आज का इतिहास: सामूहिक धर्म परिवर्तन की सबसे बड़ी घटना, भीमराव अंबेडकर ने अपने 3.65 लाख समर्थकों के साथ अपनाया बौद्ध धर्म

आज का इतिहास: सामूहिक धर्म परिवर्तन की सबसे बड़ी घटना, भीमराव अंबेडकर ने अपने 3.65 लाख समर्थकों के साथ अपनाया बौद्ध धर्म

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19 मिनट पहले

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आज का इतिहास: सामूहिक धर्म परिवर्तन की सबसे बड़ी घटना, भीमराव अंबेडकर ने अपने 3.65 लाख समर्थकों के साथ अपनाया बौद्ध धर्म

14 अक्टूबर 1956 को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने अपने 3.65 लाख समर्थकों के साथ हिंदू धर्म को छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया था। नागपुर में हुई इस घटना को इतिहास में धर्म परिवर्तन की सबसे बड़ी घटना के तौर पर याद किया जाता है।

14 भाइयों में सबसे छोटे अंबेडकर का जन्म मध्यप्रदेश के इंदौर के पास छोटे से कस्बे महू में हुआ था। दलित परिवार में जन्म होने की वजह से उन्हें बचपन से ही भेदभाव का सामना करना पड़ा। अंबेडकर को स्कूल में सबसे आखिरी पंक्ति में बैठाया जाता था। यहीं से अंबेडकर भेदभाव की इस व्यवस्था के खिलाफ हो गए थे।

अंबेडकर का कहना था, “मुझे वह धर्म पसंद है जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सिखाता है। मैं एक समुदाय की प्रगति को उस डिग्री से मापता हूं जो महिलाओं ने हासिल की है; धर्म मनुष्य के लिए है न कि मनुष्य धर्म के लिए”।

अंबेडकर जाति व्यवस्था के इस कदर खिलाफ थे कि 13 अक्तूबर 1935 को उन्होंने महाराष्ट्र के येवला में कहा था, “मैं हिंदू के रूप में पैदा हुआ हूं, लेकिन हिंदू के रूप में मरूंगा नहीं, कम से कम यह तो मेरे वश में है।”

अंबेडकर ने हिंदू धर्म में व्याप्त वर्ण व्यवस्था को खत्म करने के लिए कानून का भी सहारा लिया, लेकिन अंत में उन्हें लगने लगा था कि जो बदलाव वो चाहते हैं, वे शायद कभी नहीं हो सकेंगे। आखिर में उन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाने का फैसला लिया।

धर्म परिवर्तन सभा में लोगों को संबोधित करते डॉक्टर भीमराव अंबेडकर।

धर्म परिवर्तन सभा में लोगों को संबोधित करते डॉक्टर भीमराव अंबेडकर।

इस्लाम, सिख या किसी और धर्म के बजाय बौद्ध धर्म अपनाने के पीछे भी अंबेडकर ने वजह बताई थी। मई 1950 में कलकत्ता की महाबोधि सोसाइटी की मासिक पत्रिका में अंबेडकर ने ‘बुद्ध और उनके धर्म का भविष्य’ शीर्षक से एक लेख लिखा था। इस लेख में उन्होंने बौद्ध, हिंदू, ईसाई और इस्लाम धर्म की अलग-अलग पैमानों पर तुलना की थी।

देश के शोषितों और वंचितों की आवाज रहे अंबेडकर का 6 दिसंबर 1956 को निधन हो गया था। 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

1981: होस्नी मुबारक बने मिस्र के राष्ट्रपति

6 अक्टूबर 1981 को सेना की एक परेड के दौरान मिस्र के तत्कालीन राष्ट्रपति अनवर सादत की हत्या कर दी गई थी। हादसे के वक्त उनके साथ होस्नी मुबारक भी मौजूद थे, जो उस समय मिस्र के उपराष्ट्रपति थे। हमले में मुबारक भी घायल हुए थे। सादत के मरने के बाद आज ही के दिन 1981 में होस्नी मुबारक मिस्र के राष्ट्रपति बने।

2011 में होस्नी मुबारक के शासन के खिलाफ सड़कों पर उतरे मिस्र के लोग।

2011 में होस्नी मुबारक के शासन के खिलाफ सड़कों पर उतरे मिस्र के लोग।

मुबारक ने 3 दशक तक मिस्र पर शासन किया था। कहा जाता है कि उनका कार्यकाल मिस्र में शांति और उथल-पुथल का मिला-जुला दौर था। वे 2011 तक मिस्र के राष्ट्रपति पद पर रहे। 2011 में हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। फरवरी 2020 में 91 साल की उम्र में मुबारक का निधन हो गया था।

14 अक्टूबर के दिन को इतिहास में इन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से भी याद किया जाता है…

2010: राजधानी दिल्ली में चल रहे 19वें राष्ट्रमंडल खेलों का समापन हुआ।

2008: भारतीय रिजर्व बैंक ने म्यूचुअल फंड्स की जरूरतें पूरी करने के लिए अतिरिक्त 200 अरब रुपए जारी करने की घोषणा की।

2007: अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने चिकित्सा और कृषि क्षेत्रों में परमाणु प्रौद्योगिकी के प्रयोग के लिए नेपाल को मंजूरी प्रदान की।

2004: पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को सेना प्रमुख बनाए रखने वाला विधेयक पारित किया।

1953: भारत में संपदा शुल्क अधिनियम प्रभाव में आया।

1946: हॉलैंड और इंडोनेशिया के बीच संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

1882: शिमला में पंजाब विश्वविद्यालय की स्थापना की गई।

1322: स्कॉटलैंड की सेना ने इंग्लैंड के राजा एडवर्ड द्वितीय को युद्ध में हराया और स्कॉटलैंड को अंग्रेजी शासन से मुक्ति दिलाई।

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