भास्कर ग्राउंड रिपोर्ट: हमें डर लगता था कि आ रहा शख्स ग्राहक है या हत्यारा, प्रवासियों में आतंकी वारदातों का बढ़ता खौफ

भास्कर ग्राउंड रिपोर्ट: हमें डर लगता था कि आ रहा शख्स ग्राहक है या हत्यारा, प्रवासियों में आतंकी वारदातों का बढ़ता खौफ

[ad_1]

  • Hindi News
  • National
  • We Used To Fear That The Person Coming Is A Customer Or A Killer, The Growing Fear Of Terrorist Acts Among The Migrants

श्रीनगर2 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
भास्कर ग्राउंड रिपोर्ट: हमें डर लगता था कि आ रहा शख्स ग्राहक है या हत्यारा, प्रवासियों में आतंकी वारदातों का बढ़ता खौफ

घरों के लिए रवाना हाेने के लिए श्रीनगर बस स्टैंड की ओर जाते प्रवासी।

कश्मीर में आतंकी वारदातों का खौफ प्रवासियों को पलायन के लिए मजबूर कर रहा है। हिंदी भाषी क्षेत्रों के लोग राताें-रात घाटी छोड़ रहे हैं। कोई सुरक्षित नहीं है। कश्मीर में रह कर रोजी-रोटी कमाने का स्वप्न अब दुस्वप्न में तब्दील हो गया है। घाटी में करीब पांच लाख प्रवासी कामगार रहते हैं। तीन से चार लाख कामगार हर साल घाटी आते हैं। उनमें से अधिकांश सर्दियों की शुरुआत से पहले चले जाते हैं, कुछ साल भर रहते हैं। करीब 90 फीसदी प्रवासी कामगार परियोजनाओं के निर्माण कार्यों में लगे हैं। इनमें यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, प. बंगाल, झारखंड और राजस्थान के लोग होते हैं।

श्रीनगर के लाल चौक पर आइसक्रीम बेचने वाले धनंजय कहते हैं, कश्मीर में ऐसी दहशतगर्दी कभी नहीं देखी। हालात बहुत खराब हैं। हमें डर लगता था कि उसके ठेले पर आने वाला अगला व्यक्ति ग्राहक होगा या उसका हत्यारा। इसलिए उन्होंने कहीं और जाने और काम करने का फैसला किया है। उधर, कश्मीर में सुरक्षाबलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। श्रीनगर, पुलवामा और कुलगाम जिले के 11 इलाकों इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। श्रीनगर के लालचौक में सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ की महिला जवानों को तैनात किया गया है।

स्थानीय लोग भी कुछ नहीं कर सकते: आशीष
बिहार के आशीष कुमार बताते हैं, ‘कश्मीर में लोग अच्छे हैं पर अब हालात पर किसी का कोई काबू नहीं है। कोरोना में मदद की लेकिन अब स्थानीय लोग कुछ नहीं कर सकते।’

पहले कभी असुरक्षित महसूस नहीं किया: गौतम
जम्मू जाने के लिए बस में बैठे बिहार के गौतम कुमार बताते हैं, ‘ 15 वर्षों से कश्मीर में कारपेंटर का काम कर रहे हैं। कभी भी खुद को असुरक्षित महसूस नहीं किया।

मेरे बीमार माता पिता की मदद कौन करेगा: सुरेश
कश्मीर में पानीपुरी बेचने वाले राजस्थान के सुरेश बताते हैं, हालात खराब हैं। इसलिए हम अपने घर लौट रहे हैं। मुझे कुछ हो गया तो बीमार माता-पिता को कौन देखेगा।

बिहार में काम कम पर वहां जिंदा तो रहेंगे: विभास
बिहार के बांका जिले के विभास चौधरी कहते हैं, मुझे कुछ हो गया तो परिवार और छोटे बच्चों का क्या होगा। बिहार में काम कम है लेकिन वहां कम से कम जिंदा तो रहेंगे।

खबरें और भी हैं…

[ad_2]

Source link

Published By:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *