कोरोना के नए वैरिएंट पर एक्सपर्ट व्यू: बुजुर्ग और गंभीर बीमारियों से जूझते लोग वैक्सीनेशन के बाद भी हाई रिस्क में, इन्हें तुरंत बूस्टर डोज लगे

कोरोना के नए वैरिएंट पर एक्सपर्ट व्यू: बुजुर्ग और गंभीर बीमारियों से जूझते लोग वैक्सीनेशन के बाद भी हाई रिस्क में, इन्हें तुरंत बूस्टर डोज लगे

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नई दिल्ली5 मिनट पहले

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कोरोना के नए वैरिएंट पर एक्सपर्ट व्यू: बुजुर्ग और गंभीर बीमारियों से जूझते लोग वैक्सीनेशन के बाद भी हाई रिस्क में, इन्हें तुरंत बूस्टर डोज लगे

दुनियाभर में कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर हड़कंप मचा हुआ है। इसके भारत पहुंचने की भी आशंका है। देश के टॉप वायरोलॉजिस्ट और पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसे हालात में लोगों को कोविड वैक्सीन का बूस्टर डोज देने पर तत्काल विचार किया जाना चाहिए। अमेरिका, ब्रिटेन और इजराइल जैसे देशों में पहले से ही हाई रिस्क कैटेगरी वाले लोगों को बूस्टर डोज दिया जा रहा है।

AIIMS के पूर्व डीन और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के साइंटिस्ट डॉ. एन के मेहरा ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, ‘स्टडी से पता चला है कि गंभीर रोगियों पर वैक्सीन का असर कम हुआ है। बुजुर्गों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों का वैक्सीनेशन बेहद जरूरी है। कैंसर पेशेंट और ऑर्गन ट्रांसप्लांट करवा चुके लोगों को वैक्सीन की दोनों खुराक के बावजूद बूस्टर डोज देने की जरूरत है।’

कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए देश में टेस्टिंग की संख्या फिर बढ़ा दी गई है।

कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए देश में टेस्टिंग की संख्या फिर बढ़ा दी गई है।

तीसरी डोज से वायरस का म्यूटेशन रुक सकता है
मेहरा ने कहा कि कोविड वैक्सीन संक्रमण से 100% सुरक्षा तो नहीं दे सकती, लेकिन हमारे पास इस बात का डेटा मौजूद है कि वैक्सीन हमें संक्रमण के गंभीर लक्षणों से बचा सकती है। खास तौर पर कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को गंभीर लक्षणोंं से बचाने में तीसरी डोज काफी कारगर है। लंबे समय तक संक्रमण के कारण ऐसे लोग वायरस के लिए होस्ट की तरह काम करते हैं। तीसरी डोज से ही वायरस को नए वैरिएंट में म्यूटेट होने से रोका जा सकता है।

अफ्रीका में HIV पेशेंट को ठीक होने में लंबा समय लगा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता पहली बार दक्षिण अफ्रीका में चला था। इसे HIV/AIDS के पेशेंट में पाया गया था। एक स्वस्थ व्यक्ति 2-3 हफ्ते में कोरोना से ठीक हो जाता है, जबकि कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग 2-3 महीने तक पॉजिटिव बने रहते हैं।

गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोग हाई रिस्क कैटेगरी में आते हैं और उनके लिए संक्रमण बेहद खतरनाक हो सकता है।

गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोग हाई रिस्क कैटेगरी में आते हैं और उनके लिए संक्रमण बेहद खतरनाक हो सकता है।

विदेशों से लोगों को आने से रोकना बेहद जरूरी
नई दिल्ली AIIMS में ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख डॉ. राजेश मल्होत्रा ने कहा कि हमें प्रभावित देशों से आने वाले लोगों के ट्रैवल पर रोक लगानी चाहिए और उन्हें भारत पहुंचने पर बिना देरी किए क्वारैंटाइन करना चाहिए। हमें इस वैरिएंट पर वैक्सीन के असर को भी जानने की जरूरत है। वहीं, पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. चंद्रकांत लहरिया का कहना है कि हमें तमाम उपायों के साथ भी कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर को अपनाना होगा। महामारी अभी भी खत्म नहीं हुई है।

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