श्रीनगर की सड़कें सूनी रहीं, जगह-जगह सघन तलाशी: होटल व्यवसायियों को पीक सीजन तबाह होने का डर सता रहा… कश्मीरी पंडित बोले- दहशत के माहौल में कैसे लौटें

श्रीनगर की सड़कें सूनी रहीं, जगह-जगह सघन तलाशी: होटल व्यवसायियों को पीक सीजन तबाह होने का डर सता रहा… कश्मीरी पंडित बोले- दहशत के माहौल में कैसे लौटें

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श्रीनगर37 मिनट पहलेलेखक: हारून रशीद

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श्रीनगर की सड़कें सूनी रहीं, जगह-जगह सघन तलाशी: होटल व्यवसायियों को पीक सीजन तबाह होने का डर सता रहा… कश्मीरी पंडित बोले- दहशत के माहौल में कैसे लौटें

श्रीनगर के ईदगाह पर पसरा सन्नाटा, जहां बिहार के गोल-गप्पे वाले की हत्या हुई थी।

श्रीनगर में लोग डर के साए में जी रहे हैं। सड़कें लगभग खाली हैं। स्थानीय लोगों और दर्जनों फेरी वालों से गुलजार रहने वाले ईदगाह पार्क में सन्नाटा है, जहां एक दिन पहले शनिवार को बिहार के गोल-गप्पे वाले की हत्या कर दी गई थी। यह जगह उस स्कूल से कुछ ही किमी दूर है, जहां बीते हफ्ते आतंकियों ने आईडी देखने के बाद दो गैर मुस्लिम प्रिंसिपल और टीचर की हत्या कर दी थी। ईदगाह के स्थानीय निवासी बताते हैं, “मैं वीकेंड पर बच्चों के साथ पिकनिक मनाने के लिए यहां आता रहता हूं, लेकिन इन हत्याओं ने झकझोर दिया है।

ऐसे सार्वजनिक स्थान पर दिन दहाड़े कैसे हत्या हो सकती है, जबकि 200 मीटर की दूरी पर ही सुरक्षाकर्मियों का बड़ा बंकर है।’ इन हत्याओं के बाद सुरक्षाबलों ने घाटी में 1 हजार से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया है। इन हत्याओं के बाद कश्मीर छोड़कर जम्मू गए एक कश्मीरी पंडित ने बताया, “हम लोग वापस आने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन इन ताजा घटनाओं ने माहौल को और खराब कर दिया है।

अब इन हालात में कोई कैसे लौट सकता है?’ ये हत्याएं ऐसे वक्त शुरू हुई हैं, जब घाटी में रिकॉर्ड पर्यटक पहुंच रहे थे। सितंबर में ही 1 लाख पर्यटक पहुंचे थे। डर है कि यह खतरनाक ट्रेंड पर्यटकों को घाटी से दूर कर देगा। होटल व्यवसायी वाहिद बताते हैं, ‘बीते हफ्ते हुई हत्याओं के बाद हालात ठीक हो रहे थे। पर्यटक लौटने लगे थे, लेकिन अब इन हत्याओं के चलते कुछ नहीं कहा जा सकता है। डर व दहशत के बीच पर्यटन कभी नहीं चल सकता।’

घाटी में 5 लाख बाहरी मजदूर, 90% निर्माण इन्हीं के भरोसे
गैर-कश्मीरी मजदूर घाटी की इकोनॉमी की रीढ़ है। एक अनुमान के मुताबिक इनकी संख्या 5 लाख से अधिक है। घाटी के हर जिले में ये मजदूर रहते हैं, कुछ इलाकों को ‘छोटा बिहार’ कहा जाता है। ये लोग जहां रहते हैं, वहां की इकोनॉमी में भी योगदान देते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि दहशत के चलते मजदूरों ने काम रोक दिया तो घाटी का 90% काम रुक जाएगा।

फारूक बोले- हत्याओं में कश्मीरियाें का हाथ नहीं

नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि हत्याओं की घटनाओं में कश्मीरियाें का हाथ नहीं है। यह उनकाे बदनाम करने की साजिश है। शांत माहाैल काे खराब करने की काेशिश है।

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