फेसबुक पर फिर सवाल: पूर्व कर्मचारी ने कहा- दिल्ली चुनावों को प्रभावित किया गया, कंपनी ने BJP सांसद से जुड़े फर्जी अकाउंट ब्लॉक नहीं किए
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2 मिनट पहले
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फेसबुक में बतौर डेटा साइंटिस्ट काम कर चुकी एक पूर्व कर्मचारी ने फर्जी अकाउंट पर कंपनी के रवैये को उजागर किया है। उनका दावा है कि सोशल नेटवर्किंग की इस दिग्गज कंपनी ने पिछले साल दिल्ली चुनावों में फर्जी खातों के खिलाफ सिलेक्टिव कार्रवाई की। कर्मचारी का नाम सोफी झांग है। सोफी ने 3 साल फेसबुक के साथ काम किया था और अब वह व्हिसलब्लोअर बन गई हैं। 2020 में उन्हें खराब काम का हवाला देकर कंपनी से निकाल दिया गया था।
NDTV को दिए इंटरव्यू में उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने चुनावों को प्रभावित करने के लिए फर्जी अकाउंट्स का इस्तेमाल किया। हालांकि, सिर्फ भाजपा सांसद से सीधे जुड़े अकाउंट के नेटवर्क को फेसबुक ने नहीं हटाया। सोफी ने कहा कि हमने 5 नेटवर्क में से 4 को हटा दिया। 5वें नेटवर्क को भी हम हटाने वाले थे लेकिन आखिरी मौके पर हमने महसूस किया कि यह BJP के एक बड़े नेता से जुड़ा था। वे लोकसभा सांसद भी हैं। इसके बाद पता ही नहीं चला कि क्या किया जा रहा है। इस पर मुझे किसी से जवाब नहीं मिला कि इस फर्जी अकाउंट के साथ क्या करने वाले हैं।
5 फर्जी नेटवर्क, इनमें दो BJP, दो कांग्रेस और एक आप से जुड़ा
- सोफी ने कहा कि उन्हें 2019 के आखिर में 4 फर्जी नेटवर्क मिले। इनमें से दो भाजपा और दो कांग्रेस के सपोर्ट वाले थे। हमने तीन नेटवर्क को बंद कर दिया। इनमें दो कांग्रेस और एक भाजपा का था। हम आखिरी नेटवर्क को बंद करने वाले थे, लेकिन अचानक रुक गए, क्योंकि उन्हें एहसास हुआ कि चौथा नेटवर्क सीधे और निजी तौर पर BJP नेता की ओर से चलाया जा रहा था। इस पर मैं कुछ नहीं कर पा रही थी।
- सोफी के मुताबिक, एक महीने बाद, जनवरी 2020 में उन्होंने हजारों अकाउंट्स के एक नेटवर्क का पता लगाया। इसका इस्तेमाल आम आदमी पार्टी के पॉलिटिकल मैसेज सर्कुलेट करने के लिए किया जा रहा था। ये अकाउंट खुद को गलत तरीके से भाजपा समर्थक के तौर पर जाहिर करते थे। इन पर दिल्ली चुनाव में आप का समर्थन करने का विकल्प चुनने की बात कही जा रही थी।
- उन्होंने कहा कि यह 5वां नेटवर्क जनवरी के आखिर तक बंद कर दिया गया। इकलौता मामला जिसमें हम जानते थे कि इसके लिए कौन जिम्मेदार था, जो कि वही भाजपा नेता थे, इसे मैं बंद नहीं कर सकी। बार-बार याद दिलाने के बावजूद फेसबुक ने इसे मानने से भी इनकार कर दिया।
मार्क जुकरबर्ग की कंपनी पर यूजर्स के डेटा के गलत इस्तेमाल के आरोप भी लगते रहे हैं।
फेसबुक ने कहा- आरोपों से सहमत नहीं
सोफी के आरोपों पर फेसबुक ने कहा है कि सोफी झांग जिस तरह हमारी प्रायोरिटी और अपने प्लेटफार्म के गलत इस्तेमाल को जड़ से खत्म करने की कोशिशों पर बात कर रही हैं, उससे हम सहमत नहीं हैं। हम दुनिया भर में इस तरह के आरोपों से आक्रामक तरीके से निपटते हैं और स्पेशल टीमें इस पर काम करती हैं।
