Difficulty in breathing in corona patients is a sign of heart diseases | कोरोना के मरीजों में शारीरिक गतिविधियों के दौरान सांस लेने में आ रही दिक्कत, दिल की बीमारियों के भी संकेत – Bhaskar Hindi

Difficulty in breathing in corona patients is a sign of heart diseases | कोरोना के मरीजों में शारीरिक गतिविधियों के दौरान सांस लेने में आ रही दिक्कत, दिल की बीमारियों के भी संकेत – Bhaskar Hindi

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डिजिटल डेस्क, लंदन। कोरोना के ऐसे मरीज जिन्हें इस बीमारी से ठीक हुए एक वर्ष हो चुका है लेकिन अधिक शारीरिक गतिविधियों के दौरान सांस लेने संबंधी दिक्क्तें इस बात का संकेत हो सकती है कि इस बीमारी ने उनके दिल को नुकसान पहुंचाया है। एक शोध में इस बात की जानकारी दी गई है।

बेल्जियम में यूनीवर्सिटी हॉस्पिटल ब्रुसेल्स की शोधकर्ता डा. मारिया- लुइजा लुचियान की अगुवाई में किए गए शोध में इस बात का खुलासा किया गया है कि कोविड़-19 की वजह से लोगों में दिल की बीमारियों में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है और इसकी वजह से उन्हें लंबी अवधि तक सांस लेने में दिक्कतें हो सकती है जिन्हें लांग कोविड कहा जाता है। इस दल ने पता लगाने की कोशिश की कि क्या ऐसे मरीजों में दिल की कोई असामान्यता अधिक देखी जा रही है।

उन्होंने कहा हमारे अध्ययन से पता चला है कि कोविड के एक तिहाई से अधिक ऐसे मरीज जिन्हें इस बीमारी से पहले दिल या फेंफड़ों की कोई बीमारी नहीं थी लेकिन कोविड से ठीक होने के एक वर्ष बाद उनमें सांस लेने में दिक्कतें देखने को मिली और इससे यह पता चल सकता है कि आखिर उनमें सांस लेने में दिक्कतों का क्या कारण हो सकता है। इसका संबंध कहीं न कहीं दिल के स्वास्थ्य से जुड़ा हो सकता है।

इस शोध में ऐसे 66 मरीजों को शामिल किया गया जिनमें पहले दिल या फेंफड़ों की कोई बीमारी नहीं थीं लेकिन जिन्हें मार्च और अप्रैल 2020 के दौरान कोविड की बीमारी की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था ।

इन्हें अस्पताल से छुट्टी दिए जाने के एक वर्ष बाद उनके स्पाइरोमीटर टेस्ट तथा सीटी स्कैन के अलावा दिल का अल्ट्रासाउंड किया गया और इसमें नयी इमेजिंग तकनीक को इस्तेमाल किया गया था। इसका मकसद यह पता लगाना था कि उनके दिल की कार्यप्रणाली में कोई असामान्यता तो नहीं आ गई है। इसमें जिन मरीजों को शामिल किया गया था उनकी औसत आयु 50 वर्ष थी तथा इनमें से 67 प्रतिशत पुरूष थे। एक वर्ष बाद लगभग 23 मरीजों को सांस लेने में दिक्कतें देखीं गई थी। इस शोध को यूरोपीयन सोसायटी ऑफ कार्डियोलॉजी के वैज्ञानिक सम्मेलन यूरोईको 2021 में प्रस्तुत किया गया था।

(आईएएनएस)

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