किसानों की घर वापसी एकमत नहीं संगठन: पंजाब के 32 किसान संगठनों की आज फिर सिंघु बॉर्डर पर मीटिंग; टिकैत-चढ़ूनी आंदोलन जारी रखने पर अड़े
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चंडीगढ़33 मिनट पहले
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पंजाब के किसान संगठनों ने सोमवार को भी सिंघु बॉर्डर पर मीटिंग की थी।
केंद्र सरकार के 3 कृषि कानून वापस लेने के बाद आंदोलन खत्म करने पर किसान संगठनों में पेंच फंसता नजर आ रहा है। पंजाब के किसान संगठन आंदोलन खत्म करने को लगभग सहमत हैं। वह जीत का जश्न भी मना रहे हैं। हालांकि राकेश टिकैत और गुरनाम चढ़ूनी आंदोलन जारी रखने पर अड़े हुए हैं। इसे देखते हुए पंजाब के 32 किसान संगठनों ने मंगलवार दोपहर फिर सिंघु बॉर्डर पर मीटिंग बुला ली है।
इसमें किसान आंदोलन खत्म कर घर वापसी को लेकर मंथन होगा। यह भी चर्चा होगी कि अगर कुछ किसान नेता घर वापसी पर सहमत नहीं है तो पंजाब के किसान संगठनों को क्या कदम उठाना चाहिए? हालांकि पंजाब के किसान नेता चाहते हैं कि सर्वसम्मति से ही इसका फैसला हो। ताकि किसानों की एकता को लेकर कोई गलत संदेश न जाए।
कृषि कानून वापसी पर पंजाब के किसान सहमत
केंद्र सरकार ने तीन कृषि सुधार कानून वापस ले लिए हैं। लोकसभा और राज्यसभा में पास होने के बाद अब इस पर राष्ट्रपति की मुहर बाकी है। सोमवार को पंजाब के किसान संगठनों ने मीटिंग कर घर वापसी पर सहमति दी थी। इससे पहले उन्होंने बाकी मांगों को लेकर केंद्र सरकार को एक दिन का अल्टीमेटम दिया था।
घर वापसी के बारे में औपचारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया, क्योंकि वह संयुक्त किसान मोर्चा की फैसला लेने वाली कमेटी की मुहर लगने का इंतजार कर रहे हैं। बुधवार को मोर्चे की फैसला लेने वाली 42 मेंबरी कमेटी की मीटिंग भी बुला ली गई है।
पंजाब के किसान संगठन एक दिन पहले मीडिया में अपनी बात रखते हुए।
पंजाब के किसान संगठनों का तर्क
पंजाब के किसान नेताओं का कहना है कि उनकी मुख्य मांग 3 कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने की थी। इसे केंद्र ने एक ही दिन में लोकसभा और राज्यसभा से पास करवा दिया। पराली और बिजली एक्ट से किसानों को बाहर निकाल दिया।
अब वह चाहते हैं कि MSP पर सरकार कमेटी बनाकर किसानों को शामिल करें। इसके साथ आंदोलन में मरे किसानों के परिवारों को मुआवजा और राज्य सरकारों को केस रद्द करने को कहे। इसको लेकर केंद्र की सहमति नजर आ रही है।
टिकैत-चढ़ूनी MSP कानून मांग रहे
किसान नेता राकेश टिकैत और गुरनाम चढ़ूनी केंद्र सरकार से MSP गारंटी कानून की मांग कर रहे हैं। खास बात यह है कि पंजाब के किसान आंदोलन खत्म करने को लेकर जहां संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के फैसले को सुप्रीम कह रहे हैं। वहीं, टिकैत और चढ़ूनी सीधे कह रहे हैं कि आंदोलन खत्म नहीं होगा।
कुछ दिन पहले टिकैत ने अमृतसर आकर यह भी कहा कि अगर कोई किसानों को पूछे कि कृषि कानून वापसी के बाद भी आंदोलन खत्म क्यों नहीं हुआ तो वह मौन धारण कर लें।
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