CM चन्नी की ‘डिनर डिप्लोमेसी’: कैप्टन के सबसे करीबी राणा सोढ़ी के घर पहुंचे; पार्टी बनाने से पहले अमरिंदर को कमजोर करने में जुटे
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चंडीगढ़3 मिनट पहले
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पंजाब में कांग्रेस को एकजुट रखने के लिए CM चरणजीत चन्नी खुलकर मैदान में आ गए हैं। रविवार रात को वह अचानक कैप्टन अमरिंदर सिंह के सबसे करीबी राणा गुरमीत सोढ़ी के घर पहुंच गए। यहां उन्होंने डिनर किया। माना जा रहा है कि अमरिंदर के पार्टी बनाने से पहले ही सीएम चन्नी उन्हें कमजोर कर रहे हैं। राणा सोढ़ी इससे पहले दिल्ली में राहुल गांधी से मिल चुके हैं।
डिनर के बाद सीएम चरणजीत चन्नी ने कहा कि पंजाब में कांग्रेस एकजुट है। राणा सोढ़ी पार्टी के सीनियर नेता रहे हैं और आगे भी रहेंगे। कैप्टन के करीबी होने की बात पर सीएम ने कहा कि वह कांग्रेसी हैं। एक कांग्रेसी दूसरे के घर जा ही सकता है। इतना जरूर है कि नवजोत सिद्धू के खामोश बैठने के बाद सीएम चन्नी फ्रंट फुट पर आकर कांग्रेस को चला रहे हैं।
राणा के डिनर से हुआ था कैप्टन का शक्ति प्रदर्शन
कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ सीएम रहते बगावत हो गई थी। बागी ग्रुप का दावा था कि उनके पास 40 विधायकों का समर्थन है। इस बागी ग्रुप की अगुवाई करने वालों में सुखजिंदर रंधावा के साथ चरणजीत चन्नी प्रमुख थे। इसके बाद बागियों को जवाब देने के लिए राणा सोढ़ी ने ही कैप्टन के लिए सियासी डिनर रखा था। जिसमें 58 विधायकों के शामिल होने का दावा किया गया। उसी वक्त यह संकेत मिल गया था कि राणा कैप्टन के सबसे करीबी हैं।
बगावत होने पर राणा सोढ़ी ने ही कैप्टन के हक में अपने घर पर डिनर रखा था।
कैप्टन की वजह से गई थी मंत्री की कुर्सी
राणा गुरमीत सोढ़ी कैप्टन की सरकार में खेल मंत्री थे। जब कैप्टन को सीएम पद से हटाया गया तो राणा सोढ़ी की भी छुट्टी कर दी गई। माना गया कि कैप्टन के करीबी होने की वजह से ही उन्हें मंत्रीपद से हटाया गया। इसके बाद राणा सोढ़ी भी किनारे हो गए थे। इसके बाद उन्होंने कैप्टन या नई सरकार को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। हालांकि चन्नी इस दांव से उन्हें फिर से सक्रिय करने में जुट गए हैं।
राणा गुरमीत सोढ़ी कुछ दिन पहले राहुल गांधी से मिलकर आए थे।
अमरिंदर के लिए झटका लेकिन कांग्रेस की चिंता बरकरार
राणा सोढ़ी की राहुल गांधी और अब सीएम चन्नी के साथ मुलाकात कैप्टन के लिए झटका मानी जा रही है। मंत्री पद से हटाने के बाद सबको उम्मीद थी कि राणा कैप्टन खेमे में जाएंगे। उनकी नई पार्टी में शामिल हाेंगे। हालांकि अचानक नया सियासी माहौल बन गया है। कांग्रेस के भीतर भी चिंता बनी हुई है। अमरिंदर भले ही पंजाब में सरकार न बना सकें लेकिन कांग्रेस का रास्ता मुश्किल जरूर कर सकते हैं। ऐसे में अमरिंदर के करीबी नेताओं को पंजाब से लेकर दिल्ली तक मनाने की कोशिश की जा रही है।
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