CDS बिपिन रावत ने किया आगाह: जम्मू-कश्मीर में दिख सकता है तालिबान इफेक्ट, चीन के कर्ज के जाल से पड़ोसियों को बचाना होगा

CDS बिपिन रावत ने किया आगाह: जम्मू-कश्मीर में दिख सकता है तालिबान इफेक्ट, चीन के कर्ज के जाल से पड़ोसियों को बचाना होगा

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गुवाहाटी19 मिनट पहले

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CDS बिपिन रावत ने किया आगाह: जम्मू-कश्मीर में दिख सकता है तालिबान इफेक्ट, चीन के कर्ज के जाल से पड़ोसियों को बचाना होगा

बिपिन रावत ने बताया कि अफगानिस्तान के हालाता का प्रभाव कश्मीर में हो सकता है, इसलिए हमें इसकी तैयारी करनी होगी।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत ने कहा कि चीन के साथ LAC समेत दूसरे मसलों को बातचीत के जरिए सुलझाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच संदेह की स्थिति बरकार है। ऐसे में मुद्दों को हल करने में समय लगता है। गुवाहाटी में शनिवार को एक कार्यक्रम के दौरान CDS रावत ने कहा कि चीन के साथ सीमा मुद्दे को व्यापक रूप से देखना चाहिए। उत्तर पूर्व या लद्दाख के मसले को अलग करके न देखें।

उन्होंने कहा कि 2020 में हमें थोड़ी समस्या हुई थी। मुद्दों को अब सैन्य स्तर, विदेशी मामलों के स्तर और राजनीतिक स्तर पर होने वाली बातचीत के जरिए हल किया जा रहा है। हमें पूरा विश्वास है कि हम अपने सीमा मुद्दों को हल कर लेंगे। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। सीमा विवाद पहले भी रहा है और उन्हें हल करने में सक्षम हैं।

रावत बोले- विवाद को बातचीत से हल करने में समय लगेगा
उन्‍होंने कहा कि सुमदोरोंग चू में भी ऐसा ही हुआ था, इसे हल करने में बहुत लंबा समय लग गया। वास्तव में, इस बार यह 1980 के दशक की तुलना में बहुत तेजी से हल हो रहा है। उन्‍होंने कहा कि आपको अपने सिस्‍टम में विश्‍वास होना चाहिए, विशेष रूप से अपने सशस्‍त्र बलों भरोसा रखना होगा।

‘पड़ोस में फैली अस्थिरता से निपटने की जरूरत’
CDS रावत ने इस बात पर जोर दिया कि देश को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि उसके पड़ोस में फैली अस्थिरता से निपटा जाए। यह हमारी तात्कालिक प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि काबुल में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद अफगानिस्तान की स्थिति की वजह से जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लिए भी खतरे की आशंका है, लेकिन आंतरिक निगरानी पर काम करके इस खतरे से निपटा जा सकता है।

‘रोहिंग्या शरणार्थियों पर कड़ी नजर रखनी होगी’
रावत ने शनिवार को गुवाहाटी में पहला रविकांत सिंह स्मृति व्याख्यान दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि म्यांमार और बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों की स्थिति पर कड़ी नजर रखी जानी चाहिए, क्योंकि कट्टरपंथी तत्वों की ओर से रोहिंग्या शरणार्थियों का बेजा इस्तेमाल किए जाने का खतरा है।

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