पंजाब में हरीश चौधरी की चुनौती: सरकार-संगठन में तालमेल बिगड़ा हुआ; विरोधियों जैसा बर्ताव कर रहे सिद्धू को संभालना मुश्किल
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चंडीगढ़28 मिनट पहले
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पंजाब में कांग्रेस की चुनावी जीत के लिए हरीश चौधरी को राजस्थान सरकार में मंत्री पद छोड़ना पड़ा। वह पंजाब में कांग्रेस के इंचार्ज हैं। हालांकि पंजाब में उनके लिए चुनौतियां कम नहीं हैं। सबसे बड़ी मुश्किल यहां संगठन और सरकार का बिगड़ा तालमेल है। सरकार की लोक भलाई स्कीमों पर संगठन के प्रधान नवजोत सिद्धू ही सवाल उठा विरोधियों वाला बर्ताव कर रहे हैं।
वहीं, सरकार कई बड़े फैसलों में संगठन को साथ लेकर नहीं चल रही, जिससे सिद्धू खुलकर अपनी सरकार को कोस रहे हैं। सिद्धू का यह रवैया भी कांग्रेस की बड़ी मुसीबत बना हुआ है। जिसका सामना लगातार चौधरी को करना पड़ रहा है।
विरासत में मिली कलह
पंजाब कांग्रेस इंचार्ज बने हरीश चौधरी को पार्टी की कलह विरासत में मिली है। हरीश रावत के इंचार्ज रहते नवजोत सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच जंग चलती रही। जो बाद में कैप्टन के खिलाफ बगावत के रूप में उभरी। जिसके बाद कैप्टन को कुर्सी से हाथ धोना पड़ा। इसके बाद चरणजीत चन्नी सीएम बने, लेकिन दो दिन बाद ही सिद्धू ने झटके देने शुरू कर दिए। जिसे संभालने के लिए हरीश चौधरी को पंजाब का इंचार्ज लगा दिया गया।
चंडीगढ़ में सिद्धू के साथ हरीश चौधरी
चौधरी के कराए समझौते टूट रहे
हरीश चौधरी ने कई बार सिद्धू और सरकार में तालमेल बिठाने की कोशिश की। पहले पंजाब भवन में सीएम चन्नी और सिद्धू की मीटिंग कराई। इसके बावजूद सिद्धू का सरकार पर हमला जारी रहा। सिद्धू ने सरकार के बिजली बिल माफी और रेट घटाने को लॉलीपॉप करार दिया। जब पेट्रोल-डीजल के रेट घटाए तो सिद्धू ने कहा कि यह सिर्फ चुनाव तक ही है।
अगले 5 साल सस्ता तेल देने के लिए खजाने में पैसे नहीं हैं। इसके बाद चौधरी सिद्धू और सीएम को केदारनाथ ले गए। वापस लौटने के बाद सिद्धू ने फिर सरकार पर हमला बोल दिया। इसके बाद राजभवन के गेस्ट हाउस में दोनों की मीटिंग करवाई।
सीएम बनते ही चन्नी को सिद्धू इस तरह चलाना चाहते थे लेकिन कामयाब नहीं हुए
सिद्धू की जिद के आगे रावत की राह पर चौधरी
कांग्रेस का जो भी इंचार्ज पंजाब आते हैं, वह सिद्धू पर आंख मूंदकर भरोसा कर रहे हैं। पहले रावत ने सिद्धू के आगे कैप्टन अमरिंदर से मुंह फेर लिया। इसके बाद चौधरी के आने के बाद भी सरकार को झुकना पड़ा। सीएम की पसंद से बने एडवोकेट जनरल एपीएस देयोल को हटा दिया गया।
उनकी जगह अब सिद्धू की पसंद के एडवोकेट डीएस पटवालिया को नया AG बना दिया गया है। हालांकि सिद्धू अभी DGP इकबालप्रीत सहोता को हटाने की मांग पर अड़े हैं। जो पद पर कायम हैं। सिद्धू कब फिर मोर्चा खोल देंगे, इसको लेकर कांग्रेस संगठन में भी चिंता पसरी हुई है।
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CM चेहरे पर पार्टी में ही असमंजस
पंजाब में कांग्रेस के लिहाज से बड़ी चर्चा अगले चुनाव में CM चेहरे की है। सिद्धू कई बार सीएम की कुर्सी की छटपटाहट दिखा चुके हैं। अब भी वह सबको यही कह रहे हैं कि मेरे पास सिर्फ आर्गेनाइजेशन की पावर है, एडमिनिस्ट्रेशन की नहीं। सिद्धू लगातार खुद को सीएम प्रोजेक्ट कर रहे हैं। अगर यह संदेश गया तो जिन 32% SC वोट के लिए कांग्रेस ने चरणजीत चन्नी को पंजाब का पहला अनुसूचित जाति का सीएम बनाया, वो दांव फेल हो जाएगा।
चौधरी लगातार इस बात का गोलमोल जवाब देते हैं, जिसको लेकर चन्नी और सिद्धू के करीबियों में संशय का माहौल है। ऐसे में चुनाव में वे एक-दूसरे के करीबी उम्मीदवारों के लिए मुश्किल बन सकते हैं।
कैप्टन के सक्रिय होने के बाद कांग्रेस में टूट के साथ भाजपा के जुड़ने पर कांग्रेस के लिए दोहरी चुनौती है। टिकट न मिलने पर कांग्रेसी अमरिंदर के साथ जा सकते हैं।
कैप्टन का दांव भी संभालना होगा
कांग्रेस छोड़ चुके कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब लोक कांग्रेस के नाम से नई पार्टी बना चुके हैं। अभी उनकी पार्टी में कोई बड़ा नेता नहीं आया। हालांकि जब चुनाव नजदीक आएंगे और कांग्रेस में टिकट वितरण होगा तो बड़ी बगावत और टूट के आसार हैं। ऐसे में कैप्टन जो दांव चलेंगे, चौधरी के आगे उन्हें संभालने की भी बड़ी चुनौती होगी।
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