पंजाबी विषय को लेकर छिड़ा घमासान: CBSE ने 10वीं और 12वीं में अनिवार्य सब्जेक्ट से हटाया; पंजाब एक्ट के मुताबिक कंपलसरी है पंजाबी
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जालंधर25 मिनट पहले
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फाइल फोटो
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 10वीं और 12वीं से पंजाबी को अनिवार्य विषय से हटा दिया। जिसके बाद पंजाब में घमासान छिड़ गया है। कांग्रेस से लेकर विपक्षी दल भी इस पर तमतमा गए हैं। एक्सपर्ट भी कह रहे हैं कि पंजाब में कानूनी तौर पर भी स्कूलों में पंजाबी अनिवार्य है। ऐसे में CBSE का यह फैसला उचित नहीं है। पंजाब के मंत्रियों से लेकर मुख्यमंत्री ने भी इसको लेकर बोर्ड के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं।
दरअसल CBSE से मान्यता प्राप्त पंजाब में सैकड़ों स्कूल चल रहे हैं। इन स्कूलों में इस बार दसवीं और बारहवीं के बोर्ड में पंजाबी अनिवार्य नहीं है। इसे कुछ अन्य विषयों के साथ वैकल्पिक कर दिया गया है। इसी को लेकर पंजाब में विरोध हो रहा है।
एक्ट के खिलाफ बोर्ड का फैसला : पूर्व IAS
पंजाब के पूर्व IAS अफसर केबीएस सिद्धू ने सवाल उठाए कि द पंजाब पंजाबी एंड लर्निंग ऑफ अदर लैंग्वेज एक्ट 2008 लागू है। जिसके तहत पंजाब में चल रहे स्कूलों में पंजाबी पढ़ाना अनिवार्य है। बोर्ड अपने मान्यता प्राप्त स्कूलों से पंजाबी को अनिवार्य विषय की लिस्ट से नहीं हटा सकता। एक्ट के लिहाज से बोर्ड के पास यह अधिकार नहीं है कि वह पंजाब में स्थित उनसे मान्यता प्राप्त स्कूलों में इसका उल्लंघन कर सके।
सीएम चरणजीत चन्नी
पंजाबी युवाओं के अधिकार का हनन : CM
मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी ने कहा कि वह पंजाबी को मुख्य विषयों से बाहर रखने का कड़ा विरोध करते हैं। यह संविधान की संघीय ढांचे की भावना के विपरीत है। उन्होंने कहा कि अपनी मूल भाषा सीखने में यह फैसला पंजाबी युवाओं के अधिकारों का हनन करता है।
BSF अधिकार क्षेत्र के बाद केंद्र का पंजाब पर दूसरा हमला : सिंगला
पंजाब के पूर्व शिक्षामंत्री विजयइंदर सिंगला ने कहा कि यह फैसला बिल्कुल गलत है। इसे तुरंत वापस लेना चाहए। इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि पहले BSF का अधिकार क्षेत्र बढ़ाया गया। अब पंजाबी भाषा को अनिवार्य विषय से बाहर निकाल दिया गया। इससे सीधे तौर पर केंद्र की BJP सरकार के इरादे जाहिर हो रहे हैं।
बोर्ड तुरंत विचार करे : परगट सिंह, शिक्षा मंत्री
पंजाब के मौजूदा शिक्षा मंत्री परगट सिंह ने कहा कि बोर्ड की तरफ से दसवीं और बारहवीं की डेटशीट में पंजाबी विषय को मुख्य सब्जेक्ट से बाहर निकाला निंदनीय है। केंद्रीय बोर्ड को तुरंत इस फैसले पर विचार कर वापस लेना चाहिए।
डॉ. दलजीत चीमा
नई एजुकेशन पॉलिसी का भी उल्लंघन : डॉ. चीमा
शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता डॉ. दलजीत चीमा ने कहा कि पंजाबी को माइनर सब्जेक्ट में डालना निंदनीय है। बोर्ड को चाहिए कि किसी भी राज्य की भाषा को स्टेट गवर्नमेंट की तरह तरजीह देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नई एजुकेशन पॉलिसी में भी यह प्रोविजन है कि लोकल भाषा काे ज्यादा प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पहली से 12वीं तक पंजाबी भाषा को महत्व देना चाहिए। इसमें छेड़छाड़ पंजाबी हितों पर हमला है।
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