इनेलो को फिर जींद से संजीवनी देने की पहल: प्रदेश की राजनीतिक राजधानी से हुई थी चौटाला परिवार की सियासत में एंट्री; 1977 में चौधरी देवीलाल,1993 में ओम प्रकाश ने यहीं की थीं रैलियां

इनेलो को फिर जींद से संजीवनी देने की पहल: प्रदेश की राजनीतिक राजधानी से हुई थी चौटाला परिवार की सियासत में एंट्री; 1977 में चौधरी देवीलाल,1993 में ओम प्रकाश ने यहीं की थीं रैलियां

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जींद/करनालएक घंटा पहले

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इनेलो को फिर जींद से संजीवनी देने की पहल: प्रदेश की राजनीतिक राजधानी से हुई थी चौटाला परिवार की सियासत में एंट्री; 1977 में चौधरी देवीलाल,1993 में ओम प्रकाश ने यहीं की थीं रैलियां

अनाज मंडी जींद में इनेला की महारैली में सजा मंच।

जींद को हरियाणा की राजनीतिक राजधानी कहा जाता है। यहां पर कांग्रेस, इनेलो, जजपा समेत भाजपा को विशेष ध्यान रहता है। इनेलो की बात करें तो पार्टी के नेता जींद को अपनी नींव मानते हैं। पहले ताऊ देवीलाल, फिर ओमप्रकाश चौटाला ने यहीं से अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत की थी। जींद में ताऊ देवीलाल की 108वीं जयंती मनाई जा रही है।

चौधरी देवी लाल ने अपना शक्ति प्रदर्शन करने के लिए 1977 में जींद में ही आयोजन किया था। इसके बाद 1993 में ओमप्रकाश चौटाला ने भी यहीं से रैली का आयोजन कर अपनी राजनीति शुरू की थी। अब ये एक और मौका है जब पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए जींद में महारैली का आयोजन किया जा रहा है।

आयोजन के मौके पर ओमप्रकाश चौटाला एक तीर से दो निशाने साधने की तैयारी में पहला अपनी पार्टी को जीवित करेंगे और दूसरा तीसरे मोर्चा का गठन पर फोकस है। रैली के बाद इस मिशान में कितना फायदा होगा। ये तो फिलहाल भविष्य के गर्भ में है।

जेल से रिहा होने के बाद से चौटाला मुखर
जेबीटी शिक्षक भर्ती मामले में सजा पूरी कर लौटे इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला की यह पहली बड़ी रैली है। इसमें कार्यकर्ता उनके राजनीतिक संदेश को कई साल बाद सुनेंगे। जेल से रिहा होते ही चौटाला तीसरे मोर्चे के गठन की तैयारियों में जुट गए। इसके लिए वह भाजपा का विरोध करने वाले दलों के नेताओं से मिले और उनके साथ तीसरे मोर्चे पर बातचीत करते हुए 25 सितंबर की जींद रैली का निमंत्रण दिया। रैली के जरिए इनेलो न केवल अपने पुराने कार्यकर्ताओं को एकजुट करने, बल्कि राजनीतिक दमखम भी दिखाने की तैयारी में है।

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