New Lancet study came out, the safety of the vaccine decreases after three months | क्या आपने लगवाई है कोविशील्ड वैक्सीन? अगर हां तो, आपको बरतनी होगी ज्यादा सावधानी! जानिए क्यों – Bhaskar Hindi

New Lancet study came out, the safety of the vaccine decreases after three months | क्या आपने लगवाई है कोविशील्ड वैक्सीन? अगर हां तो, आपको बरतनी होगी ज्यादा सावधानी! जानिए क्यों – Bhaskar Hindi

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डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर दुनिया भर के देश चिंतित है। ऐसे में हर किसी के मन में एक सवाल उठता है कि, आखिर वैक्सीन से कितनी सुरक्षा हो सकती है? कोरोना से बचाव में वैक्सीन की प्रभावशीलता को जानने के लिए लैंसेट ने एक स्टडी की और पाया कि, कोरोना से बचने के लिए ली गई वैक्सीन की सुरक्षा तीन महीने बाद कम हो जाती है। लैंसेट के शोधकर्ताओं ने ब्राजील के 4.2 करोड़ लोग और स्कॉटलैंड के 20 लाख लोगों के डेटा का विश्लेषण किया हैं। 

स्टडी की मानें तो, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के दोनों डोज से मिली सुरक्षा तीन महीने बाद कम हो जाती हैं। बता दें कि, भारत में भी ज्यादातर लोगों को एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन दी गई है। इसकी सुरक्षा तीन महीने बाद कम होने को लेकर कहा गया है कि गंभीर बीमारी से सुरक्षा बनाए रखने के लिए बूस्टर लगवाने की जरुरत है।

स्टडी में इन बातों को किया गया दावा 

  • लैंसेट के शोधकर्ताओं ने ब्राजील के 4.2 करोड़ और स्कॉटलैंड के 20 लाख लोगों पर एक रिसर्च की
  • जिसमें पाया गया कि, स्कॉटलैंड मे दूसरी डोज लेने के दो हफ्ते के बाद की तुलना में डोज लेने के पाँच महीने बाद अस्पताल में भर्ती हुए या कोरोना से मरने वालों की संख्या में पाँच गुना की वृद्धि हुई है।
  • शोधकर्ताओं को वैक्सीन की प्रभावशीलता लगभग तीन महीनों बाद गिरती हुई दिखाई दी।
  • शोध में कहा गया कि, दूसरी डोज के दो सप्ताह की तुलना में तीन महीने बाद अस्पताल में भर्ती होने पर मौत का खतरा बढ़ कर दोगुना हो जाता है। 
  • स्कॉटलैंड और ब्राजील से शोधकर्ताओं ने बताया कि वैक्सीन की दूसरी डोज लेने के चार महीने बाद इसका असर और कम हो जाता है।
  • ब्रिटेन के एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अजीज शेख की मानें तो, ‘महामारी से लड़ने में वैक्सीन बहुत जरुरी है। उनकी प्रभावशीलता में कमी चिंता का विषय है। 
  • ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की प्रभावशीलता में पहली बार गिरावट कब होती है, इसकी पहचान कर, बूस्टर प्रोग्राम तैयार करना चाहिए। जिससे कि सुरक्षा को सुनिश्चित की जा सके। 
  • शोधकर्ताओं के अनुसार, वैक्सीन की प्रभावशीलता का असर कम होने का असर नए वैरिएंट पर भी पड़ने की संभावना है। 
  • विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि लैंसेट ने जो स्टडी की है उनके आंकड़ो को सावधानी के साथ समझना चाहिए क्योंकि वैक्सीन लगवाने वाले और न लगवाने वालों की कोई तुलना नहीं कर सकते। अभी तक ज्यादातर बुजुर्गों को वैक्सीन लग चुकी हैं
  • प्रोफेसर श्रीनिवास विट्टल कातिकिरेड्डी ने कहा- ‘स्कॉटलैंड और ब्राजील दोनों के डेटा विश्लेषण से पता चलता है कि कोविड-19 से सुरक्षा में ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की प्रभावशीलता में काफी कमी आई है। हमारा काम बूस्टर पर प्रकाश डालना है, भले ही आपने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की दोनों डोज लगवा ली हो।

 

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