चंडीगढ़ में 31 अक्टूबर तक नए डायरेक्टर की तैनाती पर संशय बरकरार है। इसकी सबसे बड़ी वजह है – नया डायरेक्टर तैनात करने की प्रक्रिया ही छह महीने लेट शुरू होना। नियमानुसार नए डायरेक्टर की तैनाती प्रक्रिया के तहत जो विज्ञापन सितंबर 2021 में जारी किया गया, वह अप्रैल-2021 में ही जारी हो जाना चाहिए था। विज्ञापन जारी करने में हुई देरी के चलते ही नए डायरेक्टर की तैनाती 31 अक्टूबर तक होने पर संशय है।
पीजीआई के मौजूदा डायरेक्टर प्रो. जगतराम 31 अक्टूबर 2021 को रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में पीजीआई में चर्चाओं का दौर तेज है। सूत्रों का कहना है कि यह लगभग तय है कि नए डायरेक्टर की तैनाती अब 2022 में ही होगी। उससे पहले प्रो. जगतराम को या तो सेवा विस्तार दिया जाएगा या फिर वरिष्ठ प्रभारी के तौर पर जिम्मेदारी।
पीजीआई निदेशक जगत राम। फाइल फोटो।
पीजीआई प्रशासन ने सितंबर में नए डायरेक्टर के लिए जो विज्ञापन जारी किया, उसके अनुसार योग्य उम्मीदवार 15 अक्टूबर तक आवेदन कर सकते हैं। पीजीआई के नए डायरेक्टर के लिए जिन 5 डॉक्टरों को प्रबल दावेदार माना जा रहा है उनमें पीजीआई के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट के HOD प्रोफेसर सुरजीत सिंह, कार्डियोलॉजी विभाग के हेड प्रोफेसर यशपॉल शर्मा, डर्मेटोलॉजी विभाग के हेड एंड प्रोफेसर संजीव हांडा, टेलीमेडिसिन विभाग की प्रोफेसर मीनू सिंह और एनिस्थिसिया एंड इंटेंसिव केयर विभाग के हेड एंड प्रोफेसर जीडी पुरी शामिल हैं।
पद्मश्री से सम्मानित किए जा चुके प्रो. जगतराम
पीजीआई के मौजूदा डायरेक्टर प्रो. जगतराम को पद्मश्री सम्मान मिल चुका है। भारत सरकार ने उन्हें 2019 में यह सम्मान दिया।हाल में उन्हें ऑल इंडिया कॉलेजियम ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी (एफएआइसीओ) पुरस्कार के फैलोशिप से सम्मानित किया गया। वर्ष 1985 में पीजीआई में जॉइनिंग करने वाले पद्मश्री प्रो. जगतराम 2017 में डायरेक्टर बने। वह अक्टूबर 2018 से एमसीआई के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के मेंबर हैं और उन्हें 2019 में विशिष्ट पद्मश्री पुरस्कार भी मिल चुका है।
प्रो. जगतराम ने 1978 में शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) से एमबीबीएस की डिग्री ली और जून 1982 में पीजीआई चंडीगढ़ से नेत्र विज्ञान में एमएस किया। बाद में उन्हें स्टॉर्म आई इंस्टीट्यूट USA में उन्नत फेकमूल्सीफिकेशन के क्षेत्र में डब्ल्यूएचओ फैलोशिप से सम्मानित किया गया। 1998 में बाल चिकित्सा मोतियाबिद सर्जरी में एक और फैलोशिप से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने उन्हें 2003 से 2005 तक सलाहकार नेत्र रोग विशेषज्ञ के रूप में प्रतिनियुक्त किया।
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