जानिए, कोरोना वैक्सीनेशन में हिमाचल कैसे बना चैंपियन: वैक्सीन लगाने के लिए किसी ने चढ़ी 6 घंटे की पैदल चढ़ाई, कोई झूले में बैठकर पहुंचा गांव-गांव, धार्मिक गुरुओं की मदद ली
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शिमला4 मिनट पहले
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डोडराक्वार में हाथों में वैक्सीनेशन का बैग लेकर चढ़ाई चढ़ती वर्कर।
कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगाने का लक्ष्य पूरा करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअली हिमाचल के 6 लोगों से संवाद किया। शिमला, कुल्लू, ऊना, हमीरपुर, मंडी और लाहौल-स्पीति के लोगों से बातचीत की कि वैक्सीनेशन को लेकर किस तरह की परेशानियां हुईं। लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए किस तरह से प्रोत्साहित किया। तमाम बातों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बातचीत करके विचार सांझा किए। आइए जानते हैं पीएम मोदी से बात करने वाले लोगों के वैक्सीनेशन को लेकर विचार……
हिमाचल के दुर्गम क्षेत्र डोडराक्वार में वैक्सीन लगाने के लिए पहुंचा स्वास्थ्य स्टॉफ
अभी तक लगा चुकी हूं 22 हजार से ज्यादा को टीका
ऊना जिला की एमसीएच कर्मों देवी ने दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए कहा कि वैक्सीनेशन को लेकर लोगों में पहले डर था। लोग वैक्सीनेशन के लिए आगे नहीं आ रहे थे। ऐसे में काफी परेशानी हो रही थी। टारगेट पूरा नहीं हो पा रहा था। लोगों से बातचीत की, उन्हें समझाया और इसकी बदौलत वह 22 हजार 500 लोगों को कोविड से बचाव का टीका लगा चुकी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके कार्य को सराहा और कहा कि उनका जज्बा ही है, जिसकी बदौलत आज हिमाचल पहली डोज के साथ 100 प्रतिशत वैक्सीनेट हो चुका है।
कर्मों देवी ऊना
वैक्सीन लगाने से ठीक हुआ मेरी बाजू का दर्द
हमीरपुर के वार्ड 2 में रहने वाली 84 साल की बुजुर्ग महिला निर्मला देवी ने कहा कि वैक्सीन लगाने के बाद उनकी बाजू में जो दर्द होता था, वह खत्म हो गया। वैक्सीन को लेकर किसी भी तरह का डर व भ्रम लोगों के बीच नहीं होना चाहिए। इससे किसी भी तरह के साइड इफेक्ट नहीं होते। स्वास्थ्य विभाग की तरफदारी करते हुए उन्होंने कहा कि पहला टीका उन्होंने अस्पताल में लगवाया, जबकि दूसरा टीका उन्हें घर आकर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने लगाया। नरेंद्र मोदी से बात करके वह काफी खुश हैं और वह लोगों से भी अपील करती हैं कि टीका लगवाएं, इससे कोई दिक्कत नहीं होती।
निर्मला देवी, हमीरपुर
गोंपाओ की मदद से किए लोग जागरूक
हिमाचल के जनजातीय क्षेत्र लाहौल स्पीति के निवांग उपासक ने कहा कि वैक्सीनेशन को लेकर लाहौल स्पीति के लोगों में काफी भ्रम था। लोग वैक्सीन लगाने के लिए आगे नहीं आ रहे थे। ऐसे में उन्होंने गोंपाओ से मदद ली। पूजा पाठ करने के जरिए सभी लोगों को एकत्रित किया और गोंपाओ के माध्यम से उनको जागरूक किया। गोंपाओ ने लोगों को बताया कि अगर वैक्सीन लगवाते हैं तो महामारी खत्म हो जाएगी। इससे किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं होगी। फिर लोग वैक्सीन लगाने के लिए बाहर निकले। इसके अलावा उन्होंने दलाई लामा का वैक्सीन लगवाने का वीडियो भी ग्रामीणों को दिखाया। फिर लोगों ने वैक्सीनेशन कराया और इस तरह सबसे पहले लाहौल स्पीति वैक्सीनेट हुआ। कई गांव ऐसे भी हैं, जहां पर उन्हें काफी परेशानी हुई। 2- 2 घंटे पैदल चलकर वहां पर पहुंचना पड़ता था।
निवांग उपासक, लाहौल-स्पीति
नहीं आई किसी तरह की परेशानी
मंडी जिला के सिराज के रहने वाले दयाल सिंह ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की। उन्होंने भी यही कहा कि उन्हें वैक्सीनेशन करवाने और लोगों को प्रोत्साहित करने में किसी भी तरह की परेशानी नहीं हुई। लोग खुद वैक्सीन लगाने के लिए आगे आते रहे। कुछ बुजुर्गों में वैक्सीन को लेकर डर जरूर था, लेकिन समझाने के बाद उन्होंने वैक्सीन लगवाई और हिमाचल पहली डोज के साथ वैक्सीनेट हो चुका है।
दयाल सिंह, सिराज, मंडी
कुल्लू के मलाणा की आशा वर्कर निर्मला देवी ने भी वैक्सीनेशन कार्यक्रम में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन को लेकर सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीण क्षेत्रों में आई है। क्योंकि मलाणा के कई गांव ऐसे भी हैं, जहां पर 6 घंटे पैदल चलकर पहुंचना पड़ता है। ऐसे में कंधों पर वैक्सीनेशन का बैग उठाकर वह गांव-गांव तक लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए पहुंचीं। लोगों को जागरूक भी किया और ग्रामीणों ने भी सहयोग किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके कार्यों को सराहा और कहा कि मलाणा जैसे दुर्गम क्षेत्र में जिस तरह से उन्होंने वैक्सीनेशन को लेकर कार्य किया है, वह सराहनीय है।
निर्मला देवी, मलाणा, कुल्लू
लोगों की काउंसलिंग की
शिमला जिला के दुर्गम क्षेत्र डोडराक्वार में तैनात डॉ. राहुल से भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संवाद किया। डॉ. राहुल ने दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए कहा कि लोगों को वैक्सीनेशन के लिए जागरूक करने के लिए लोकल भाषा में उन्हें जानकारी दी। इसके अलावा लोगों की काउंसलिंग भी की गई। गर्भवती महिलाएं टीका लगवाने से डर रही थीं, उन्हें भी जागरूक किया गया। यह इलाका ऐसा है, जहां पर सिग्नल तक नहीं होता। बावजूद इसके उन्होंने यहां पर सभी को पहली डोज लगा दी है। उनकी टीम कंधों पर बैग उठाकर गांव-गांव तक पहुंची। यहां पर सबसे लास्ट में 5 अप्रैल को वैक्सीनेशन कार्यक्रम शुरू हुआ और तकरीबन सभी लोगों को यहां पर वैक्सीन लगाई जा चुकी है।
डॉ. राहुल, डोडरा क्वार, शिमला
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