पहली बार इसे देखकर धोखा खा सकते हैं: कोरोना से पिता का निधन हुआ, बेटे को उनकी याद सताने लगी तो सिलिकॉन का स्टैचू बनवा लिया

पहली बार इसे देखकर धोखा खा सकते हैं: कोरोना से पिता का निधन हुआ, बेटे को उनकी याद सताने लगी तो सिलिकॉन का स्टैचू बनवा लिया

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सांगली16 मिनट पहले

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पहली बार इसे देखकर धोखा खा सकते हैं: कोरोना से पिता का निधन हुआ, बेटे को उनकी याद सताने लगी तो सिलिकॉन का स्टैचू बनवा लिया

अपने पिता की इस मूर्ति को बनवाने वाले अरुण कोरे का दावा है कि यह महाराष्ट्र का पहला सिलिकॉन स्टैच्यू है।

अपने पिता को सम्मान देने और उन्हें हमेशा अपने पास रखने की मंशा के साथ सांगली जिले में एक बेटे ने अपने इंस्पेक्टर पिता का सिलिकॉन का स्टैच्यू बनवाया है। यह प्रतिमा सोफे पर बैठी हुई मुद्रा में है और इसे देख आप एक बार धोखा खा सकते हैं। मूर्ति पर नजर आने वाला रंग, रूप, बाल, भौहें, चेहरा, आंखें और शरीर का लगभग हर हिस्सा देखने में किसी जीवित व्यक्ति की तरह ही दिखाई देता है।

इसे बनवाने वाले अरुण कोरे का दावा है कि यह महाराष्ट्र का पहला सिलिकॉन स्टैच्यू है। उन्होंने इसे अपने पिता स्वर्गीय रावसाहेब शामराव कोरे की याद में बनवाया है। स्वर्गीय रावसाहेब शामराव कोरे पेशे से राज्य सरकार के आबकारी विभाग के निरीक्षक थे। पिछले साल ड्यूटी के दौरान कोरोना से उनकी मौत हो गई थी। कोली समुदाय के नेता के रूप में प्रसिद्ध रावसाहेब इलाके में दयालु छवि के नेता थे, यही कारण है कि उनकी इस प्रतिमा को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आ रहे हैं।

प्रतिमा के निर्माण के दौरान छोटी-छोटी बारीकियों का बहुत ख्याल रखा गया है।

प्रतिमा के निर्माण के दौरान छोटी-छोटी बारीकियों का बहुत ख्याल रखा गया है।

पांच महीने की कड़ी मेहनत के बाद बनी यह प्रतिमा
2020 में कोरे के आकस्मिक निधन से उनके परिवार को गहरा सदमा पहुंचा था। कोरी की मौत के बाद उनका पूरा परिवार उन्हें बहुत मिस कर रहा था। जिसके बाद अरुण के दिमाग में सिलिकॉन स्टैच्यू बनवाने का विचार आया। इस मूर्ति को बनाने के लिए बेंगलुरु के मूर्तिकार श्रीधर ने पांच महीने तक कड़ी मेहनत की है।

बेंगलुरु के मूर्तिकार श्रीधर ने यह मूर्ति करीब 5 महीे में तैयार की है। अब इसे देखने दूर-दूर से लोग पहुंच रहे हैं।

बेंगलुरु के मूर्तिकार श्रीधर ने यह मूर्ति करीब 5 महीे में तैयार की है। अब इसे देखने दूर-दूर से लोग पहुंच रहे हैं।

30 साल होती है एक सिलिकॉन प्रतिमा की उम्र
एक सिलिकॉन मूर्ति की लाइफ करीब 30 साल होती है। सिलिकॉन मूर्ति को पहनाए गए कपड़े हर दिन बदले जा सकते हैं। यह मूर्ति आम इंसान की तरह दिखती है। अरुण कोरे ने कहते हैं कि इस प्रतिमा को देखकर उन्हें कभी अपने पिता की कमी महसूस नहीं होगी।

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