CM चन्नी की सर्वदलीय मीटिंग: BSF के अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के खिलाफ प्रस्ताव पास, फैसला रद्द न हुआ तो बुलाएंगे विधानसभा सेशन
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चंडीगढ़5 घंटे पहले
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सर्वदलीय मीटिंग में उपस्थित CM चरणजीत चन्नी, पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू और डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा।
सीमा सुरक्षा बल (BSF) का अधिकार बढ़ाने पर पंजाब सरकार और केंद्र में तकरार शुरू हो गई है। पंजाब के CM चरणजीत चन्नी ने सोमवार को सर्वदलीय मीटिंग बुलाई। बैठक के बाद चन्नी में कहा कि BSF के अधिकार क्षेत्र बढ़ाने को लेकर मैंने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी थी। लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आया।
मिलने का समय भी मांगा था लेकिन वह भी नहीं मिला। इसलिए हमने सर्वदलीय मीटिंग बुलाई, जिसमें सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया गया कि BSF के 50 किलोमीटर दायरा बढ़ाने को तुरंत रद्द किया जाए। अगर केंद्र सरकार इसे नहीं मानेगी तो बहुत जल्दी विधानसभा का सेशन बुलाया जाएगा।
इसके अलावा सभी पार्टियां मिलकर संघर्ष करेंगे और केंद्र सरकार को हर हाल में इस नोटिफिकेशन को वापस लेने के लिए मजबूर किया जाएगा। CM चन्नी ने कहा कि जैसे सभी मुख्यमंत्री केंद्र सरकार से मिलते हैं, इसी तरह वह भी मिलने गए थे। मैंने वहां करतारपुर कॉरिडोर, कृषि सुधार कानून और बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए कहा था लेकिन राजनीतिक तौर पर इसे गलत तरीके से बताया जा रहा है। लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत यह मेरा फर्ज था कि मैं उनसे मुलाकात करूं।
सर्वदलीय मीटिंग में मौजूदा आप नेता और BJP की खाली कुर्सियां
पंजाब कांग्रेस चीफ नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि केंद्र सरकार न केवल संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचा रही है बल्कि राज्य के भीतर ही एक नया राज्य खड़ा कर रही है। सिद्धू ने सवाल पूछा कि राज्य के 50 किलोमीटर भीतर कौन सा बॉर्डर होता है? उन्होंने इसे राजनीतिक खेल करार दिया।
BJP ने किया बैठक का बहिष्कार
इस बैठक में पंजाब कांग्रेस की तरफ से प्रधान नवजोत सिद्धू भी शामिल हुए। वहीं, आम आदमी पार्टी की तरफ से विपक्षी दल के नेता हरपाल चीमा और अमन अरोड़ा ने हिस्सा लिया। अकाली दल ने प्रेम सिंह चंदूमाजरा और डॉ. दलजीत चीमा भी इस मीटिंग में पहुंचे। BJP ने इस मीटिंग का बहिष्कार किया। उनका कहना है कि पंजाब सरकार सुरक्षा के मामले पर सियासत कर रही है
सर्वदलीय मीटिंग में मौजूद अलग-अलग पार्टियों के नेता
विरोधियों के हमले से घिर गए थे चन्नी
पंजाब में BSF के अधिकार बढ़ाने को लेकर CM चरणजीत चन्नी विरोधियों के निशाने पर थे। असल में यह फैसला तब सामने आया, जब CM चन्नी केंद्रीय गृह मंत्री से मिलकर लौटे। विरोधियों ने उन्हें घेर लिया कि वह ही केंद्र सरकार को इसकी मंजूरी देकर आए हैं। इससे सियासी तौर पर उन्हें कमजोर साबित करने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में CM चन्नी ने सर्वदलीय मीटिंग का दांव खेल दिया। इस मुद्दे पर सभी दलों को एक मंच पर लाकर CM चन्नी ने अपनी सफाई दे दी है।
PM को लेटर भी लिख चुके CM चन्नी
इस मुद्दे पर पंजाब के CM चरणजीत चन्नी पीएम नरेंद्र मोदी को लेटर भी लिख चुके हैं। जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार से BSF के अधिकार पहले की तरह रखने की मांग की थी। उन्होंने तर्क दिया था कि पंजाब के भीतर BSF के अधिकार बढ़ाने से संविधान के संघीय ढांचे की भावना का उल्लंघन हो रहा है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह
कैप्टन का दांव फेल करने की कोशिश
सियासी चर्चा यह भी है कि CM की कुर्सी से हटाए जाने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ही दिल्ली जाकर राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा उठाया। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल से भी मीटिंग की। जिसमें बताया कि पंजाब में सीमा पार से ड्रोन के जरिए हथियार, ड्रग्स और पैसा भेजा जा रहा है।
वहीं, पंजाब में टिफिन बम का भी खतरा बना हुआ है। इसके बाद CM चन्नी से मीटिंग होते ही BSF का अधिकार क्षेत्र बढ़ा दिया गया। इससे चन्नी सरकार सियासी तौर पर कमजोर साबित हुई थी। जिसका तोड़ निकाल केंद्र के साथ अमरिंदर को भी घेरने की कोशिश की जा रही है।
पंजाब सरकार मांग कर रही है कि BSF के पहले जैसे ही अधिकार रखे जाएं
पढ़िए… क्यों है पंजाब को एतराज
पंजाब का करीब 600 KM बॉर्डर पाकिस्तान से सटा हुआ है। पहले BSF बॉर्डर तक सीमित थी। अब केंद्र ने यह अधिकार बॉर्डर से 50 किमी भीतर तक बढ़ा दिया है। इसके बाद पंजाब के कुल 50 हजार में से करीब 27 हजार किमी एरिया BSF के अधिकार क्षेत्र में आ गया। पंजाब में इससे करीब 7 जिले BSF के अधीन आ गए।
जिनमें उन्हें सर्च, गिरफ्तारी और बरामदगी का अधिकार मिल गया। NDPS, कस्टम और पासपोर्ट एक्ट के यह अधिकार मिले हैं। इसके बाद पंजाब सरकार ने विरोध जताया। उनका कहना है कि जो पंजाब पुलिस आतंकवाद को खत्म कर सकती है, वह इन चीजों से भी निपट सकती है।
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