UN के मानवाधिकार पैनल की चिट्ठी: हरियाणा के खोरी गांव से 1 लाख लोगों को न हटाया जाए, मानसून और महामारी के बीच लोगों की हिफाजत जरूरी
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7 मिनट पहले
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अपने आशियाने तोड़े जाने के खिल
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कमिश्नर के ऑफिस ने (OHCHR) हरियाणा के खोरी गांव से करीब एक लाख लोगों को न हटाने की अपील की है। OHCHR के एक्सपर्ट पैनल ने सोशल मीडिया पर भारत सरकार के नाम चिट्ठी लिखी है। पैनल का कहना है कि मानसून और कोरोना महामारी के बीच लोगों की हिफाजत जरूरी है। ऐसे में उन्हें उनके घरों से हटाना ठीक नहीं है।
दिल्ली-फरीदाबाद बॉर्डर पर बसे खोरी गांव से लोगों को हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक हटा रही है। दरअसल, यहां की करीब 172 एकड़ जमीन को संरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया गया है। इसमें से करीब 80 एकड़ इलाके में लोगों के घर बने हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 7 जून को हरियाणा सरकार को इस इलाके को खाली कराने का आदेश दिया है।
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एक्सपर्ट पैनल ने कहा- जमीन पर जंगल मौजूद नहीं
OHCHR के विशेषज्ञों का दावा है कि खोरी गांव के माइनिंग के चलते संरक्षित वन पहले ही खत्म हो चुके हैं। सरकार ने 1992 में इसे संरक्षित वन के तौर पर नोटिफाई किया, लेकिन तब भी वहां कोई जंगल मौजूद नहीं था। पैनल ने कहा कि लोगों को अपने घरों से हटाकर भारत सरकार 2022 तक सबको घर मुहैया कराने के अपने ही फैसले के उलट काम कर रही है।
खोरी गांव में बने हुए सभी मकान अब अवैध घोषित हो चुके हैं। लोगों को इन्हें छोड़ने को कहा गया है।
जमीन माफिया ने गरीब मजदूरों को बेची जमीन
दिल्ली और फरीदाबाद के बॉर्डर पर मौजूद इस जमीन पर माइनिंग खत्म होने के बाद भू-माफियाओं के चंगुल में आकर पिछले 40 साल में नगर निगम, वन विभाग और पुलिस की मिलीभगत से अब बड़ी बस्ती बनकर तैयार हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे ही तोड़ने के आदेश दिए हैं।
खोरी गांव अरावली रेंज की जमीन पर बसा हुआ है। इसे संरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया गया है।
172 एकड़ सरकारी जमीन पर कब्जे की ये है तस्वीर
ऊंचाई से देखने पर खोरी गांव में घनी बसाहट नजर आती है। यह करीब 80 एकड़ में फैली हुई है।
अब जरा समझ लेते हैं कि इस जमीन में से कितने हिस्से का किस तरह इस्तेमाल हो रहा है। दरअसल, सरकारी रिकॉर्ड में करीब 58 एकड़ जमीन रिहाइशी है, लेकिन हकीकत में ये आंकड़ा ज्यादा है। खोरी में करीब 80 एकड़ जमीन पर मकान बन चुके हैं। लोग पिछले 30-40 साल से यहां रह रहे हैं।
जमीन एरिया | एकड़ में जमीन |
आवासीय | 57.98 |
कमर्शियल | 0.64 |
मिक्स यूज | 5.63 |
एजुकेशनल | 0.38 |
इंडस्ट्री | 0.02 |
वैकेंट प्लाट | 13.13 |
पब्लिक यूिटलिटी | 1.24 |
गौशाला |
1.00 |
वैकेंट लैंड |
18.64 |
फारेस्ट लैंड | 38.39 |
वाटर बाॅडी | 2.99 |
रोड | 32.06 |
कुल योग | 172.10 |
एक्सपर्ट पैनल ने बच्चों-महिलाओं की सुरक्षा का हवाला दिया
OHCHR के एक्सपर्ट पैनल का कहना है कि हटाए जाने वाले एक लाख लोगों में से करीब 20,000 बच्चे हैं। वहीं, 5000 के करीब गर्भवती और बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाएं हैं। मानसून और कोरोना के दोहरे खतरे के बीच उन्हें बेघर नहीं किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद खोरी गांव में प्रशासन ने मकानों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू कर दी है।
हरियाणा ने खोरी के लिए पुनर्वास नीति बनाई
खोरी गांव से लोगों को हटाने के लिए हरियाणा सरकार ने पुनर्वास नीति बनाई है। सरकारी ऐलान के मुताबिक, खोरी के लोगों को डबुआ कॉलोनी और बापू नगर में खाली पड़े 2545 फ्लैट दिए जाएंगे। लोगों को कुछ शर्तें माननी होंगी और पैसा भी चुकाना होगा।
लोगों में सरकार के रवैये को लेकर गुस्सा
खोरी मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी के पदाधिकारी मोहम्मद सलीम, निर्मल गोराना, फुलवा देवी, मोहसिन, गवाडा प्रसाद, इकरार ने कहा कि 5 जुलाई को डीसी यशपाल मलिक एवं डीसीपी जयवीर सिंह राठी, डीसीपी मुकेश कुमार के साथ खोरी गांव संघर्ष समिति के लोगों के साथ बैठक हुई थी। इसमें डीसी और डीसीपी ने बताया कि नगर निगम एवं डीसी फरीदाबाद एवं डीसीपी फरीदाबाद की एक ज्वाइंट मीटिंग होना है। उसके बाद अंतिम फैसला लिया जाएगा। सरकार की ओर से सर्वे एवं पुनर्वास के विषय पर 6 जुलाई को अंतिम फैसला आने वाला था। पर उससे पहले नगर निगम और पुलिस प्रशासन अपने साथ में बुल्डोजर लेकर खोरी पहुंच गया। इससे पता चलता है कि सरकार खोरी वासियों के साथ धोखा कर रही है।
अपने घर तोड़े जाने के विरोध में खोरी गांव की महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन किया।
पहले भी भारत के आंतरिक मामलों में दखल दे चुका है OHCHR
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय इससे पहले भी जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म होने पर भारत पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगाए थे। इसके बाद, किसान आंदोलन के बारे में UNHRC बिना सच्चाई जाने बयान जारी किया था। भारत ने इनको लेकर विरोध भी दर्ज कराया था।
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