खत्म नहीं हुआ कोरोना: दुनिया में डेल्टा वैरिएंट का खतरा और बढ़ा, फाइजर ने अपनी वैक्सीन की तीसरी डोज के लिए मांगी मंजूरी
[ad_1]
- Hindi News
- International
- Pfizer Third Vaccine Dose Approval | Pfizer BioNTech COVID 19 Vaccine Amid Delta Plus Variant Of Coronavirus
28 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
कोरोनावायरस का खतरा अभी कम नहीं हुआ है। सबसे तेजी से फैलने वाले डेल्टा वैरिएंट को लेकर एक तरफ जहां दुनियाभर के देश खौफ में हैं, वहीं वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां भी अपने डोज को और कारगर बनाने में जुट गई हैं।
फाइजर-बायोएनटेक अपनी वैक्सीन ‘कॉमिरनेटी’ के तीसरे डोज की तैयारी कर रही हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, कोरोना वायरस के ओरिजिनल स्ट्रेन के खिलाफ बेहतर काम करने के लिए तीसरे डोज की जरूरत पड़ सकती है। कंपनी अंतरिम ट्रायल के डेटा के आधार पर मंजूरी लेने की कोशिश करेगी, जिसमें पता चला था कि पहले दो डोज की तुलना में तीसरा डोज एंटीबॉडी लेवल को पांच से दस गुना बढ़ा सकता है।
डेल्टा वैरिएंट पर फाइजर 64% तक प्रभावी
हाल ही में खबरें आई थीं कि वैक्सीन SARS-CoV-2 वायरस के डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ कम प्रभावी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक महीने में जुटाए गए डेटा की मानें तो पूरी तरह से वैक्सीनेटेड लोगों पर डेल्टा वैरिएंट के असर को रोकने में फाइजर 64% तक प्रभावी है। इससे पहले कोरोना के अन्य वैरिएंट्स में यह वैक्सीन 94% तक प्रभावी पाई गई है।
नेचर जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी में पता चला था कि फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन का सिंगल डोज मुश्किल से डेल्टा स्ट्रेन के खिलाफ न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज तैयार करता है। वहीं, हाल ही में इजरायली सरकार ने भी कहा था कि फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन की एफिकेसी 6 महीनों बाद कम हो रही है।
भारत में फाइजर और मॉडर्ना के आने पर फंसा पेंच भारत में मॉडर्ना को इमरजेंसी अप्रूवल तो दे दिया गया है, लेकिन सरकार अब तक कंपनी की इन्डेम्निटी यानी क्षतिपूर्ति से राहत वाली शर्त पर फैसला नहीं कर पाई है। सूत्रों की मानें, तो मॉडर्ना की इस शर्त पर अभी चर्चाओं का दौर चल रहा है। ऐसे में देश की पहली इंटरनेशनल वैक्सीन के जल्द भारत आने पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है।
दरअसल, मॉडर्ना ने शर्त रखी है कि उसे इन्डेम्निटी मिलेगी, तो ही वह वैक्सीन भारत भेजेगी। यह इन्डेम्निटी वैक्सीन कंपनियों को सब तरह की कानूनी जवाबदेही से मुक्त रखती है। अगर भविष्य में वैक्सीन की वजह से किसी तरह की गड़बड़ी हुई तो कंपनी से मुआवजा नहीं मांगा जा सकता। फाइजर ने भी भारत सरकार से ऐसी ही छूट मांगी है।
केंद्र सरकार ने पॉलिसी में बदलाव भी किया
मॉडर्ना और फाइजर उन कंपनियों में शामिल हैं, जिन्होंने भारत सरकार से अपील की थी कि वह इमरजेंसी यूज की इजाजत देने के बाद होने वाले लोकल ट्रायल की बाध्यता को खत्म करे, लेकिन सिप्ला को 100 लोगों पर ट्रायल करना होगा। पहले विदेशी वैक्सीन को भारत में अप्रूवल मिलने पर 1500-1600 लोगों पर ट्रायल करना होता था, लेकिन 15 अप्रैल को सरकार ने पॉलिसी में बदलाव कर इसे 100 लोगों तक सीमित कर दिया।
भारत में अभी 3 वैक्सीन और एक पाउडर
देश में फिलहाल कोवीशील्ड और कोवैक्सिन का इस्तेमाल वैक्सीनेशन ड्राइव में किया जा रहा है। रूस की स्पुतनिक-V भी इस्तेमाल की जा रही है। इसके अलावा DRDO ने कोविड की रोकथाम के लिए 2-DG दवा बनाई है। इसके इमरजेंसी इस्तेमाल को भी मंजूरी दे दी गई है। यह एक पाउडर है, जिसे पानी में घोलकर दिया जा रहा है।
[ad_2]
Source link