पीठ पर भी मुंहासे जैसे, ये जेनेटिक डिसऑर्डर है: एक्ट्रेस यामी गौतम ने खुद बताया अपना त्वचा रोग केराटोसिस पिलारिस, आखिर क्या है ये मर्ज

पीठ पर भी मुंहासे जैसे, ये जेनेटिक डिसऑर्डर है: एक्ट्रेस यामी गौतम ने खुद बताया अपना त्वचा रोग केराटोसिस पिलारिस, आखिर क्या है ये मर्ज

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27 मिनट पहले

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पीठ पर भी मुंहासे जैसे, ये जेनेटिक डिसऑर्डर है: एक्ट्रेस यामी गौतम ने खुद बताया अपना त्वचा रोग केराटोसिस पिलारिस, आखिर क्या है ये मर्ज

यामी गौतम ने बताया कि वह टीनएज से ही लाइलाज स्किन डिजीज से जूझ रहीं हैं।

बॉलीवुड अदाकारा यामी गौतम ने हाल ही में स्किन से संबंधित अपनी मेडिकल कंडीशन को लेकर फैंस के साथ एक पोस्ट शेयर किया है। यामी ने बताया कि उन्हें किशोर अवस्था से ही ऐसी स्किन डिजीज है जिसका इलाज ही नहीं है। दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल की सीनियर कंसलटेंट डर्मेटोलॉजिस्ट डाॅ. निधि रोहतगी बता रही हैं इस बीमारी से जुड़े लक्षण और समस्याएं।

केराटोसिस पिलारिस क्या है?
इससे फोलिक्युलर केराटोसिस कहा जाता है। यह त्वचा के बालों या रोम में केराटिन कहे जाने वाले प्रोटीन से निर्मित होता है। अभी तक बीमारी के कारणों का पता नहीं चल पाया है। यह एक जेनेटिकल डिसऑर्डर है।
इस बीमारी में होता क्या है?
त्वचा पर खुरदरापन, हल्की लालिमा और मुंहासों जैसी स्थिति होती है। यह अक्सर पीठ और बाहों के बाहरी हिस्सों, गाल या जांघ पर दिखाई देता है। वैसे इससे खुजली या अन्य कोई समस्या नहीं होती। सर्दियों के दौरान ये ज्यादा परेशान करती है।
बीमारी किस उम्र में होती है?
आमतौर पर ये 13 से 14 वर्ष की उम्र में शुरू होती है जो 30 से 35 वर्ष की उम्र तक रहती है। कुछ में ये बीमारी लंबी उम्र तक रहती है।
क्या इसका इलाज है?
अभी कोई स्थायी इलाज नहीं है। माॅइस्चराइजर, यूरिया बेस्ड क्रिम, विटामिन ए से बनी क्रीम और लैक्टिक एसिड से बनी क्रीम से थोड़ी मदद मिलती है।
क्या खाने की भी कोई दवा है?
विटामिन ए से बनी दवा भी इस बीमारी से पीड़ित लोगों को दी जाती है लेकिन इस इस दवाई के अपने कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं लिहाजा सभी को यह दवा नहीं दी जा सकती है और न ही दवा का नाम बताया जा सकता है कि क्योंकि इसके दुरुपयोग होने की संभावना रहती है।
क्या यह दुर्लभ बीमारी है?
इसे बीमारी नहीं कह सकते है। दरअसल यह त्वचा पर निकलने वाला खुरदुरापन है। वैसे इस रोग के कारण कोई नुकसान नहीं होता है और न ही शरीर कोई अंग प्रभावित होता है।
देश-विदेशी में पीड़ितों की संख्या कितनी होगी?
यह कहना मुश्किल है। इस पर कोई शोध नहीं हुआ है। इसलिए स्पष्ट तौर पर यह कहा जा सके कि भारत या विश्व में इसके कितने रोगी हैं। यह एक कॉमन प्रॉब्लम है।

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