भास्कर एनालिसिस: पंजाब में AAP की हड़बड़ाहट, पार्टी को CM चेहरा मिल नहीं रहा; MLA भी छोड़कर जा रहे, दिल्ली के कंट्रोल से बढ़ा असंतोष
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चंडीगढ़एक घंटा पहलेलेखक: मनीष शर्मा
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आम आदमी पार्टी (AAP) पंजाब को लेकर हड़बड़ाहट में है। जो अचानक 10 विधायकों को उम्मीदवार घोषित करने से साफ नजर आई। दिल्ली के बाद पंजाब ही ऐसा राज्य है, जहां अरविंद केजरीवाल की पार्टी नजर आ रही थी। हालांकि नेतृत्व को लेकर पैदा हुए ‘खालीपन’ की वजह से यह जमीन भी ‘बंजर’ होती नजर आ रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह पंजाब को दिल्ली से कंट्रोल करने के प्रयासों को माना जा रहा है। इसी कारण पार्टी में असंतोष है। जिससे इसे केजरीवाल का मास्टरस्ट्रोक कम मजबूरी ज्यादा समझी जा रही है।
आलम यह है कि पंजाब विधानसभा चुनाव में तकरीबन 3 महीने बचे हैं और AAP को सूबे में CM चेहरा नहीं मिल रहा। वर्ष 2017 में ‘आप की लहर’ में जो लोग MLA बने, चुनाव नजदीक आते ही वह छोड़कर जा रहे हैं। शुक्रवार को अचानक 10 सिटिंग MLA को टिकट देकर पार्टी ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश की है।
ओबेरॉय और सूद से हुई थी बातचीत
सियासी सूत्र बताते हैं कि आम आदमी पार्टी किसी दिग्गज सिख चेहरे को ही पंजाब में CM चेहरा बनाना चाहती है। इसके लिए पार्टी नेतृत्व की दुबई के होटेलियर एसपीएस ओबेरॉय और बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद से भी चर्चा हुई। हालांकि दोनों ही सियासत से किनारा कर गए।
लोकल नेतृत्व पर भरोसा नहीं
आम आदमी पार्टी के अंदर, खासकर पंजाब में यह चर्चा आम है कि दिल्ली में बैठे नेता यहां के लोकल नेतृत्व पर भरोसा नहीं कर रहे। पार्टी के अंदर संगरूर के लोकसभा सांसद भगवंत मान को सीएम चेहरा घोषित करने की मांग लगातार उठ रही है। लेकिन ‘दिल्ली वाले’ उन पर भरोसा नहीं दिखा रहे। पंजाब में भगवंत मान पार्टी के सबसे बड़े चेहरे हैं। मोदी लहर में भी वह रिकॉर्ड मतों से संगरूर लोकसभा सीट से दूसरी बार जीते।
विरोध बर्दाश्त नहीं
यह भी कहा जाता है कि आम आदमी पार्टी के अंदर ‘दिल्ली वाले’ और खासकर अरविंद केजरीवाल किसी का विरोध बर्दाश्त नहीं करते। यह बात 2017 के चुनाव के बाद पंजाब विधानसभा में पार्टी की ओर से नेता प्रतिपक्ष रह चुके सुखपाल खैहरा भी कह चुके हैं। तब खैहरा को हटाकर हरपाल चीमा को नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया।
आप विधायक रूबी ने कांग्रेस में शामिल होकर पार्टी पर आरोप लगाए थे
विधायकों के बयान बढ़ा रहे मुश्किल
आम आदमी पार्टी के सिटिंग एमएलए के बयान भी पार्टी की मुश्किल बढ़ा रहे हैं। इसी हफ्ते कांग्रेस में शामिल होने वाली बठिंडा रूरल की विधायक रूपिंदर रूबी तो यहां तक कह चुकी हैं कि अगर भगवंत मान सीएम चेहरा नहीं बन सकते तो फिर अरविंद केजरीवाल ही होंगे। रूबी के इस बयान के बाद से ही दिल्ली नेतृत्व उनसे नाराज हो गया। 11 नवंबर को पंजाब विधानसभा के विशेष सेशन के दौरान रायकोट से आप विधायक जगतार सिंह हिस्सोवाल और जगराओं की MLA सर्वजीत कौर मानुके की CM चरणजीत सिंह चन्नी से नजदीकियां नजर आईं।
पंजाब में पार्टी के लिए इस बार अच्छा मौका
आम आदमी पार्टी के पास साढ़े 3 महीने बाद होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में अच्छा मौका है। शिरोमणि अकाली दल बेअदबी और ड्रग्स के आरोपों से उबर नहीं पाया है। इस बार भाजपा भी उसके साथ नहीं है। पंजाब में अकेले अपने बूते सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ने का दम भर रही भाजपा का सूबे में खास जनाधार नहीं है।
सत्तारूढ़ कांग्रेस आपसी झगड़ों में उलझी है और कैप्टन अमरिंदर सिंह पार्टी छोड़ चुके हैं जिनका शहरी हिंदू वोट बैंक में बड़ा आधार था। अमरिंदर सिंह नई पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। ऐसे में अगर 2022 में पंजाब में चार पक्षीय मुकाबला बनता है तो केजरीवाल की यहां लॉटरी लग सकती है।
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2017 में चौंका चुकी AAP
अन्ना हजारे के आंदोलन से उपजी आप ने वर्ष 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में सबको चौंका दिया था। नई तरह की राजनीति करने का दावा करने वाली पार्टी ने पंजाबियों को खूब प्रभावित किया। बड़ी संख्या में युवा और एलीट क्लास के लोग उससे जुड़े। चुनावी माहौल ऐसा बना कि आमजन से लेकर ब्यूरोक्रेसी तक झाड़ू वाली सरकार के स्वागत की तैयारियां कर चुके थे। हालांकि आखिरी दो दिनों में सियासत ने ऐसी पलटी खाई कि कांग्रेस ने 77 सीटें जीतते हुए सरकार बना ली और आप को सिर्फ 20 सीटें मिली। हालांकि वह अकाली-भाजपा गठबंधन को तीसरे नंबर पर पटकने में कामयाब रही।
समय के साथ बिखरती गई झाड़ू
साढ़े 4 साल पहले पंजाब में 20 सीटें जीतने वाली आप अब मुख्य विपक्षी दल का दर्जा भी खो चुकी है। उसके 7 विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं। इनमें सुखपाल खैहरा, नाजर सिंह मानशाहियां, कंवर संधू, एचएस फुल्का, पीरमल सिंह खालसा, रूपिंदर कौर रूबी और जगदेव सिंह कमालू शामिल हैं। खैहरा, रूबी, पीरमल और कमालू तो कांग्रेस जॉइन कर चुके हैं। इस समय पंजाब विधानसभा में आप के सिर्फ 13 विधायक बचे हैं जबकि शिरोमणि अकाली दल के पास 15 MLA हैं।
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जिस वजह से 2017 हारे, वही चिंता अब भी
साल 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के पास बेहतरीन मौका था। हालांकि चुनाव खत्म होने तक CM चेहरे पर बात अटक गई। विरोधियों ने कहा कि पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल खुद या किसी गैरपंजाबी को पंजाब का CM बनाना चाहते हैं। यह बात पंजाबियों को हजम नहीं हुई। केजरीवाल के सामने अब एक बार फिर सीएम चेहरे का सवाल खड़ा है।
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