दिल्ली में पाकिस्तानी आतंकी अरेस्ट: ISI ने ट्रेनिंग देकर बांग्लादेश के रास्ते भारत भेजा, बिहार में फर्जी दस्तावेज बनवाए, भारत का पासपोर्ट बनवाकर कई बार विदेश गया
[ad_1]
- Hindi News
- National
- Pakistani Terrorist; Who Is Mohd Asraf? Arrested By Delhi Police Special Cell
नई दिल्ली4 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने लक्ष्मीनगर इलाके से एक पाकिस्तानी आतंकी को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि वह 10 साल से ज्यादा वक्त से दिल्ली में रह रहा था। आतंकी का नाम मोहम्मद असरफ है। वह पाकिस्तान के पंजाब के नरोवाल का रहने वाला है। पुलिस असरफ की गिरफ्तारी को स्पेशल सेल की बड़ी कामयाबी मान रही है। गिरफ्तारी के बाद असरफ को कोर्ट में पेश किया गया। पटियाला हाउस कोर्ट ने उसे 14 दिन की पुलिस कस्टडी में भेज दिया है।
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, असरफ भारत में रहकर स्लीपर सेल की तरह काम कर रहा था। वह अली अहमद नूरी के नाम से दिल्ली के शास्त्री नगर में रह रहा था। असरफ पहली बार बांग्लादेश के रास्ते सिलीगुड़ी बॉर्डर से भारत आया था। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने उसे ट्रेनिंग दी है। इसके बाद से वह पाकिस्तान के हैंडलर के संपर्क में था। उसे भर्ती करने वाले हैंडलर का कोड नेम नासिर था। नासिर ही असरफ को निर्देश दे रहा था।
गिरफ्तारी के बाद असरफ को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया।
AK-47, हैंड ग्रेनेड और 50 राउंड बरामद
स्पेशल सेल के डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस प्रमोद कुशवाहा ने मंगलवार को बताया कि असरफ को सोमवार रात करीब 9.20 बजे अरेस्ट किया गया। वह लक्ष्मी नगर के रमेश पार्क में रह रहा था। शुरुआती जांच में पता चला है कि असरफ स्लीपर सेल की तरह काम करके कोई बड़ी साजिश रच रहा था। वह दिल्ली में रहकर अपनी पहचान पीर मौलाना के तौर पर बना रहा था।
उसने जाली दस्तावेजों के जरिए भारतीय पहचान पत्र हासिल किया था। यह बिहार में बनवाया गया था। असरफ के पास कई फर्जी आईडी मिले हैं। इनमें से अहमद नूरी नाम से बनवाई गई थी। दस्तावेज के लिए उसने गाजियाबाद की महिला से शादी की। पुलिस ने उससे एक AK-47 राइफल, इसकी एक मैगजीन, एक हैंड ग्रेनेड और 50 राउंड के साथ दो पिस्टल बरामद की हैं।
मकान मालिक ने कहा- जांच में सहयोग करेंगे
असरफ दिल्ली में किराये के मकान में रह रहा था। उसके मकान मालिक उजैब ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि वे जांच में पुलिस का सहयोग करेंगे। वह 6 महीने तक यहां रहा। मेरे पिता ने डॉक्यूमेंटेशन के लिए उसका आधार कार्ड लिया था। मकान छोड़ने के बाद से वह हमारे संपर्क में नहीं था।
[ad_2]
Source link