OBC आरक्षण पर महाराष्ट्र सरकार को SC से झटका: बिना आरक्षण के नगर पंचायत चुनाव करवाने का निर्देश, पहले से आरक्षित सीटें भी होंगी सामान्य

OBC आरक्षण पर महाराष्ट्र सरकार को SC से झटका: बिना आरक्षण के नगर पंचायत चुनाव करवाने का निर्देश, पहले से आरक्षित सीटें भी होंगी सामान्य

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मुंबई6 घंटे पहले

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OBC आरक्षण पर महाराष्ट्र सरकार को SC से झटका: बिना आरक्षण के नगर पंचायत चुनाव करवाने का निर्देश, पहले से आरक्षित सीटें भी होंगी सामान्य

3 सितंबर 2021 को महाराष्ट्र के नगर पंचायत चुनावों में अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण देने के अध्यादेश के मसौदे में बदलाव के प्रस्ताव को राज्य कैबिनेट ने मंजूर कर लिया था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थी।

महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार को बड़ा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को स्थानीय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को आरक्षण देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने चुनाव आयोग से यह भी कहा है कि पहले से आरक्षित की जा चुकी सीटों को सामान्य सीटों में तब्दील किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला उन याचिकाओं पर सुनवाई में दिया है, जिनमें राज्य कैबिनेट की तरफ से 3 सितंबर 2021 को मंजूर किए गए प्रस्ताव को चुनौती दी गई थी। इस प्रस्ताव में राज्य कैबिनेट ने महाराष्ट्र के नगर पंचायत चुनावों में अन्य पिछड़े वर्ग (OBC) को आरक्षण देने के अध्यादेश के मसौदे में बदलाव को मंजूरी दी थी।

पिछले सप्ताह इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ए.एम. खानविलकर और जस्टिस सी.टी. रविकुमार की पीठ ने अगले आदेश तक निकाय चुनावों में 27% OBC आरक्षण पर रोक लगा दी थी। इसके बाद राज्य सरकार ने हस्तक्षेप याचिका दायर कर 21 दिसंबर को होने वाले नगर पंचायत चुनाव को रद्द करने या तीन महीने तक टालने की मांग की थी, जिसे अदालत ने आज खारिज करते हुए अपना फैसला सुनाया है। इसका मतलब यह हुआ कि महाराष्ट्र में 21 दिसंबर को होने वाले नगर पंचायत चुनाव अदालत के नए आदेश के मुताबिक कराए जाएंगे।

एक दिन में घोषित करना होगा परिणाम
अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि चुनावों का परिणाम एक ही दिन में घोषित करना होगा। इस मामले की अगली सुनवाई अब 17 जनवरी को होगी। बता दें कि 21 दिसंबर को राज्य की 105 नगर पंचायतों और 2 जिला परिषद के लिए चुनाव होने हैं। इन सीटों पर अब बिना OBC आरक्षण के चुनाव होगा।

मार्च में कुछ स्थानीय निकाय में अदालत ने लगाई थी रोक
सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मार्च में राज्य के कुछ स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण को इस आधार पर रोक दिया था कि आरक्षण प्रतिशत को उचित ठहराए जाने के लिए ठोस आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि कुल आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। अब तक ओबीसी को नगर निकायों और जिला परिषदों के निर्वाचन में 27 फीसदी आरक्षण मिलता रहा है।

आंध्र प्रदेश और तेलांगना की तर्ज पर सरकार ने दी थी मंजूरी
इसके बावजूद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की तर्ज पर अध्यादेश के जरिये ओबीसी आरक्षण लागू करने का निर्णय लिया था। हालांकि राज्य के विधि व न्याय विभाग ने अध्यादेश के जरिये ओबीसी का निर्वाचन कोटा तय करने के निर्णय को कानूनी तौर पर गैरमुनासिब बताया था और राज्य सरकार को मामले के विचाराधीन होने के कारण पहले सुप्रीम कोर्ट से इजाजत लेने की सलाह दी थी।

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