Mi-17 की ताकत: कारगिल युद्ध के दौरान रॉकेट लॉन्चर लगाकर Mi-17 को बनाया गया था लड़ाकू, पाकिस्तानी फौज के छक्के छुड़ा दिए थे

Mi-17 की ताकत: कारगिल युद्ध के दौरान रॉकेट लॉन्चर लगाकर Mi-17 को बनाया गया था लड़ाकू, पाकिस्तानी फौज के छक्के छुड़ा दिए थे

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नई दिल्ली12 मिनट पहलेलेखक: इंद्रभूषण मिश्र

तमिलनाडु में कुन्नूर के जंगलों में बुधवार को सेना का MI-17 हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया। इसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका समेत सेना के 14 अफसर सवार थे। अब तक 11 शव बरामद किए गए हैं, जो बुरी तरह जल चुके हैं। यह वही MI-17 हेलिकॉप्टर है जिसने कारगिल की जंग में पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छुड़ाए थे।

दरअसल कारगिल के दौरान ऑपरेशन विजय मई 1999 में शुरू किया गया। इसके शुरुआती दो बड़े उद्देश्यों में टाइगर हिल्स और तोलोलिंग की चोटियों पर कब्जा करना शामिल था। इन दोनों इलाकों में पाकिस्तानी सैनिक सबसे ज्यादा तैनात थी और यह दोनों ही इलाके श्रीनगर हाईवे के सबसे करीब थे। पाकिस्तानी सेना का कारगिल की चोटियों पर कब्जा करने का मकसद था- श्रीनगर हाईवे और सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा करना।

23 मई को 18 ग्रेनेडियर्स और 1 नागा रेजिमेंट ने तोलोलिंग रेंज की ओर बढ़ना शुरू किया, लेकिन दुश्मन ऊंचाई पर था। इस वजह से उसने भारतीय सैनिकों पर खतरनाक और सटीक फायरिंग शुरू कर दी। थल सेना का आगे बढ़ना रुक गया। ऐसे हालात में 24 मई 1999 को वायुसेना से मदद मांगी गई। तब वायुसेना ने ऑपरेशन सफेद सागर शुरू किया। उस वक्त वायुसेना के पास MI 35 हैवी ड्यूटी गनशिप ही उपलब्ध थी। यानी, तब भारत के पास यह अकेला हेलिकॉप्टर था जो दुश्मन पर हमला कर सकता था। दूसरी तरफ यह हेलिकॉप्टर केवल 10 हजार फीट की ऊंचाई तक ही उड़ सकता था, जबकि तोलोलिंग पर मौजूद दुश्मन 15 हजार फीट की ऊंचाई पर था।

ऐसे में वायुसेना ने फैसला किया कि वो अपने MI17 ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर को ही हमलावर हेलिकॉप्टर में बदल देगी। यानी, उसे गनशिप हेलिकॉप्टर में तब्दील करने का फैसला किया गया। इसके बाद इसमें 557 mm के रॉकेट वाले दो लॉन्चर लगाए गए। श्रीनगर एयरबेस पर दो यूनिट्स से हेलिकॉप्टर लेकर उनमें रॉकेट दागने वाले पॉड यानी लॉन्चर लगाए गए।

उधर, पाकिस्तानी सैनिकों के पास विमानों को मार गिराने वाली ऐसी मिसाइल थीं जिन्हें कंधे पर रखकर दागा जा सकता था। इनमें अमेरिकी स्ट्रिंगर मिसाइलें भी थीं। 26 मई की सुबह पाकिस्तानी सेना के ठिकानों पर पहले वायुसेना के विमानों ने बम बरसाए। इसके बाद आए Mi 17 हेलिकॉप्टर। तीन दिनों तक Mi 17 के रॉकेटों से हमला किया गया। 27 मई की सुबह चार Mi 17 ने हमला शुरू किया गया। इसी दिन इनमें से एक हेलिकॉप्टर पाकिस्तानी सेना की मिसाइल का शिकार बन गया। बावजूद इसके बाकी तीन हेलिकॉप्टर अपने मिशन में लगे रहे। इस तरह तोलोलिंग में पाकिस्तानी सेना के ठिकानों को तबाह कर दिया गया।

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