टीकरी बॉर्डर पर समेटना शुरु किया सामान: मेट्रो स्टेशन के नीचे किसानों ने हटाई झोपड़ी-टेंट; घर वापसी से पहले हेलीकॉप्टर से होगी फूलों की बारिश

टीकरी बॉर्डर पर समेटना शुरु किया सामान: मेट्रो स्टेशन के नीचे किसानों ने हटाई झोपड़ी-टेंट; घर वापसी से पहले हेलीकॉप्टर से होगी फूलों की बारिश

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बहादुरगढ़3 मिनट पहले

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टीकरी बॉर्डर पर समेटना शुरु किया सामान: मेट्रो स्टेशन के नीचे किसानों ने हटाई झोपड़ी-टेंट; घर वापसी से पहले हेलीकॉप्टर से होगी फूलों की बारिश

बहादुरगढ़ के श्री राम शर्मा मेट्रो स्टेशन के नीचे झोपड़ी व टेंट हटाते हुए किसान।

टीकरी बॉर्डर पर चल रहा आंदोलन अब किसी भी वक्त खत्म हो सकता है। कृषि कानूनों की वापसी के बाद अब किसानों की अन्य मांगों पर भी सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के बीच सहमति बन गई है। यहीं कारण है कि गुरुवार को टीकरी बॉर्डर पर किसानों ने अपने टेंट और झोपड़ी सड़क से उखाड़ सामान समेटना शुरु कर दिया है। किसान सामान ट्रैक्टर और अन्य वाहनों में लाद रहे है, जिससे घर वापसी का ऐलान होते ही रवाना हो सकें। हालांकि अभी संयुक्त किसान मोर्चा के घर वापसी के ऐलान का इंतजार किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि टीकरी बॉर्डर पर रोजाना होने वाली सभा गुरुवार को आखिरी होगी। शुक्रवार सुबह से ही किसान घरों की तरफ रवानगी कर देंगे। खासकर पंजाब के किसानों ने अपना सामान पैक कर लिया है। खास बात यह है कि घर रवाना होने से पहले टीकरी बॉर्डर स्थित आंदोलन स्थल पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाए जाएंगे। सड़क को पूरी तरह साफ होने में अभी 4 से 5 दिन का समय लग सकता है, क्योंकि 15 किलो मीटर तक किसानों के टेंट और झोपड़ी बनी हुई है। इनमें बहुत सी पक्की झोपड़ियां भी शामिल है।

झोपड़ी को हटाते हुए किसान।

झोपड़ी को हटाते हुए किसान।

बता दें कि 3 नए कृषि कानूनों की वापसी सहित कुछ अन्य मांगों को लेकर पिछले साल 26 नवंबर को सिंघु, गाजीपुर और टीकरी बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन शुरु हुआ था। एक साल से भी ज्यादा समय तक चले इस आंदोलन में किसानों ने एक तरह से बॉर्डर ही अपने घर बसा लिए थे। तमाम सुविधाओं से लैस झोपड़ी व टेंटों में रहकर किसानों ने लंबा संघर्ष किया और अब कृषि कानूनों की वापसी होने के साथ ही किसानों की अन्य मांगों पर संयुक्त किसान मोर्चा और सरकार के बीच सहमति बन चुकी है। किसानों की तरफ से संयुक्त किसान मोर्चा के घर वापसी करने की घोषणा का इंतजार किया जा रहा है।

एक साथ घर वापसी संभव नहीं
किसानों की तरफ से सामान समेटना शुरु किया गया है। हालांकि अभी किसानों की एक साथ घर वापसी संभव नहीं है, क्योंकि पक्‍के तंबू और टैंटों को हटाने में अभी 4 से 5 दिन का वक्‍त लग सकता है। गुरुवार को बहादुरगढ़ के श्रीराम शर्मा मेट्रो स्टेशन के नीचे किसानों ने अपने टेंट और झोपड़ी हटानी शुरु कर दी है। इसके अलावा भी कुछ अन्य जगह किसान झोपड़ी व टेंट हटाकर सामान ट्रैक्टर में डाल रहे है। दूसरी तरफ महिलाओं की संख्‍या बॉर्डर पर बहुत कम हो गई है। रोजाना होने वाली सभा और मंच गुरुवार को तो सजा, लेकिन शुक्रवार को बॉर्डर पर सभा नहीं होगी। किसानों का कहना है कि कृषि कानूनों की वापसी के बाद एमएसपी पर कमेटी बनाने और एक साल में दर्ज हुए मुकदमों पर लिखित आश्वासन पर सहमति बन गई है। हालांकि संगीन धाराओं में दर्ज मुकदमों का पेंच अभी भी फंसा हुआ है।

सामान समेटकर ट्रॉली में डालते हुए।

सामान समेटकर ट्रॉली में डालते हुए।

हेलीकॉप्टर से बरसाएंगे फूल
टीकरी बॉर्डर पर डटे किसानों ने बताया कि घर वापसी से पहले हेलीकॉप्टर से टीकरी बॉर्डर स्थित आंदोलन स्‍थल पर फूल बरसाए जाएंगे। घर जाने में किसी प्रकार की परेशानी ना हो इसके लिए एंबुलैंस की की व्‍यवस्‍था भी गई है, जो किसानों के जत्थे के साथ-साथ चलेगी। आज टीकरी बॉर्डर पर आखिरी सभा हो रही है, कल से सभा भी बंद हो जाएगी। इतना ही नहीं पंजाब के किसान बोहा मंडी में रुकेंगे, फिर यहां से अपने-अपने जिलों में पहुंचेंगे।

देर रात किसानों ने मनाया जश्न
बुधवार की रात संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में सहमति बनने के बाद किसानों को भी पता चल गया है कि किसी समय घर वापसी का ऐलान हो सकता है। यहीं कारण है कि बैठक के तुरंत बाद देर रात टीकरी बॉर्डर पर किसानों ने जश्न मनाया। काफी किसान ऐसे है, जिन्होंने एक साल में एक बार भी घर जाकर नहीं देखा। ऐसे किसानों का फूल-मालाओं से सम्मान किया गया। इतना ही नहीं किसान एकता के नारे लगाते हुए जमकर डांस भी किया। आंदोलनकारियों का कहना है कि यह उनकी बहुत बड़ी जीत है। जो संकल्प लेकर घर से निकलते थे वो अब पूरा हो गया है। यह किसानों की ताकत ही है कि सरकार को उनके आगे झुकना पड़ा।

टीकरी बॉर्डर पर झोपड़ी से सामान उतारते हुए किसान।

टीकरी बॉर्डर पर झोपड़ी से सामान उतारते हुए किसान।

बॉर्डर खुलने से मिलेगी राहत
एक साल से टीकरी बॉर्डर बंद होने से स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि बहादुरगढ़ ओद्योगिक क्षेत्र को भी काफी नुकसान झेलना पड़ा। रास्तों को खुलवाने के लिए उद्योगपतियों को मानव अधिकार आयोग से लेकर कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाना पड़ा, लेकिन अब आंदोलन खत्म हो रहा है। ऐसे में स्थानीय लोगों के साथ-साथ ओद्योगपतियों को भी फिर से काम पटरी पर लौटने की उम्मीद है। हालांकि पूरी तरह रास्ता साफ होने में अभी कुछ दिन और लग सकते है। किसानों की तरफ से कहा गया है कि वह सड़क को पूरी तरह साफ करके ही घर लौटेंगे।

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