कंपनी ने कहा कि हम पहले से ही गलत तरीके के व्यवहार पर 150 से ज्यादा नेटवर्क हटा चुके हैं। उनमें से लगभग आधे घरेलू नेटवर्क थे, जो भारत सहित दुनिया भर के देशों में चल रहे थे। इस तरह के व्यवहार का मुकाबला करना हमारी प्राथमिकता है। हम स्पैम और फेक इंगेजमेंट की समस्याओं से भी निपट रहे हैं। हम कार्रवाई करने या उनके बारे में सार्वजनिक दावे करने से पहले हर मुद्दे की जांच करते हैं। हालांकि, कंपनी के बयान में दिल्ली चुनावों को प्रभावित करने की कोशिशों या फेसबुक पर भाजपा सांसद से जुड़े फर्जी खातों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर कुछ भी साफ नहीं किया गया है।
दो हफ्ते पहले एक और डेटा साइंटिस्ट ने अमेरिकी सीनेट में दी थी गवाही
फेसबुक की चर्चित पूर्व डेटा वैज्ञानिक फ्रांसिस होगेन ने इसी तरह के मसले पर दो हफ्ते पहले अमेरिकी सीनेट में गवाही दी थी। उन्होंने कहा था कि फेसबुक बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य, लोकतंत्र और समाज के लिए बड़ा खतरा है। ये भेदभाव पैदा करता है। चुने गए जनप्रतिनिधियों को इस पर काबू करना चाहिए।
लगभग तीन घंटे तक चली गवाही में फ्रांसिस ने कहा कि फेसबुक बच्चों को जानबूझकर अपने ऐप की लत लगाने की कोशिशों में रहती है। कंपनी जानती है कि उसके इंस्टाग्राम जैसे ऐप सुरक्षित नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद कंपनी सुधार के लिए कोई कार्रवाई नहीं करती है।
हेट स्पीच पर कार्रवाई न करने के आरोपों से घिरी है कंपनी
अगस्त 2020 में वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के बाद से फेसबुक को भारत में जांच का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया था कि कंपनी की सीनियर एग्जीक्यूटिव अंखी दास ने BJP से जुड़े लोगों और पेजों पर कंपनी के हेट-स्पीच नियम लागू करने का विरोध किया था। भारत 32.8 करोड़ से ज्यादा यूजर्स के साथ फेसबुक का सबसे बड़ा बाजार है। अमेरिका से भी बड़ा।
फेसबुक की पब्लिक पॉलिसी हेड अंखी दास पर आरोप थे कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हेट कंटेंट को रोकने में वे पक्षपात कर रही हैं।
अंखी दास को देना पड़ा था इस्तीफा
फेसबुक की पब्लिक पॉलिसी की हेड रहीं अंखी दास को कंपनी से इस्तीफा देना पड़ा था। उन पर आरोप लगे थे कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हेट कंटेंट को रोकने में वे पक्षपात कर रही हैं। अंखी भारत में कंपनी के लिए काम करने वाली शुरुआती एम्पलाई में से एक थीं।
अंखी उस वक्त चर्चा में आई थीं जब द वाल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट में उनका नाम लिखा गया था। रिपोर्ट में लिखा गया था कि अंखी भाजपा और हिंदुत्व समूहों से जुड़े नेताओं की नफरत वाली पोस्ट के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने देतीं। फेसबुक के कर्मचारियों ने टी. राजा सिंह की भड़काऊ पोस्ट का मामला उठाया था। राजा सिंह तेलंगाना में भाजपा विधायक हैं और वह अक्सर भड़काऊ बयान देने के लिए सुर्खियों में रहते हैं।
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