नहीं रहे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता वीरभद्र सिंह: हिमाचल प्रदेश में 3 दिन का राजकीय शोक घोषित, 6 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, कोरोना होने से IGMC में भर्ती थे

नहीं रहे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता वीरभद्र सिंह: हिमाचल प्रदेश में 3 दिन का राजकीय शोक घोषित, 6 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, कोरोना होने से IGMC में भर्ती थे

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शिमला20 मिनट पहले

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वीरभद्र सिंह दोबारा कोरोना संक्रमण होने के कारण शिमला के आईजीएमसी में उपचाराधीन थे। - Dainik Bhaskar

वीरभद्र सिंह दोबारा कोरोना संक्रमण होने के कारण शिमला के आईजीएमसी में उपचाराधीन थे।

हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता वीरभद्र सिंह का कोरोना संक्रमण से निधन हो गया है। उन्होंने गुरुवार तड़के 3.40 बजे अंतिम सांस ली। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एमएस डॉ. जनक राज ने उनकी मौत की पुष्टि की। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री के निधन पर हिमाचल सरकार ने प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। इन तीन दिनों में प्रदेश में कोई भी बड़े आयोजन नहीं होंगे।

12 अप्रैल ओर 11 जून को वह दो बार कोरोना वायरस से ग्रसित पाए गए थे, जिसके बाद उनकी तबीयत अक्सर खराब रहने लगी। 87 वर्षीय वीरभद्र सिंह दोबारा कोरोना संक्रमण होने के कारण शिमला के आईजीएमसी में उपचाराधीन थे। वह ढाई महीने से आईजीएमसी में दाखिल थे, लेकिन सोमवार को उनकी तबीयत ज्यादा खराब होने पर डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर रखा था। तब से वीरभद्र सिंह बेहोशी की हालत में थे और गुरुवार सुबह मल्टी-ऑर्गन फेल्योर के कारण उनकी मौत हो गई। उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शनार्थ उनके आवास पर ले जाया जाएगा।

परिवार, बच्चे और शिक्षा
वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून, 1934 को शिमला, हिमाचल प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम पिता राजा पदम सिंह और उनकी माता का नाम श्रीमति शांति देवी था। उनका विवाह प्रतिभा सिंह के साथ हुआ।शिमला ग्रामीण से विधायक विक्रमादित्य सिंह उनके इकलौते बेटे हैं और 4 बेटियां हैं, जिनमें से एक का नाम अपराजिता सिंह हैं। वीरभद्र सिंह की ने स्नातकोत्तर तक की शिक्षा प्राप्त की है।

मुख्यमंत्री कार्यकाल

वीरभद्र सिंह 9 बार विधायक और 5 बार सांसद भी रह चुके हैं। वीरभद्र सिंह 8 अप्रैल 1983 से 5 मार्च 1990 तक, 3 दिसम्बर 1993 – 24 मार्च 1998 तक, 6 मार्च 2003 से 30 दिसम्बर 2007 तक, 25 दिसम्बर 2012 से 27 दिसम्बर 2017 तक मुख्यमंत्री पद पर रहे।

राजनीतिक करियर

  • वीरभद्र सिंह 1962 में तीसरी लोकसभा के लिए चुने गए।
  • इसके बाद पुन: 1967 में चौथी लोकसभा के लिए चुने गए।
  • एक बार फिर 1972 में पाँचवीं लोकसभा के लिए चुने गए।
  • 1980 में सातवीं लोकसभा के लिए चुने गए।
  • 1976 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य बने।
  • दिसम्बर 1976 से मार्च 1977 तक भारत सरकार में पर्यटन और नागरिक उड्डयन के उपमंत्री नियुक्त हुए।
  • 1977, 1979 और 1980 में प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बने रहे।
  • शिमला ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से 20 दिसम्बर 2012 को राज्य विधान सभा के सदस्य चुने गए।
  • सितम्बर, 1982 से अप्रैल 1983 तक भारत सरकार में उद्योग मंत्री बने।
  • अक्टूबर 1983 और 1985 में जुब्बल – कोटखाई विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए चुने गए।
  • 1990, 1993, 1998, 2003 और 2007 में रोहड़ू निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए चुने गए।
  • 8 अप्रैल, 1983 से 5 मार्च, 1990 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री।
  • दिसंबर, 1993 से 23 मार्च, 1998 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री।
  • वीरभद्र सिंह एक बार फिर 6 मार्च 2003 से 29 दिसंबर 2007 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्य मंत्री रहे।
  • मार्च 1998 से मार्च 2003 तक राज्य विधान सभा में हिमाचल प्रदेश के विपक्ष के नेता।
  • 25 दिसम्बर, 2012 को हिमाचल प्रदेश के छठे मुख्य मंत्री बने।।
  • 2009 में वे मंडी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से हिमाचल प्रदेश से निर्वाचित हुए ।
  • मई 2009 से जनवरी 2011 तक वीरभद्र सिंह भारत सरकार में इस्पात मंत्री रहे।
  • उन्होने 19 जनवरी 2011 से जून 2012 तक भारत सरकार में लघु और मझौले उद्यम मंत्री के रूप में कार्य किया ।
  • 26 अगस्त 2012 से हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने।
  • वीरभद्र सिंह 9 बार विधायक, 6 बार मुख्यमंत्री और 5 बार लोकसभा में बतौर सांसद रह चुके हैं।

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