बाघंबरी मठ के नए महंत पर अंकुश: बलबीर 5 अक्टूबर को गद्दी पर बैठेंगे; चाल-चलन और फैसले एडवाइजरी कमेटी की नजर में रहेंगे, भटके तो महंतई जाएगी

बाघंबरी मठ के नए महंत पर अंकुश: बलबीर 5 अक्टूबर को गद्दी पर बैठेंगे; चाल-चलन और फैसले एडवाइजरी कमेटी की नजर में रहेंगे, भटके तो महंतई जाएगी

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प्रयागराज12 मिनट पहलेलेखक: संध्या द्विवेदी

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बाघंबरी मठ के नए महंत पर अंकुश: बलबीर 5 अक्टूबर को गद्दी पर बैठेंगे; चाल-चलन और फैसले एडवाइजरी कमेटी की नजर में रहेंगे, भटके तो महंतई जाएगी

बाघंबरी मठ के उत्तराधिकार को लेकर 3 वसीयतें सामने आई हैं, लेकिन बाघंबरी मठ की गद्दी पर बैठेंगे बलबीर गिरि, जिनका जिक्र नरेंद्र गिरि के सुसाइड लेटर में कई बार उत्तराधिकारी के तौर पर किया गया था। उत्तराधिकारी के तौर पर उनके नाम की घोषणा हो गई है और वे 5 अक्टूबर को नरेंद्र गिरि की गद्दी पर बैठेंगे। पर, नरेंद्र गिरि के कथित सुसाइड के बाद मठ ने इस गद्दी के लिए नियम और शर्तें कड़ी कर दी हैं। पढ़िए, नरेंद्र गिरि की मौत के बाद गद्दी पर बैठने वाले के लिए क्या बदलेगा…

पिछले महंतों की तरह ‘ताकतवर’ नहीं होंगे बलबीर
मठ के माननीय लोगों की मानें तो बलबीर गिरि पिछले महंतों की तरह ‘ताकतवर’ नहीं होंगे। सीधे शब्दों में कहें तो वे ‘स्वयंभू’ नहीं होंगे। उन पर सुपर एडवाइजरी बोर्ड की लगाम रहेगी। इस बोर्ड में निरंजनी अखाड़े और मठ के 5-6 माननीय लोग होंगे, जो मठ और अखाड़े की परंपरा को अच्छी तरह जानते होंगे।

मठ के टॉप सोर्सेज के मुताबिक, 28 सितंबर की शाम 7 बजे से लेकर रात दो बजे तक गहन मंथन के बाद बलबीर को गद्दी सौंपने का निर्णय लिया गया। इस निर्णय के साथ कुछ शर्तें और एडवाइजरी बोर्ड के गठन का भी प्रस्ताव रखा गया। दरअसल, महंत नरेंद्र गिरि के महंत रहते और उनकी मौत के बाद उठे विवाद के बाद मठ और अखाड़ा परिषद चौकन्ना हो गया है।

गद्दी की निगहबानी के लिए एडवाइजरी कमेटी बनाने की 3 वजहें
1.
महंत के सुसाइड नोट में जिस तरह से मठ की संपत्ति को कुछ लोगों को देने की बात सामने आई, वह मठ के लोगों को रास नहीं आ रही।
2. आनंद गिरि और नरेंद्र गिरि के विवाद की वजह से मठ की छवि को गहरा धक्का पहुंचा है।
3. आनंद गिरि पर सनातन धर्म के मुताबिक आचरण न करने के आरोप तो लगे। साथ ही सुसाइड नोट में यह भी सामने आया कि आनंद गिरि नरेंद्र गिरि का कोई वीडियो जारी करने वाला था।

43 साल बाद एडवाइजरी बोर्ड की मठ में वापसी
मठ ने अब एक नई व्यवस्था या कहें पुरानी व्यवस्था को जीवित करने का निर्णय लिया है। 1978 तक मठ में सुपर एडवाइजरी बोर्ड हुआ करता था, लेकिन उसके बाद के महंत खासतौर पर विचारानंद गिरि, भगवानदास गिरि और नरेंद्र गिरि के समय कोई भी एडवाइजरी बोर्ड नहीं था। महंत का निर्णय सर्वमान्य था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

एडवाइजरी बोर्ड का क्या होगा काम?

  • एडवाइजरी बोर्ड महंत को सलाह देने के साथ ही उनके कामों की समीक्षा का भी अधिकार रखेगा।
  • महंत के बारे में अगर कोई विवाद पैदा होता है तो बोर्ड को पूछताछ का अधिकार होगा।
  • गद्दी की मर्यादा अगर महंत के चरित्र और कामों के जरिए भंग होती दिखेगी तो बोर्ड तुरंत सक्रिय होगा। चेतावनी देगा और फिर महंत पर कार्रवाई भी कर सकता है।

शर्तें और कड़ी की गईं
मठ के एक अधिकारी के मुताबिक, गद्दी के लिए महंत चुनने के साथ ही गद्दीसीन व्यक्ति पर कुछ शर्तें भी रखी गई हैं। यह कानूनी कॉन्ट्रैक्ट नहीं होगा, लेकिन इसे मठ का संविधान माना जाएगा। हालांकि यह शर्तें पहले भी थीं, लेकिन अब इनका दस्तावेजीकरण गद्दी अभिषेक के साथ ही होगा। एक तरह से यह महंत और मठ के बीच कॉन्ट्रैक्ट होगा।

  • सनातनी परंपरा के खिलाफ जीवन जीना या फिर आचरण महंत के ऊपर कार्रवाई का कारण बन सकता है।
  • महंत कभी शादी नहीं करेगा। मदिरा और भोग विलास से दूर रहेगा।
  • मठ की संपत्ति नहीं बेचेगा। घर से ताल्लुक नहीं रखेगा।
  • एडवाइजरी बोर्ड की सलाह के बिना किसी को मठ की संपत्ति नहीं देगा।

रातों रात मठ के भीतर क्या हुआ जो बदल गए अखाड़े और मठ के वरिष्ठों के सुर?
मठ के भीतर और बाहर यह सवाल उठ रहा है कि आखिर 28 सितंबर को ऐसा क्या हुआ जो बलबीर को महंत बनाने के लिए मठ ने चर्चा शुरू की। रातों रात फैसला भी हो गया, क्योंकि पंच परमेश्वर और मठ के अन्य लोगों ने साफ कहा था कि पहले जांच में सच सामने आएगा उसके बाद गद्दी का उत्तराधिकारी चुना जाएगा।

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