बच्चों का अपराध में लिप्त होना बढ़ा: सालभर में 29 हजार से ज्यादा वारदात, मप्र सबसे आगे, महाराष्ट्र दूसरे नंबर और गुजरात सातवें नंबर पर
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नई दिल्ली7 मिनट पहलेलेखक: पवन कुमार
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700 अपहरण और छह हजार से ज्यादा चोरी की वारदात को नाबालिगों ने अंजाम दिया। -फाइल फोटो
बच्चों के अपराधिक वारदातों में लिप्त होने का ट्रेंड बढ़ रहा है। खासतौर पर 16 साल से कम उम्र के बच्चों द्वारा जघन्य अपराध करने की घटनाएं बढ़ी हैं। देश के सात राज्य ऐसे हैं, जहां बाकी राज्यों की तुलना में बच्चों के अपराध करने की घटनाओंं में ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है। इनमें मध्य प्रदेश अव्वल है। नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड व नेशनल क्राइम रिकाॅर्ड ब्यूरो के अनुसार वर्ष 2020 मेंं हत्या, अपहरण, चोरी, लूट और डकैती जैसी 29,768 आपराधिक वारदात ऐसी थीं, जिनमें में 74,124 नाबालिग शामिल मिले।
इन आरोपियाें में ज्यादातर 16 साल से कम उम्र के थे। 2019 में अपराधों की संख्या 29,022 थी। देश के कुछ राज्यों में अपराधियों द्वारा उगाही, हत्या, अपहरण व अन्य अपराधों के लिए बच्चों का इस्तेमाल हो रहा है। पिछले साल 700 से अधिक अपहरण की वारदात के पीछे नाबालिग अपराधी थे। जबकि 6 हजार से अधिक चोरी की वारदात में बच्चे आरोपी थे। आंकड़े बताते हैं कि आपराधिक वारदात में लिप्त ज्यादातर नाबालिग प्राइमरी तक ही पढ़े होते हैं।
कानूनी नरमी का फायदा उठाकर बच्चों का इस्तेमाल करते अपराधी
सुप्रीम कोर्ट के वकील मनीष पाठक का कहना है कि नाबालिगों के आपराधिक वारदात में लिप्त होने का बड़ा कारण कानून का लचीलापन भी है। जघन्य से जघन्य अपराध को अंजाम देने पर भी नाबालिग को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत अधिक से अधिक तीन साल तक बाल सुधार गृह भेजा जा सकता है। निर्भया केस में सबसे ज्यादा दरिंदगी करने वाले नाबालिग को केवल 3 साल सजा हुई थी। इसके बाद उसे रिहा कर दिया गया। जबकि बाकी दोषियों को फांसी दी गई थी। कानून की इसी खामी का फायदा उठाने के लिए अपराधी गैंग में जानबूझ कर नाबालिगों को शामिल करते हैं।
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