ISIS से जुड़े दो आतंकियों को मिली सजा: NIA स्पेशल कोर्ट ने 8 साल की कैद की सजा सुनाई, मुंबई से लड़कों को ले जाकर IS का आतंकी बनाने का था आरोप
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मुंबई4 घंटे पहले
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एनआईए ने जांच पूरी करने के बाद जुलाई 2016 में चार्जशीट दाखिल की थी।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को ISIS में शामिल होने के लिए मुंबई से गए मोहसिन सैय्यद और रिजवान अहमद को 8 साल की सजा सुनाई है। इन्हें अदालत ने गुरुवार को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 20 के तहत दोषी ठहराया था। दोनों पर 10-10 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है। इसे अदा नहीं करने की सूरत में सजा 3-3 महीने बढ़ा दी जाएगी।
इन दोनों लोगों ने अपने आवेदन में 2015 में आतंकी संगठन आईएस में शामिल होने का अपराध स्वीकार किया था। एनआईए के विशेष न्यायाधीश ए टी वानखेड़े ने कहा कि दोनों आरोपियों मोहसिन सैय्यद(32 साल) और रिजवान अहमद(25 साल) ने पिछले महीने मामले में अपना दोष स्वीकार करने के लिए विशेष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। अदालत ने बुधवार यानि 5 जनवरी को दोनों आरोपियों को आरोपों और दोषी साबित होने पर दी जाने वाली सजा के बारे में जानकारी दी थी।
गुनाह कबूल करने की वजह से नहीं हुई उम्रकैद
यूएपीए और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत दोनों को कम से कम तीन साल की सजा और अधिकतम उम्र कैद की सजा हो सकती थी। लेकिन दोनों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था, इसलिए अदालत ने दोनों को 8 साल की सजा सुनाई है। आरोपियों ने अदालत को बताया कि उन्हें पहले से इस सजा के बारे में जानकारी थी, इसके बावजूद दोनों ने अपनी इच्छा से अपना अपराध स्वीकार करने की मांग की थी।
मुंबई से लड़कों को ले जा आतंकी बनाने का था आरोप
अभियोजन पक्ष के अनुसार मुंबई के उपनगरीय मालवाणी में रहने वाले चार लोगों ने साल 2015 में ISIS में शामिल होने के लिए अपना घर छोड़ा था। NIA ने दावा किया कि सैय्यद और अहमद ने मालवाणी के आर्थिक रूप से कमजोर मुस्लिम पुरुषों को उकसाया, धमकाया और प्रभावित किया। इसके साथ ही मुस्लिम लड़कों को आतंकी संगठन में शामिल होने और फिदायीन बनने के लिए भी मजबूर किया।
2016 में NIA ने दायर की थी चार्जशीट
इनके देश छोड़ने के बाद मुंबई के कालाचौकी पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। इन सभी पर भारत के संबद्ध राष्ट्रों के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए आईएस/आईएसआईएल/आईएसआईएस का सदस्य बनने के लिए विदेश यात्रा करने का आरोप था। आतंकवाद निरोधी दस्ता (एटीएस) मामले की जांच कर रहा था। बाद में मामला एनआईए को सौंप दिया गया, जिसने फिर से मामला दर्ज किया था। एनआईए ने जांच पूरी करने के बाद जुलाई 2016 में चार्जशीट दाखिल की थी।
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