पश्चिम बंगाल के पंडालों ने हाल की घटनाओं को उकेरा: दुर्गा पंडालों में 75 साल पहले हुए तेभागा आंदोलन से लेकर कोरोना, लखीमपुर हिंसा तक की झलक

पश्चिम बंगाल के पंडालों ने हाल की घटनाओं को उकेरा: दुर्गा पंडालों में 75 साल पहले हुए तेभागा आंदोलन से लेकर कोरोना, लखीमपुर हिंसा तक की झलक

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11 मिनट पहलेलेखक: कोलकाता से भास्कर के लिए सोमा नंदी

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पश्चिम बंगाल के पंडालों ने हाल की घटनाओं को उकेरा: दुर्गा पंडालों में 75 साल पहले हुए तेभागा आंदोलन से लेकर कोरोना, लखीमपुर हिंसा तक की झलक

फसलों का पंडाल।

पश्चिम बंगाल में दुर्गा पंडाल सज गए हैं, जिन्हें श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है। हालांकि, कोलकाता हाईकोर्ट की कोरोना गाइडलाइन के अनुसाल श्रद्धालु पंडालों के अंदर नहीं जा सकेंगे। इस बार कोलकाता में 3000 से ज्यादा दुर्गा पंडाल सजाए गए हैं। इनमें बारिशा क्लब, श्रीराम स्पोर्टिंग क्लब, दमदम पार्क भारत चक्र पंडाल और अश्विनी नगर स्थित बंधु महल क्लब की सजावट देखते ही बनती है।

इन पंडालों में 1947 में हुए तेभागा आंदोलन से लेकर कोरोना, नए कृषि कानून और लखीमपुर खीरी हिंसा के साथ-साथ बुर्ज खलीफा तक की झलक दिखाई दे रही है। इन पंडालों में कोविड अस्पताल, ऑक्सीजन प्लांट, किसानों का धरना प्रदर्शन और लखीमपुर में कार से किसानों को रौंंदने की तस्वीरें उकेरी हैं। कोलकाता के आयोजकों ने पंडाल की थीम ‘हम किसान हैं, आतंकवादी नहीं’ रखी है।

दमदम पार्क स्थित भारत चक्र पंडाल के प्रवेश द्वार पर ट्रैक्टर की प्रतिकृति बनाई गई है। फुटपाथ पर एक कार का स्कैच है, जिसके रास्ते में एक किसान लेटा हुआ है। यहां बांग्ला में एक पंक्ति है लिखी है, जिसका अर्थ है- ‘मोटर कार धूल उड़ाती है और उसके नीचे किसान दबते हैं।’

लखीमपुर खीरी हिंसा।

लखीमपुर खीरी हिंसा।

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