खेती कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का सवाल: हम तो हाई पावर कमेटी से बात कर लेंगे, पर कोई हमारी क्यों नहीं सुनता; दिल्ली के रास्ते हमने नहीं पुलिस प्रशासन ने कर रखे हैं बंद
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- Farmer Leader Said On Tikri Border; Not Us, The Government Has Closed The Roads, Farmers Have Also Met The SDM To Open Small Roads Leading To Delhi.
बहादुरगढ़5 घंटे पहले
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झज्जर के टिकरी बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स।
पिछले करीब एक साल से राजधानी दिल्ली की दहलीज पर चल रहे किसानों के धरनों से अब एक और आवाज उठना शुरू हो गई है। दिल्ली के रास्ते खुलवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हरियाणा सरकार ने प्रयास शुरू कर दिए हैं और इसके लिए एक हाई पावर कमेटी बनाई गई है, लेकिन किसानों का कहना है कि दिल्ली के रास्ते उन्होंने नहीं, बल्कि खुद सरकार ने-पुलिस प्रशासन ने बंद कर रखे हैं। इसके अलावा किसान नेताओं का कहना है कि रास्ते खुलवाने पर तो सरकार बातचीत का रास्ता अपना रही, पर समझ में नहीं आता खेती सुधार कानूनों को रद्द करने को लेकर कोई हमारी क्यों सुनता।
बहादुरगढ़-दिल्ली के बीच स्थित टीकरी बॉर्डर के धरने में नेतृत्व कर रहे किसान नेताओं बलदेव सिंह प्रधान जिला बठिंडा (भाकियू डकोंदा) और परगट सिंह (भाकियू राजेवाल के महासचिव) ने कहा कि किसानों की तरफ से कोई रास्ता बंद नहीं किया हुआ। रास्ते तो सरकार और पुलिस ने बंद कर रखे हैं। सरकार को उन लोगों से बात करनी चाहिए, जिन्होंने यह रास्ते बंद कर रखे हैं। किसान तो सिर्फ नेशनल हाईवे पर बैठे हुए हैं, लेकिन पुलिस ने दिल्ली आने-जाने वाले तमाम छोटे रास्ते तक बंद कर रखे हैं। इन्हें खुलवाने के लिए किसान कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से भी मिल चुके हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार बंद रास्तों पर तो बात करने के लिए कमेटी बना रही है, लेकिन कृषि कानूनों पर बात करने को तैयार नहीं है। किसानों का कहना है कि सरकार किसानों की जान को बेहद सस्ता समझती है। 26 जनवरी से पहले टीकरी बॉर्डर के रास्ते से एंबुलेंस को किसान बेहतर ढंग से रास्ता देते थे और खुद बैरिकेड्स हटाकर देश की राजधानी दिल्ली की सीमा में प्रवेश करवाते थे, लेकिन पुलिस की किलेबंदी के कारण अब यहां पैदल राहगीर को भी जाने के लिए रास्ता नहीं दिया जा रहा। किसान किसी को परेशान नहीं करता, बल्कि सबका सम्मान और उनकी समस्या का समाधान चाहते हैं। हालांकि दिल्ली की सीमाओं से आंदोलन शिफ्ट करने के सवाल पर किसान नेताओं का कहना है कि वह तीनों कृषि कानून रद्द होने तक आंदोलन जारी रखेंगे और मरते दम तक आंदोलन को दूसरी जगह शिफ्ट नहीं करेंगे।
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