RBI मॉनिटरी पॉलिसी: रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में नहीं किया बदलाव, आने वाले दिनों में बढ़ सकती है महंगाई

RBI मॉनिटरी पॉलिसी: रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में नहीं किया बदलाव, आने वाले दिनों में बढ़ सकती है महंगाई

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नई दिल्ली15 मिनट पहले

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RBI मॉनिटरी पॉलिसी: रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में नहीं किया बदलाव, आने वाले दिनों में बढ़ सकती है महंगाई

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने आज अपनी दो महीनों में होने वाली (द्विमासिक) मौद्रिक नीति समीक्षा के नतीजों की घोषणा की। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसके नतीजों का ऐलान करते हुए बताया कि रेपो और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यानी अब लोन की दरों में कोई राहत नहीं मिलेगी और आपके निवेश परन भी ज्यादा ब्याज मिलने की संभवना कम हो गई है।

RBI ने लगातार नवीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 6 दिसंबर को शुरू हुई थी जो इस कैलेंडर वर्ष में समिति की आखिरी बैठक थी।

GDP ग्रोथ का अनुमान 9.5% बरकरार रखा
RBI ने इस वित्त वर्ष 2021-22 के लिए GDP ग्रोथ अनुमान 9.5% बरकरार रखा है। एक्सपर्ट्स ने पहले ही यह कहा था कि अर्थव्यवस्था में रिकवरी को और मजबूत करने के लिए RBI अभी दरों में बढ़ोतरी या कमी नहीं करेगा।

रिजर्व बैंक के मुताबिक इस वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में GDP ग्रोथ 6.6% और चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में 6% रह सकती है।

जनवरी से बढ़ सकती है महंगाई
शक्तिकांत दास ने कहा कि महंगाई हमारे पहले के अनुमान के मुताबिक ही है। रबी की अच्छी फसल होने की वजह से आगे कीमतें कम होंगी। सब्जियों की कीमत में भी कमी आ सकती है। हालांकि इस वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में महंगाई पीक पर जाएगी, लेकिन उसके बाद इसमें कमी आएगी।

कोरोना की दूसरी लहर के झटकों से उबर रही इकोनॉमी
केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2022 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) इंफ्लेशन के 5.3% पर रहने का अनुमान लगाया है। RBI गवर्नर ने कहा कि दूसरी लहर के झटकों से इकोनॉमी उबर रही है और इसमें तेजी आ रही है लेकिन यह लंबे समय तक कायम होती नहीं दिख रही है। शक्तिकांत दास के मुताबिक इकोनॉमिक रिकवरी लंबे समय तक बनी रहे, इसके लिए पॉलिसी सपोर्ट जरूरी है।

बढ़ सकती है तेल की मांग
उन्होंने बताया कि आंकड़ों से मांग के सुधरने के संकेत मिल रहे हैं। एग्रीकल्चर सेक्टर की मदद से ग्रामीण मांग में भी सुधार हो रहा है। शक्तिकांत दास ने कहा कि तेल की एक्साइज ड्यूटी और वैट में कटौती से मांग में बढ़ोतरी की संभावना है।

फीचर फोन के लिए तैयार होगा UPI सिस्टम पेमेंट सिस्टम
शक्तिकांत दास ने कहा कि डिजिटल पेमेंट में विभ‍िन्न चार्जेज को किफायती बनाने के लिए एक स्टडी की जाएगी। डिजिटल पेमेंट को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए फीचर फोन आधारित UPI सिस्टम पेमेंट सिस्टम तैयार किया जाएगा। इसी तरह रिटेल डायरेक्ट जीसेक और आईपीओ में UPI से पेमेंट करने की लिमिट 2से बढ़ाकर 3 लाख किया जाएगी।

रेपो रेट क्या है?
रेपो रेट उसे कहते हैं जिस पर बैंक शॉर्ट-टर्म बेसिस पर RBI से लोन लेते हैं। अभी लोन की दर 4% है। पॉलिसी के तहत, बैंकों को गवर्नमेंट सिक्योरिटीज को कोलेटरल के रूप में RBI को देना होता है और बाद में पूर्व-निर्धारित समय पर वापस खरीदना होता है। रेपो रेट के जरिए RBI लिक्विडिटी को रेगुलेट करता है।

रेपो रेट जितना ज्यादा होगा उतना महंगा ही बैंकों के लिए RBI का लोन होगा। अगर बैंको को RBI से महंगा लोन मिलेगा तो उन्हें भी अपने लोन की दरों को बढ़ाना होगा और ग्राहकों की EMI पर इसका सीधा असर होगा। RBI रेपो रेट को तब कम करता है जब इकोनॉमिक ग्रोथ को सपोर्ट करने के लिए मार्केट में ज्यादा पैसा इंफ्यूज करने की जरूरत होती है।

रिवर्स रेपो रेट क्या है?
रिवर्स रेपो वह रेट है जिस पर RBI बैंकों से पैसा लेता है। फिलहाल RBI फिक्स्ड रेट रेपो विंडो में 3.35% पर बैंको से पैसा लेता है। हालांकि, उस विंडो में पैसे लेने की अधिकतम सीमा 2 लाख करोड़ रुपए हैं।

बैंक अपने बैलेंस एक्सेस लिक्विडिटी को वेरिएबल रेट रिवर्स रेपो (वीआरआरआर) ऑक्शन्स में RBI को उधार दे सकते हैं। ये 7-दिन, 14-दिन या 28-दिन के रिवर्स रेपो ऑक्शन होते हैं। फिलहाल की स्थिति में इन ऑक्शन्स में बैंकों को 3.8%-3.99% का इंटरेस्ट मिल रहा है।

जब इकोनॉमी में महंगाई बढ़ जाती है, तब RBI रिवर्स रेपो रेट को बढ़ाकर बैंकों को सेंट्रल बैंक में पैसा जमा करने के लिए प्रोत्साहित करता है। इससे मार्केट में मौजूद एक्सेस फंड को अब्जॉर्ब करने में मदद मिलती है।

रेपो और रिवर्स रेपो में 65 बेसिस पॉइंट का अंतर
सामान्य तौर पर रेपो और रिवर्स रेपो रेट का अंतर 25 बेसिस पॉइंट का होता है, लेकिन RBI ने कोविड-19 के दौरान अंतर को 65 बेसिस पॉइंट तक बढ़ने दिया है।
2018 और 2019 में सुस्ती और 2020 में COVID-19 के फैलने से भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत बहुत खराब हो गई थी। ऐसे में दुनिया के अधिकांश केंद्रीय बैंकों की तरह, भारतीय रिजर्व बैंक ने भी इकोनॉमी को बूस्ट देने के लिए ब्याज दरों में कटौती की।

अभी भी इकोनॉमी पर से कोरोना का संकट खत्म नहीं हुआ है। RBI ने महामारी के बाद से ही बॉन्ड और डॉलर खरीदकर और पैसे प्रिंट कर सिस्टम में सरप्लस लिक्विडिटी सुनिश्चित की है।

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