मोदी सर की क्लास: सिंधिया, आरसीपी सिंह, सोनोवाल, नारायण राणे बने फ्रंट लाइनर्स; इससे समझिए सरकार और सियासत की चाल

मोदी सर की क्लास: सिंधिया, आरसीपी सिंह, सोनोवाल, नारायण राणे बने फ्रंट लाइनर्स; इससे समझिए सरकार और सियासत की चाल

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नई दिल्ली8 मिनट पहले

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर कैबिनेट विस्तार से पहले शपथ लेने वाले मंत्रियों का आना-जाना लगा रहा। हालांकि, मोदी ने उन 43 मंत्रियों की क्लास ली। इस दौरान फ्रंटलाइनर्स रहे, वो चेहरे, जिन्हें अहम जिम्मेदारी सौंपा जाना तय है। इन फ्रंट लाइनर चेहरों से कैबिनेट विस्तार के पीछे सरकार की गवर्नेंस और सियासी समीकरणों का फॉर्मूला भी नजर आया। जानिए सर मोदी की क्लास के फ्रंट लाइनर्स की अहमियत…

1. बिहार से आरसीपी सिंह
जनता दल-यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह मंत्री बनाए जाएंगे। कहा जा रहा है कि उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाएगा। केंद्र और नीतीश के बीच वे अहम कड़ी का काम करते हैं। इसी के साथ सामंजस्य बैठाने में भी उनका रोल रहता है। JD-U ने मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए अपने कोटे से 4 मंत्रियों की शर्त रखी थी। ये शर्त सरकार पूरी कर रही है। वजह NDA में शामिल उस पार्टी से रिश्ते और मजबूत करना, जो कभी-कभी सरकार के फैसलों से पूरी तरह सहमत नहीं रहती। आरसीपी सिंह समेत 3 और चेहरों को शामिल किया जा रहा है। इससे बिहार में भाजपा की मौजूदगी को मजबूती मिलेगी।

2. मध्य प्रदेश से ज्योतिरादित्य सिंधिया
मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनान में पूरा क्रेडिट सिंधिया को जाता है। उन्होंने कांग्रेस छोड़ी, 22 विधायक अपने साथ लेकर भाजपा में आए और सरकार बनाने का रास्ता साफ किया। इसके अलावा अपने करीबी दोस्त राहुल का साथ भी छोड़ा, जिनसे रिश्ते पारिवारिक थे। भाजपा का एक लक्ष्य भी पूरा होगा। उन्हें कैबिनेट में शामिल किए जाने से राहुल गांधी और उनकी लीडरशिप क्षमताओं पर भी गहरी चोट लगेगी।

सिंधिया अपनी दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया के नक्शेकदम पर चल रहे हैं। उन्हें एक संभावित काबिल मंत्री के तौर पर भी देखा जा रहा है, जिनकी ग्लोबल अपील है। राजनीति में आने से पहले वे बेहद सफल बैंकर भी रह चुके हैं। बताया जा रहा है कि उन्हें विभाग भी अहम ही दिया जाएगा।

3. असम से सर्वानंद सोनोवाल
असम के पूर्व मुख्यमंत्री सोनोवाल ने हेमंत बिस्व सरमा के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ किया। उनके मोदी से रिश्ते भी काफी अच्छे हैं। असम का CM बनने से पहले वो 2014 मोदी कैबिनेट में भी थे। उन्हें खेल और युवा मंत्रालय दिया गया था। इस बार भी युवा सोनोवाल को बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी। साथ ही उनकी केंद्रीय कैबिनेट में मौजूदगी से असम में पार्टी की पैठ बढ़ेगी।

4. महाराष्ट्र से नारायण राणे
अमित शाह के करीबी नारायण राणे का महाराष्ट्र के कोंकण इलाके में अच्छा प्रभाव माना जाता है। भाजपा यहां शुरू से कमजोर रही है, यही वजह है कि साथ चुनाव लड़ने के दौरान यहां की ज्यादातर सीटों पर शिवसेना के उम्मीदवार ही उतारे जाते थे। राणे के भाजपा में आने से महाराष्ट्र का यह हिस्सा भाजपा के लिए एक मजबूत गढ़ बन चुका है। बीजेपी, राणे के जरिये मराठा युवाओं को भी अपनी तरफ आकर्षित करना चाहती है। मराठा आरक्षण के लिए राणे की अध्यक्षता वाली समिति ने सिफारिश की थी।

BMC का अगले साल चुनाव होना है। बीते 26 सालों से मुंबई में बीएमसी पर शिवसेना की सत्ता है। इस बार भाजपा ने शिवसेना को BMC से उखाड़ फेंकने की बात कही है। इसके लिए अतुल भातखलकर जैसे मराठा नेता जिम्मेदारी भी दी गई है। ऐसे में अगर नारायण राणे को मंत्री बनाया तो यह बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

5. मध्यप्रदेश से वीरेंद्र कुमार
67 साल के वीरेंद्र कुमार मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ से सांसद हैं। केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत की जगह उन्हें दलित चेहरे के रूप में मोदी कैबिनेट में जगह दी गई है। बता दें कि कैबिनेट विस्तार की अटकलों के बीच मंगलवार को गहलोत ने मंगलवार को ही इस्तीफा दे दिया था। उन्हें कर्नाटक का राज्यपाल बनाया गया है। दलित वर्ग से आने वाले वीरेंद्र कुमार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के साथ ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं।

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