CJI को सिंघु बॉर्डर की घटना पर लैटर: SC से हत्या का सु-मोटो लेकर रिपोर्ट मांगने का आग्रह, वकील ने कहा- यह संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन
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यमुनानग6 मिनट पहले
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सोनीपत के सिंघु बॉर्डर पर दो दिन पहले हुई लखवीर सिंह की बर्बर हत्या का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच सकता है। सोनीपत के एडवोकेट अमरदीप सोनी ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) को पत्र लिखकर मांग की है कि सर्वोच्च अदालत सिंघु बॉर्डर पर 15 अक्टूबर की सुबह हुई युवक की हत्या का स्वत: संज्ञान लेते हुए डिटेल रिपोर्ट तलब करे।
इस मामले में हरियाणा पुलिस ने अभी तक क्या कार्रवाई की और भविष्य में इस तरह की हिंसा को रोकने की दिशा में क्या कदम उठाए जा रहे हैं, इस पर भी अदालत रिपोर्ट मंगवाए। एडवोकेट अमरदीप सोनी सुप्रीम कोर्ट में ही प्रैक्टिस करते हैं और उनका ऑफिस नई दिल्ली के शालीमार बाग में हैं। CJI को भेजे गए पत्र में सोनी ने लिखा कि 15 अक्टूबर 2021 को सिंघु बॉर्डर पर हुई हत्या के बाद मीडिया रिपोर्ट से पता चला कि मरने से पहले लखवीर सिंह नामक युवक की कलाई और पैर काट दिए गए थे। बाद में उसके शव को सड़क किनारे एक बैरिकेड्स से लटका दिया गया।
CJI को लिखा गया लैटर।
धर्म की आजादी की आड़ में नहीं की जा सकती हिंसा
पत्र में लिखा गया है कि इस तरह की हिंसा सभ्य समाज में कतई बर्दाश्त नहीं की जा सकती। यह लोगों की सुरक्षा के खिलाफ है। यह घटना भारत के संविधान की ओर से दिए गए न्याय प्रशासन और मौलिक अधिकारों का भी हनन है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 स्पष्ट रूप से कहता है कि “सभी लोगों को समान रूप से स्वतंत्रता का अधिकार है” निश्चित ही देश के सभी नागरिकों को धार्मिक आजादी है लेकिन धर्म की आजादी की आड़ में हिंसा कानून और संविधान के खिलाफ है।
एडवोकेट अमरदीप सोनी के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी धर्म की निंदा करता है या मानहानि करता है तो देश के कानूनी, न्याय प्रशासन में सजा का प्रावधान है। इसके लिए एक तय प्रक्रिया अपनाई जाती है। ऐसे में यह वारदात भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 और अनुच्छेद 21 और अन्य अनुच्छेद का उल्लंघन है।
संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट मंगवाने की मांग
सोनी के अनुसार, वह इस अधिनियम की ओर सुप्रीम कोर्ट का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं जहां एक व्यक्ति की कुछ लोगों के समूह ने निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी। यह सीधे-सीधे न्याय, कानून, मानवीय अधिकारों और मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। इस तरह की प्रवृत्ति किसी भी समाज के लिए बड़ा खतरा है। इसलिए सर्वोच्च अदालत से विनती की जा रही है कि वह सिंघु बॉर्डर पर हुई घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट मंगवाए। साथ ही पूछा जाए कि इस तरह की हिंसा को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
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