CM चन्नी की इमरजेंसी मीटिंग: रविवार को चंडीगढ़ गेस्ट हाउस में मंत्रियों से मिल रहे; पंजाब के बड़े मुद्दों पर चर्चा
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जालंधर3 घंटे पहले
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सीएम चरणजीत चन्नी की सरकार के पास अब पंजाब चुनाव घोषणा से पहले करीब 2 महीने का वक्त बचा है। – फाइल फोटो
पंजाब में कांग्रेस की कलह के बीच सीएम चरणजीत चन्नी चंडीगढ़ में इमरजेंसी मीटिंग कर रहे हैं। रविवार को मीटिंग होने के बाद इसके महत्व को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो सीएम अपने कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं। पहले वह मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा से मिले। इसके बाद ब्रह्म मोहिंद्रा और परगट सिंह से भी मुलाकात हुई। इसके अलावा भी कुछ मंत्री और कांग्रेस नेता उनसे मिले हैं। यह मीटिंग चंडीगढ़ में पंजाब सरकार के गेस्ट हाउस में हो रही है। माना जा रहा है कि पंजाब के बड़े मुद्दों को लेकर सरकार के रुख पर चर्चा की जा रही है।
अपनी ही पार्टी प्रधान के निशाने पर सीएम
पंजाब में CM बनने के बाद चरणजीत चन्नी अपनी ही पार्टी प्रधान नवजोत सिद्धू के निशाने पर हैं। यह विवाद नियुक्तियों से शुरू हुआ था। जो अब तक जारी है। हर सरकार चुनाव के नजदीक जनता का ध्यान बांटने की कोशिश करती है। पंजाब में भी कैप्टन अमरिंदर सिंह की पाकिस्तानी मित्र अरूसा आलम को लेकर घमासान पैदा किया गया। हालांकि अचानक सिद्धू ने एंट्री ली और कहा कि सरकार बड़े मुद्दे हल करे। सिद्धू ने कहा कि वो बड़े मुद्दों से नहीं भटकेंगे। इसे पंजाब सरकार को उनकी नसीहत से जोड़कर देखा जा रहा है।
प्रधान, सीएम और इंचार्ज बदलने के बाद भी हालात नहीं सुधरे
पंजाब कांग्रेस में मची कलह को सुलझाने के लिए पहले कांग्रेस ने सुनील जाखड़ को हटाया। उनकी जगह नवजोत सिद्धू प्रधान बने। इसके बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह को CM की कुर्सी से हटा दिया। उनकी जगह चरणजीत चन्नी आ गए। अंत में पंजाब कांग्रेस इंचार्ज हरीश रावत की भी छुट्टी कर दी। उनकी जगह हरीश चौधरी आ गए। इस पूरी कसरत के बावजूद पंजाब कांग्रेस में कलह थम नहीं रही है।
अमरिंदर के दांव की भी चिंता
पंजाब में कांग्रेस सरकार की चुनौती सिर्फ सिद्धू नहीं बल्कि कैप्टन अमरिंदर सिंह भी हैं। जो सरकार से लेकर कांग्रेस संगठन के लिए बड़ा सियासी खतरा साबित हो सकते हैं। अमरिंदर जल्द ही अपनी पार्टी बनाने की घोषणा करने वाले हैं। उसके बाद कांग्रेस में बड़े पैमाने पर टूट होने के आसार हैं। खासकर, सीएम और पार्टी प्रधान के बीच चल रही जंग की आंच टिकट बंटवारे पर भी पड़ेगी। चुनाव का जो भी परिणाम होगा, उसका क्रेडिट या जिम्मेदारी सरकार की ही मानी जाएगी। ऐसे में सरकार बरगाड़ी बेअदबी, ड्रग्स और बिजली समझौते जैसे मुद्दों को लेकर कोई बड़ी चीज जनता के सामने ला सकती है।
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