वर्ल्ड इमोजी डे: हिंदी न अंग्रेजी-सबसे तेज भाषा है इमोजी, रोज 1000 करोड़ बार इन्हें भेजते हैं हम; जानिए कैसे गोरे-काले की जंग भी लड़ रहे इमोजी
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एक घंटा पहले
कोई अगर पूछे कि नए दौर की ग्लोबल भाषा क्या है? अंग्रेजी बोलने वालों की सबसे बड़ी आबादी वाले देश भारत में ज्यादातर लोग शायद अंग्रेजी को यह तमगा दे दें। लेकिन यह सच नहीं है। दरअसल, न्यू मिलेनियल्स की ग्लोबल लैंग्वेज तो इमोजी है। इसमें अक्षर तो नहीं, लेकिन पिक्चर है। भाव है। भावना है। गैर बराबरी के खिलाफ आवाज है। इंटरनेट पर सवार इस भाषा की कोई सरहद और नस्ल भी नहीं। ब्रिटेन के बांगोर विश्वविद्यालय में भाषा विज्ञान के प्रोफेसर व्यव इवांस का दावा है कि इमोजी इंसानी इतिहास में दुनिया की सबसे तेजी से फैलने वाली भाषा है। कुल 176 आइकॉन से शुरू हुई यह भाषा आज 3,353 इमोजी तक पहुंच चुकी है। उनका कहना है कि दृष्य भाषा यानी विजुअल लैंग्वेज के रूप में इमोजी पहले ही प्राचीन मिस्र की चित्रलिपि (Egyptian hieroglyphics) को काफी पीछे छोड़ चुकी है, जिसे विकसित होने में पांच सदी से ज्यादा का समय लगा था। आज इमोजी न केवल दुनिया में रिश्तों को मजबूत कर रही है, बल्कि नस्लीय और सियासी गैर बराबरी के खिलाफ लड़ाई का जरिया भी बनी चुकी है। ये बिना किसी आवाज के हम पर इतना गहरा असर डाल रही है कि मनोविज्ञानिकों को उसके निशान हमारे मस्तिष्क में मिल रहे हैं।
तो आइए आज वर्ल्ड इमोजी डे पर जानते हैं इमोजी की दुनिया से जुड़ी बेहद दिलचस्प बातें….
राजनीतिक समानता लाने में भी इमोजी की बड़ी भूमिका
2015 में एप्पल ने अपने गैजेट्स के लिए अलग-अलग स्किन कलर के इमोजी जारी किए। इनमें LGBT समूह का प्रतिनिधित्व करने वाले इमोजी भी थे। सोशल मीडिया पर इमोजी में नस्लीय भेद दूर करने और उन्हें सभी नस्लों को रिप्रजेंट करने वाला बनाने के लिए कई ऑनलाइन मुहिम चलाई गईं।
इससे पहले 2014 में एंटी बुलिंग इमोजी यानी जोर-जबरदस्ती के खिलाफ इमोजी जारी हुआ था। पिछले साल दो अलग-अलग नस्लों के जोड़ों के इमोजी भी जारी किए गए। खासतौर पर ब्लैक और व्हाइट्स के जोड़ों के लिए।
पढ़ने-सुनने से अच्छा है देखना
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