छठ पूजन का दूसरा दिन आज: दिन भर व्रत रखकर शाम को खरना करेंगे व्रतधारी; शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला व्रत
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नई दिल्ली12 मिनट पहले
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लोक आस्था के महापर्व के मौके पर हाजीपुर शहर और आसपास के इलाकों से भारी संख्या में साेमवार को छठव्रती गंगा स्नान करने गंडक घाट पहुंचीं।
छठ का पावन पर्व सोमवार को नहाय खाय के साथ शुरू हो गया है। चार दिन तक चलने वाले पर्व का आज दूसरा दिन है, जिसे खरना कहा जाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन का व्रत रखते हैं। शाम को व्रती महिलाएं मिट्टी के चूल्हे पर गुड़वाली खीर का प्रसाद बनाती हैं। सुबह से ही व्रतियों ने नदियों और घाटों पर जाकर पूजा आरंभ कर दी है।
सूर्य देव की पूजा करने के बाद व्रत रखने वाले इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। खरना के अगले दिन छठी मैया और सूर्य देव की पूजा होती है। छठ का प्रसाद भी इसी दिन से बनना शुरू होता है। इसके अगले दिन यानी षष्ठी को छठ का मुख्य पूजन होता है।
छठ पूजन के पहले दिन सोमवार को यमुना के जहरीले पानी में सूर्य को अर्घ्य देती महिलाएं।
छठ पूजा का कार्यक्रम
8 नवंबर 2021, सोमवार- (नहाय-खाय) 9 नवंबर 2021, मंगलवार-(खरना) 10 नवंबर 2021,बुधवार- (डूबते सूर्य को अर्घ्य) 11 नवंबर 2021, शुक्रवार- (उगते सूर्य को अर्घ्य)
मिट़्टी के चल्हे पर बनेगा प्रसाद
खरना के दिन महिलाएं शाम को मिट्टी का नया चूल्हा बनाकर आम की लकड़ी से उसमें आग जलाती हैं और उसके बाद छठी मईया का प्रसाद बनाती हैं। प्रसाद में साठी के चावलों, गुड़ व दूध से खीर बनाई जाती है। छठ व्रतधारी सूर्य देवता और छठी मईया को यह प्रसाद अर्पित करने के लिए घुटनों तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं। आज शाम 5:29:59 बजे सूर्यास्त होगा।
कल नहाय खाय के साथ शुरू हुआ था छठ का व्रत
नहाय-खाय के दिन कद्दू-भात का प्रसाद बनाया जाता है और व्रती इसे ग्रहण करते हैं। नहाय-खाय के दिन से घर में सात्विक भोजन बनने लगता है और साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। इस दौरान व्रती भोजन में प्याज-लहसुन का इस्तेमाल नहीं करते हैं। नहाने के बाद ही भोजन बनाया जाता है। छठ पर महिलाएं उपवास करती हैं और घुटने तक गहरे पानी में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं।
बिहार में छठ पर्व की काफी धूम है। सूर्य उपासना के इस पर्व पर सोमवार को घाटों पर भारी संख्या में श्रद्धालु उमड़े।
छठ की पूजा सामग्री
छठ पूजा में विशेष सामग्रियों का इस्तेमाल होता है, जिनमें टोकरी, लोटा, फल, मिठाई, नारियल, गन्ना और हरी सब्जियां प्रमुख हैं। इसके अलावा दूध-जल के लिए एक ग्लास, शकरकंदी और सुथनी, पान, सुपारी और हल्दी, अदरक का हरा पौधा, बड़ा मीठा नींबू, शरीफा, केला और नाशपाती का इस्तेमाल होता है। साथ ही कई लोग पानी वाला नारियल, मिठाई, गुड़, गेहूं, चावल और आटे से बना ठेकुआ, चावल, सिंदूर, दीपक और शहद भी प्रसाद के तौर पर देते हैं।
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