अफगानिस्तान के हालात से पाकिस्तान फायदे में: तालिबान की जीत से लश्कर और जैश के हौसले बढ़े, कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में इजाफे की कोशिश
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नई दिल्ली9 घंटे पहले
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अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर दुनिया की नजरें टिकी हैं। ऐसे में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने की कोशिशों में लगे हैं।
पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने की फिराक में हैं। दुनिया का ध्यान अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर है। इसी का फायदा ये आतंकी संगठन उठाना चाहते हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, बॉर्डर के पास आतंकी लॉन्च पैड फिर से एक्टिव हो गए हैं। बॉर्डर पार से घुसपैठ में इजाफा हो रहा है। खुफिया एजेंसियों की चेतावनी है कि अफगानिस्तान के संकट का पाकिस्तान अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकता है।
LoC के पास देखे गए 21 आतंकी
इस साल फरवरी में भारत-पाकिस्तान ने युद्धविराम लागू किया था। इसके बाद कुछ महीने तक सीमापार से कोई घुसपैठ नहीं देखी गई। खुफिया एजेंसियों के इनपुट के मुताबिक, कुछ दिन पहले ही LoC के पास लॉन्च पैड पर 21 आतंकी देखे गए थे।
वहीं, स्थानीय युवाओं को आतंकी गुटों में शामिल किया जाना चिंता की बात है। जम्मू-कश्मीर के करीब 87 नौजवान इस साल आतंकी संगठनों से जुड़े। हालांकि, यह पिछले साल से कम है। तब 137 युवा आतंकी संगठनों में शामिल हुए थे।
अफगानिस्तान पर तालिबान की जीत ने बदला माहौल
खुफिया विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अफगानिस्तान के घटनाक्रम ने कश्मीर की घाटी में काफी हलचल पैदा कर दी है। एक तबका इसे इस्लामिक ताकतों की जीत की तरह देख रहा है। आतंकी संगठनों के लिए भी तालिबान की जीत मनोबल बढ़ाने वाली है।
इस साल सुरक्षाबलों ने ढेर किए 103 आतंकी
सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि जम्मू-कश्मीर को अभी कोई खतरा नहीं है, लेकिन जैश और लश्कर-ए-तैयबा अपने पुराने तरीकों पर लौट आए हैं। हालांकि, पिछले डेढ़ महीने में पाकिस्तान की तरफ से होने वाली ड्रोन गतिविधियों में गिरावट हुई है, लेकिन घुसपैठ की घटनाएं बढ़ी हैं।
इस साल 28 अगस्त तक भारतीय सुरक्षाबलों ने 102 आतंकियों को मार गिराया है। यह संख्या पिछले साल से काफी कम है। आतंकी मुठभेड़ में इस साल केंद्रीय पुलिस बल के 3-4 जवान और सेना के 4 जवान भी शहीद हुए। पिछले साल अगस्त के अंत तक 15-16 केंद्रीय पुलिस के जवान और सेना के 17-18 जवान शहीद हुए थे।
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