चीन में आलोचना पर सजा: सत्ताविरोधी आवाज उठाने पर माओ की पत्नी को भी मिली थी उम्रकैद, आखिरी सांस तक लड़ी थीं फर्स्ट लेडी
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नई दिल्लीएक घंटा पहलेलेखक: दिनेश मिश्र
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कियांग को 1938 में माओ से शादी होने के बाद चीन की फर्स्ट लेडी का दर्जा हासिल था।
- चीन में 27 साल की युवती को नायक चुनुरुई की आलोचना पर सजा
- माओ की चौथी पत्नी जियांग कियांग को भी मिली थी उम्रकैद
- पूरी जिंदगी में 8 से ज्यादा नामों से रहीं चर्चित, हर बार नया अंदाज
- कम्युनिस्ट पार्टी की प्रोपेगंडा विभाग के फिल्म सेक्शन की हेड रहीं
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तानाशाही बदस्तूर जारी है। 27 वर्षीय जु नाम की महिला को चीन के ‘महापुरुष’ कम्युनिस्ट पार्टी के नेता रहे डॉन्ग चुनरुई के खिलाफ विवादित टिप्पणी करने के मामले में 7 महीने की सजा सुनाई गई है। चीन के स्कूली किताबों में चुनरुई को योद्धा का दर्जा हासिल है। दरअसल, इस महिला को ‘चीन के शहीदों और नायकों की बदनामी’ पर सजा देने वाले नए कानून के उल्लंघन के तहत सजा हुई है।
प्रशासन के खिलाफ आवाज उठाने वालों का दमन पुरानी प्रथा
यह कदम चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के उस सख्त अभियान का हिस्सा है, जिसके तहत कम्युनिस्ट पार्टी के इतिहास और उसके नेताओं पर होने वाली बहस या उनके बारे में अफवाहों को रोका जाता हे। चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी का यह कदम कोई नया नहीं है, जब भी कोई प्रशासन के खिलाफ आवाज उठाता है तो उसका दमन ऐसे ही किया जाता है।
माओ की पत्नी को भी झेलना पड़ा था सत्ता का आक्रोश
आधुनिक चीन का निर्माता कहे जाने वाले माओत्से तुंग की मौत के बाद उनकी पत्नी को भी आवाज उठाने के चलते जेल की सलाखों के पीछे जिंदगी गुजारनी पड़ी थी। आइए-जानते हैं कि चीन का महिलाओं के प्रति क्या रहा है इतिहास, माओ की पत्नी कौन थीं, जिन्होंने सत्ता की मुखालफत की थी।
राजनीति में आने से पहले अभिनेत्री थीं कियांग, गैंग ऑफ फोर की अगुवा जियांग कियांग को चीन में मैडम माओ के नाम से भी जाना जाता है। चीनी कम्युनिस्ट क्रांतिकारी रहीं कियांग राजनीति में आने से पहले अभिनेत्री भी रही थीं। वह सांस्कृतिक क्रांति की बड़ी नेता रही थीं। कियांग माओ की चौथी पत्नी थीं, लेकिन 1938 में शादी होने के बाद उन्हें चीन की फर्स्ट लेडी का दर्जा मिला था। उन्हें और उनके साथियों को गैंग ऑफ फोर कहा जाता था। उन्हें पूरे जीवन में 8 से ज्यादा नामों से जाना जाता रहा। हर बार वह नए नाम के साथ चर्चित रही थीं।
कियांग ने मंदारिन भाषा में बनी कई फिल्मों में अहम भूमिका निभाई।
कम्युनिस्ट पार्टी के प्रोपेगंडा विभाग की हेड रहीं
जियांग कियांग कम्युनिस्ट पार्टी की प्रोपेगंडा विभाग के फिल्म सेक्शन की हेड रहीं थीं। वह सांस्कृतिक क्रांति का प्रमुख चेहरा रहीं। यह जियांग कियांग के कामकाज का ही असर था कि माओ को पूरे चीन में महापुरुष की तरह पूजा जाने लगा। फिल्म, मीडिया और दूसरे सभी माध्यमों पर कियांग ने माओ के चेहरे को स्थापित कर दिया।
माओ की पत्नी जियांग कियांग और 3 सहयोगियों ने सत्ता के खिलाफ उठाई आवाज
9 सितंबर, 1976 को माओ की मौत हो गई। इसके बाद चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के बीच सत्ता के लिए संघर्ष छिड़ गया था। माओ के उत्तराधिकारी हुआ गुओपेंग ने सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली। 1976 में उसकी नीतियों का जियांग कियांग और उनके तीन सहयोगियों ने कड़ा विरोध किया। नतीजा यह हुआ कि कम्युनिस्ट पार्टी ने नया नारा जारी किया। चार गद्दारों के गिरोह का खात्मा कर दो। दिसंबर, 1976 में इन चारों को सांस्कृतिक बहाली के नाम पर गिरफ्तार कर उनके पदों से हटा दिया गया। हर ओर इन लोगों के पोस्टर लगाए गए। इसमें इनके चेहरों पर क्रॉस का निशान बनाया गया था।
कियांग काे गद्दार घोषित कर सरेआम चलाया गया मुकदमा
सत्ता पर काबिज होने वाले हुआ गुओपेंग की कुर्सी कम्युनिस्ट पार्टी में तेजी से उभर रहे एक और कॉमरेड देंग जियाओपिंग ने जल्द ही हथिया ली। देंग ने ही चीन में आर्थिक सुधारों की शुरुआत की थी। हालांकि, देंग ने भी माओ की पत्नी और उनके तीनों सहयोगियों के लिए कोई रियायत नहीं बरती। इन चारों को गद्दार घोषित कर मुकदमा चलाया गया। पहले तो इन सभी को 1981 में मौत की सजा दी गई, मगर 1983 में इनकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया। अपने मुकदमे की सुनवाई में वह वकीलों से जोरदार बहस करती रहीं, जिसे टीवी पर दिखाया जाता था। वह आखिरी वक्त तक बागी तेवर अपनाए रहीं। 1991 में उनकी मौत हो गई। कहा जाता है कि यातनाओं से आजिज आकर उन्होंने खुद अपनी जान दे दी।
10 लाख वीगर महिलाओं-पुरुषों को कैंपों में बंधक बनाया
चीन की मौजूदा शी जिनपिंग सरकार में वीगर मुस्लिमों पर भेदभाव की खबरें आती रहती हैं। बार-बार यह आरोप लगाया जाता है कि देश में वीगर मुसलमानों के लिए बनाए गए ‘री-एजुकेशन’ कैंपों में महिलाओं के साथ रेप जैसी वारदात आम हो गई है। इन्हें भीषण यातनाएं भी दी जा रही हैं।
जिनपिंग सरकार ने वीगर मुस्लिमों को शिविरों में रखा है, जहां लोगों की सोच में बदलाव लाने की कोशिश की जाती है।
इन शिविरों में दस लाख से अधिक महिला-पुरुषों को कैद कर रख गया है। सरकार ने धीरे-धीरे वीगर लोगों की धार्मिक और दूसरी आजादी छीन ली है। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि उनकी विचारधारा में जबरन बदलाव किया जाता है और उनकी जबरदस्ती नसबंदी भी कर दी जाती है।
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