भास्कर डेटा स्टोरी: देश में वैक्सीनेशन को 6 महीने पूरे, मौजूदा रफ्तार से तो साल के अंत तक हर वयस्क नहीं हो सकता वैक्सीनेट

भास्कर डेटा स्टोरी: देश में वैक्सीनेशन को 6 महीने पूरे, मौजूदा रफ्तार से तो साल के अंत तक हर वयस्क नहीं हो सकता वैक्सीनेट

[ad_1]

33 मिनट पहलेलेखक: जयदेव सिंह

  • कॉपी लिंक
भास्कर डेटा स्टोरी: देश में वैक्सीनेशन को 6 महीने पूरे, मौजूदा रफ्तार से तो साल के अंत तक हर वयस्क नहीं हो सकता वैक्सीनेट

16 जनवरी से देश में कोरोना वैक्सीन लगाने की शुरुआत हुई। वैक्सीनेशन अभियान को आज 6 महीने पूरे हो गए हैं। अब तक देश में 39 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज दी जा चुकी है। 31 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की कम से कम एक डोज दी गई। वहीं, करीब 8 करोड़ लोग पूरी तरह वैक्सीनेट हो चुके हैं।

दिसंबर तक देश की 18 साल से अधिक उम्र की आबादी पूरी तरह वैक्सीनेट हो जाएगी। ऐसा नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन के हेड एनके अरोरा का दावा है। हालांकि इसके लिए वो आने वाले महीनों में वैक्सीन सप्लाई की रफ्तार बढ़ाने की कंडीशन भी रखते हैं।

अगर मौजूदा रफ्तार के हिसाब से ही वैक्सीनेशन होता रहा तो हम ये टारगेट कब तक पूरा कर लेंगे? किन राज्यों में वैक्सीनेशन सबसे पहले पूरा होगा? कौन से राज्य आबादी के लिहाज से अभी सबसे पीछे हैं? क्या वैक्सीनेशन से तीसरी लहर पर भी कोई असर पड़ेगा? दुनियाभर के डेटा इस पर क्या कहते हैं? आइए समझते हैं…

अगर मौजूदा रफ्तार के हिसाब से ही वैक्सीनेशन होता रहा तो हम ये टारगेट कब तक पूरा कर लेंगे?

15 जुलाई को देश में वैक्सीनेशन शुरू हुए 180 दिन हो गए। पिछले 179 दिनों में 31,35,29,502 लोगों को वैक्सीन की कम से कम एक डोज लगाई जा चुकी है। यानी, हर रोज औसतन 17.5 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगी। मौजूदा आबादी का ये करीब 23% है। अगर यही रफ्तार रही तो देश के हर नागरिक को वैक्सीन की कम से कम एक डोज लगाने में मार्च 2023 की शुरुआत तक का समय लगेगा।

वहीं, अगर इसे देश की वयस्क आबादी के हिसाब से देखें तो करीब 33.5% आबादी को वैक्सीन की एक डोज दी जा चुकी है। अगर यही रफ्तार रही तो जुलाई 2022 तक देश की पूरी वयस्क आबादी को वैक्सीन की कम से कम एक डोज लग जाएगी।

हालांकि, जून के आखिरी में वैक्सीनेशन ने रफ्तार पकड़ी, लेकिन अब एक बार फिर ये रफ्तार घट रही है। इसके बावजूद वैक्सीनेशन की मौजूदा दर अब तक के औसत से ज्यादा है।

सात दिन के औसत के लिहाज से इस वक्त रोजाना 37.8 लाख डोज लगाए जा रहे हैं। अगर वैक्सीनेशन की यही रफ्तार रही तो अगले 165 दिन में देश की वयस्क आबादी को वैक्सीन की कम से कम एक डोज लग जाएगी। यानी, दिसंबर अंत तक देश की संपूर्ण वयस्क आबादी को वैक्सीन की कम से कम एक डोज दी जा चुकी होगी।

अब सवाल ये है कि अगर मौजूदा दर से वैक्सीनेशन हो तो देश की वयस्क आबादी कब तक पूरी तरह वैक्सीनेट होगी। तो इसका जवाब है इसके लिए करीब 12 महीने लग जाएंगे। यानी, जुलाई 2022 तक भारत की वयस्क आबादी पूरी तरह वैक्सीनेट हो चुकी होगी।

अब आप कहेंगे कि सरकार तो साल के अंत तक पूरी वयस्क आबादी को वैक्सीनेट करने की बात कर रही है। ये कैसे होगा? तो इसका जवाब है कि अगर आज से ही रोज 88.5 लाख डोज लगाए जाएं, तब जाकर दिसंबर अंत तक देश की करीब 94 करोड़ की वयस्क आबादी पूरी तरह वैक्सीनेट हो जाएगी।

किन राज्यों में अब तक सबसे ज्यादा आबादी को वैक्सीनेट किया गया है?

अब तक आठ राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं, जहां 55% या उससे अधिक आबादी को वैक्सीन की कम से कम एक डोज दी जा चुकी है। सिक्किम और लद्दाख इसमें टॉप पर हैं। दोनों जगह करीब 93% वयस्क आबादी को वैक्सीन की कम से कम एक डोज दी गई है। इनके अलावा अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, त्रिपुरा, गोवा, अंडमान-निकोबार और हिमाचल प्रदेश में भी 55% से ज्यादा वयस्क आबादी को कम से कम एक डोज दी जा चुकी है। दिल्ली भी आने वाले एक दो दिन में इस लिस्ट में शामिल हो जाएगा।

कौन से राज्य आबादी के लिहाज से अभी सबसे पीछे हैं?

आबादी के लिहाज से उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। यहां अब तक 3.88 करोड़ वैक्सीन डोज दिए जा चुके हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश वो राज्य है जिसकी सबसे कम आबादी वैक्सीनेशन में कवर हुई है। अब तक यहां केवल 22% आबादी को ही वैक्सीन की कम से कम एक डोज दी जा सकी है। वहीं, राज्य की केवल 4% आबादी ऐसी है जो पूरी तरह वैक्सीनेट हो चुकी है।

उत्तर प्रदेश के अलावा सिर्फ बिहार ऐसा राज्य है जहां 25% से कम आबादी का वैक्सीनेशन हुआ है। यहां करीब 23% आबादी को वैक्सीन की एक डोज दी चुकी है। वहीं, राज्य की केवल 4% आबादी पूरी तरह से वैक्सीनेट हुई है।

क्या वैक्सीनेशन से तीसरी लहर पर भी कोई असर पड़ेगा?

देश में तीसरी लहर को लेकर लगातार बात हो रही है। अगर तेजी से वैक्सीनेशन होता है तो तीसरी लहर का खतरा कम हो सकता है। यूरोप और अमेरिका के आंकड़े ऐसा संकेत देते हैं। उदाहरण के लिए ब्रिटेन में पिछले कुछ समय से डेल्टा वैरिएंट की वजह से मामले तेजी से बढ़े हैं। इसके बाद भी लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत कम पड़ रही है। यहां 50% से ज्यादा आबादी वैक्सीनेट हो चुकी है। इसी तरह लोगों को आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत भी बहुत कम पड़ रही है। वहीं, ज्यादा वैक्सीनेशन की वजह से कोरोना केस बढ़ने के बाद भी यहां मौतें पहले के मुकाबले काफी कम हैं। यानी, हम जितनी तेजी से वैक्सीनेशन करेंगे, तीसरी लहर के खतरे को उतना ज्यादा कम कर सकेंगे।

खबरें और भी हैं…

[ad_2]

Source link

Published By:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *