विलुप्त होती प्रजाति बचाने की कवायद: पंजाब में वन्य जीव विभाग ने संरक्षण के लिए तीसरे चरण में ब्यास नदी में छोड़े 24 घड़ियाल
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जालंधर15 मिनट पहले
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गांव कुल्ला फत्ता में ब्यास नदी में घड़ियाल छोड़ते विभाग की टीम।
पंजाब के वन्य जीव संरक्षण विभाग ने 24 घड़ियाल टांडा के गांव कुल्ला फत्ता में ब्यास नदी में छोड़े। प्रदेश की नदियों में विलुप्त हो चुकी घड़ियाल प्रजाति को संरक्षित करने के लिए यह प्रयास किया गया है। इससे पहले भी दो चरणों में घड़ियाल नदियों में छोड़े जा चुके हैं।
पंजाब के मुख्य जंगली जीव वार्डन आरके मिश्रा ने बताया कि 1960 के दशक में घड़ियाल की प्रजाति ब्यास नदी में आम पाई जाती थी। इसके बाद धीरे-धीरे नदी से इनका अस्तित्व खत्म हो गया। भारत की गंगा, यमुना, चंबल के साथ-साथ नेपाल और बांग्लादेश की कुछ नदियों में यह बहुत ही कम संख्या में बचे हैं।
टांडा के गांव कुल्ला फत्ता में घड़ियाल छोड़ने की जानकारी लेते मंत्री गिलजियां।
मंत्री गिलजियां की मौजूदगी में छोड़े घड़ियाल
नदी में इसका अस्तित्व ही खत्म हो जाने पर सीधा असर हमारे ईको सिस्टम पर पड़ता है। इसे अब सुधारते हुए वन्य जीव विभाग ने दोबारा फिर से ब्यास नदी में इनका अस्तित्व बरकरार रखने के लिए नदी में घड़ियाल छोड़े हैं। वन्य जीव विभाग ने यह घड़ियाल विभाग के मंत्री संगत सिंह गिलजियां की मौजूदगी में छोड़े। गिलजियां ने कहा कि इससे पहले ब्यास नदी में जो घड़ियाल छोड़े गए थे उनके नतीजे अच्छे रहे हैं। इनकी संख्या में 40 से 50 फीसदी तक इजाफा हुआ है।
टांडा के गांव कुल्ला फत्ता में ब्यास नदी में घड़ियाल छोड़ते विभाग की टीम।
पहले भी छोड़े जा चुके हैं नदियों में घड़ियाल
पुनर्वास प्रोजेक्ट के तहत पहले भी पंजाब की नदियों में घड़ियाल छोड़े जा चुके हैं। प्रधान मुख्य वनपाल और मुख्य जंगली जीव वार्डन आरके मिश्रा ने बताया कि जिला अमृतसर व तरनतारन में 2017-18 के दौरान 47 घड़ियाल छोड़े गए थे। दूसरे चरण के अंतर्गत वर्ष 2020-21 में होशियारपुर जिले के सलेमुपर व टाहली जंगल के साथ लगते ब्यास कंजरवेशन रिजर्व इलाके में घड़ियालों के लिए अनुकूल टापू का चुनाव कर 23 घड़ियाल इस टापू पर छोड़े गए थे।
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