उत्तर प्रदेश में नेताओं को कोरोना नहीं छापों का डर: नकदी छिपाने के लिए सुरक्षित ठिकानों की मशक्कत तेज, हेलीकॉप्टर बुकिंग जैसे बड़े खर्चों को तेजी से निपटा रहे
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लखनऊ3 मिनट पहलेलेखक: विजय उपाध्याय
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चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार के खर्च की सीमा 30.8 लाख रुपए कर दी है। पहले 28 लाख थी।
विधानसभा चुनावों के पहले आयकर के छापों से उत्तरप्रदेश की सियासत गरम है। अब तक भाजपा व सपा के नेता छापों की जद में आ चुके हैं। लेकिन डर सबको है। नई उभरी छोटी पार्टियों के नेता भी परेशान हैं। पार्टियां अपने बड़े खर्चों को तेजी से निपटा रही हैं। चुनावी दौरों के लिए हेलीकॉप्टर व लाइट एयरक्राफ्ट की बुकिंग कर ली गई हैं। सूत्रों का कहना है कि कई पार्टियों के नेता अपने नकदी प्रबंधन को लेकर अतिरिक्त सतर्क हो गए हैं।
इलेक्शन वॉच संस्था के उप्र के स्टेट कोआर्डिनेटर संजय सिंह ने कहा, अनुमान है, इस बार हर प्रत्याशी 5 से 10 करोड़ खर्च करेगा। ये रकम 2 हजार से 4 हजार करोड़ होती है। करीब इतना ही पार्टी की ओर से खर्च होगा। ऐसे में पूरे चुनाव में लगभग 10 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार के खर्च की सीमा 30.8 लाख रुपए कर दी है। पहले 28 लाख थी। बिहार और पश्चिम बंगाल चुनाव में आयोग ने खर्च सीमा 10% बढ़ाकर 30.80 लाख रुपए कर दी थी।
170 करोड़ की नकदी पकड़ी, हड़कंप
सबसे पहले जुलाई में भाजपा विधायक अजय सिंह व भाजपा नेता और बड़े शराब कारोबारी ओमप्रकाश जायसवाल के कई ठिकानों पर छापे पड़े। इन छापों से ज्यादा राजनीतिक गहमागहमी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के चार करीबियों के यहां पड़े छापों की रही। इसके बाद इत्र कारोबारी पीयूष जैन के यहां छापे में 170 करोड़ की नकदी मिलने से उप्र की राजनीति में हलचल है। माना जा रहा है ये रकम चुनाव में खर्च के लिए जुटाई गई थी।
चुनाव आयोग की टीम 28 को परखेगी राज्य के हालात को
मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा की टीम 28 से 30 दिसंबर तक लखनऊ में रहेगी। राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक भी होगी, जिसमें राजनीतिक दलों की ओर से आयकर के छापे व इलाहाबाद हाईकोर्ट के चुनाव टालने की सुझाव पर चर्चा होगी। अफसरों के साथ बैठक कर निष्पक्ष चुनाव की तैयारियों की समीक्षा होगी। दल संवेदनशील व अति संवेदनशील पोलिंग बूथों व सुरक्षा इंतजामों की जानकारी लेगा, जिससे कि चुनावों के चरण तय किए जा सकेंगे।
पार्टियां विधानसभा क्षेत्रों में तेजी से भेज रहींं प्रचार सामग्री
जनता को कोरोना की तीसरी लहर का डर सता रहा है। लेकिन नेताओं को नहीं, उनका मानना है कि चुनाव टलना संभव नही है। पार्टियों की ओर से चुनाव के लिए प्रचार सामग्री सहित अन्य जरूरी तमाम जरूरी संसाधन अभी से विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचाए जा रहे हैं। चर्चा के अनुसार छापों से बसपा के संभावित प्रत्याशी ज्यादा डरे हैं, क्योंकि पार्टी काे मदद के तौर पर 3 करोड़ तक देने पड़ते हैं। छापेमारी के माहौल में रकम को ले जाने ले आने को सुरक्षित नही माना जा रहा है।
छोटे कारोबारियों को ज्यादा खर्च से मिलेगा लाभ
लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र के प्रोफसर मनोज अग्रवाल ने कहा कि छापों से चुनावी खर्च पर कोई फर्क नही पड़ेगा। क्योंकि चुनावों से पहले आयकर छापे अब परंपरा के समान बन गए हैं। चुनाव में खर्च से कोरोना के कारण मौके गंवाने वाले छोटे कारोबारियों को लाभ ही होगा। बशर्ते कोरोना संक्रमण ज्यादा न फैले।
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