कांग्रेस कैंपेन कमेटी की मीटिंग दिल्ली में: सुनील जाखड़ के साथ CM चन्नी और सिद्धू जाएंगे दिल्ली; कलह के बाद सोनिया को दिए जा चुके अधिकार

कांग्रेस कैंपेन कमेटी की मीटिंग दिल्ली में: सुनील जाखड़ के साथ CM चन्नी और सिद्धू जाएंगे दिल्ली; कलह के बाद सोनिया को दिए जा चुके अधिकार

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चंडीगढ़10 मिनट पहले

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कांग्रेस कैंपेन कमेटी की मीटिंग दिल्ली में: सुनील जाखड़ के साथ CM चन्नी और सिद्धू जाएंगे दिल्ली; कलह के बाद सोनिया को दिए जा चुके अधिकार

कैंपेन को लेकर कांग्रेस में खानाजंगी मची हुई है।

पंजाब चुनाव के लिए बनी कांग्रेस कैंपेन कमेटी की आज दिल्ली में मीटिंग होगी। जिसमें कमेटी चेयरमैन सुनील जाखड़ के साथ CM चरणजीत चन्नी और पार्टी प्रधान नवजोत सिद्धू भी शामिल होंगे। पंजाब कांग्रेस के इंचार्ज हरीश चौधरी मंगलवार शाम को ही दिल्ली पहुंचकर हाईकमान को रिपोर्ट दे चुके हैं।

इससे पहले चंडीगढ़ में हुई मीटिंग के दौरान कांग्रेसी नेताओं में कैंपेन को लेकर कलह हो गई थी। जिसके बाद सारे अधिकार पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को दे दिए गए थे। इसलिए अब कांग्रेस हाईकमान पंजाब में प्रचार के लिए रणनीति बना रहा है।

कुछ दिन पहले चंडीगढ़ में हुई मीटिंग में कोई सहमति नहीं बन सकी थी

कुछ दिन पहले चंडीगढ़ में हुई मीटिंग में कोई सहमति नहीं बन सकी थी

सिद्धू ने साधे थे चन्नी-रंधावा पर निशाने

एक हफ्ते पहले कांग्रेस कैंपेन कमेटी की पहली मीटिंग चंडीगढ़ में हुई थी। जिसकी अध्यक्षता कैंपेन कमेटी के चेयरमैन सुनील जाखड़ ने की थी। जाखड़ ने पूछा था कि हमारा प्रचार व्यक्ति, उपलब्धि या विश्वसनीयता में से किस पर आधारित होना चाहिए। इस पर सिद्धू कह बैठे कि हर घर में जिसकी फोटो लगी है, वोट भी उन्हीं से डलवा लो।

सिद्धू की यह बात सीएम चरणजीत चन्नी के लिए मानी गई लेकिन तब वह वहां मौजूद नहीं थे। सिद्धू ने अप्रत्यक्ष तरीके से डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा पर भी निशाना साधा कि नेताओं के रिश्तेदारों को अहम पदों से हटाया जाए। रंधावा के दामाद तरूणवीर लहल को पंजाब सरकार ने एडिशनल एडवोकेट जनरल लगाया है।

साढ़े 3 घंटे की मीटिंग में नहीं हुआ था फैसला

चंडीगढ़ में यह मीटिंग करीब साढ़े 3 घंटे चली। हालांकि कांग्रेस किसी अंतिम नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। कांग्रेस चाहती थी कि पंजाब में 32% SC वोट बैंक को देखते हुए सीएम चरणजीत चन्नी को आगे कर चुनाव लड़ा जाए। हालांकि सिद्धू के रवैए को देखते हुए इस पर बात नहीं बनी।

उपलब्धि को लेकर कांग्रेस नहीं जाना चाहती क्योंकि फिर इसका फायदा साढ़े 4 साल सीएम रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह उठा सकते हैं। जो इस बार भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। विश्वसनीयता को लेकर भी प्रचार संभव नहीं क्योंकि कांग्रेस 2017 के बेअदबी और ड्रग्स केस में इंसाफ के अलावा बेरोजगारी, किसानों की कर्ज माफी जैसे अपने बड़े चुनावी वादे पूरे नहीं कर सकी।

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