नेशनल मैथमेटिक्स डे: सूरज उगने से लेकर सूर्यास्त तक हर चीज में कहीं न कहीं गणित है; मैथ से डरें नहीं, समझें और प्रैक्टिस करें

नेशनल मैथमेटिक्स डे: सूरज उगने से लेकर सूर्यास्त तक हर चीज में कहीं न कहीं गणित है; मैथ से डरें नहीं, समझें और प्रैक्टिस करें

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  • There Is Mathematics In Everything From The Rising Of The Sun To The Sunset; Don’t Be Afraid Of Math, Understand And Practice

कोलकाता14 मिनट पहलेलेखक: सोमा नंदी

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नेशनल मैथमेटिक्स डे: सूरज उगने से लेकर सूर्यास्त तक हर चीज में कहीं न कहीं गणित है; मैथ से डरें नहीं, समझें और प्रैक्टिस करें

कोलकाता की नीना गुप्ता को प्रतिष्ठित रामानुजम अवॉर्ड से नवाजा गया है। भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई) में प्रोफेसर नीना को जारिस्की कैंसिलेशन प्रॉब्लम का हल ढूंढ़ने के लिए यह सम्मान दिया गया है।

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अगर आप भी उन बच्चों में हैं, जो मैथफोबिया का शिकार हैं और सोचते हैं कि मैथ नहीं आएगी तो क्या हो जाएगा? तो जान लीजिए कि रोज सुबह से लेकर रात तक हर चीज में कहीं न कहीं गणित है। अगर आपने इससे प्यार न किया तो ये सारी जिंदगी आपको ऐसे ही डराएगी। आज नेशनल मैथमेटिक्स डे पर जानी-मानी गणितज्ञ नीना गुप्ता से जानिए कि इस डर को कैसे दूर करें और इसे अपनी जिंदगी का अहम हिस्सा कैसे बनाएंं

सवालों को रोजमर्रा की चीजों से जोड़ लें…मैथ से कभी बोर नहीं होंगे

आपने गणित की क्या पहेली सुलझाई है, हमें आसान शब्दों में बताएं।
ये थोड़ा मुश्किल है। मैं कोशिश करती हूं। मान लीजिए, A गुणा X= A गुणा Y
है, तो अमूमन हम दोनों तरफ से ए को कैंसिल करके X=Y कर देते हैं लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता। उदाहरण के लिए अगर A की वैल्यू शून्य हो तो इसका हल शून्य हो जाएगा, दोनों तरफ से शून्य कैंसिल नहीं किया जा सकता।
मैथ से डरने वालों को कुछ टिप्स दें?
मैथ से डरें नहीं। गेम की तरह खेलें। चैलेंज की तरह लें। सबसे पहले फॉर्मूला या कांसेप्ट समझें। खूब प्रैक्टिस करें। धीरे-धीरे रुचि जागेगी और आपको मैथ से प्यार हो जाएगा। सवालों को रोजमर्रा की चीजों से जोड़ें तो बोरिंग नहीं लगेगा।
कई बच्चों को लगता है कि मैथ हमारे लिए नहीं बनी, नहीं आएगी तो क्या होगा?
मैथ से बच नहीं सकते। सूरज उगने से लेकर सूर्यास्त तक हर चीज में कहीं न कहीं मैथ है। आप जिस टेबल पर बैठते हैं, उसके चार पैर भी गणित की नापतौल से बने हैं। जो घड़ी आप देखते हैं, उसमें भी मैथ है। चाय बनानी हो या खाना, किसमें कौन-सी चीज कितनी डालनी है, इसमें भी कहीं न कहीं मैथ ही है। पैसों का लेन-देन हो या चीजों का, मैथ ही है।
मैथ के लिए आप कैसे प्रेरित हुईं?
बचपन से ही गणित में रुचि थी। मैथ मेरी जिंदगी थी। लेकिन इसमें करियर भी हो सकता है, ये नहीं पता था। रिसर्च का तो कोई आइडिया ही नहीं था। लगता था नए-नए फॉर्मूले बनाएंगे, जिनसे किताबें और भर जाएंगी। आईएसआई की एक प्रोफेसर ने मुझे प्रेरित किया। फिर मैंने पीएचडी की। गणित मेरा पैशन थी, पढ़ना अच्छा लगता था और बस पढ़ती गई। इसीलिए आज ये मुकाम मिला।

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