आज का इतिहास: 26 साल पहले देश में पहली बार किसी मुख्यमंत्री की हत्या हुई, मानव बम हमले में मारे गए थे पंजाब के CM बेअंत सिंह

आज का इतिहास: 26 साल पहले देश में पहली बार किसी मुख्यमंत्री की हत्या हुई, मानव बम हमले में मारे गए थे पंजाब के CM बेअंत सिंह

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3 मिनट पहले

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आज का इतिहास: 26 साल पहले देश में पहली बार किसी मुख्यमंत्री की हत्या हुई, मानव बम हमले में मारे गए थे पंजाब के CM बेअंत सिंह

आजादी के बाद से ही पंजाब अशांत इलाका था। अलगाववाद की वजह से आए दिन यहां हिंसक घटनाएं होती रहती थीं। इसी वजह से सरकार पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगा देती थी। जून 1987 में भी सरकार ने पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगाया था। 4 साल बाद स्थिति थोड़ी सुधरी तो राष्ट्रपति शासन हटाया गया।

1992 में पंजाब में चुनाव हुए और कांग्रेस को जीत मिली। मुख्यमंत्री बने बेअंत सिंह। नए मुख्यमंत्री के सामने सबसे बड़ी चुनौती अलगाववादियों से निपटने की थी। माना जाता है कि बेअंत सिंह ने इस मामले में सफलता भी पाई थी।

31 अगस्त 1995 के दिन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह सचिवालय के बाहर अपनी कार में बैठे थे। तभी वहां एक खालिस्तानी चरमपंथी मानव बम बनकर पहुंचा और खुद को उड़ा लिया। धमाका इतना जोरदार हुआ कि लोगों को दूर तक इसकी आवाज सुनाई दी। चारो तरफ धूल और धुएं का गुबार छा गया। आसपास खून और मांस के चीथड़े फैले पड़े थे। मुख्यमंत्री की हत्या हो चुकी थी। उनके साथ 16 और लोग भी मारे गए।

धमाका इतना जबरदस्त था कि कार के चीथड़े उड़ गए।

धमाका इतना जबरदस्त था कि कार के चीथड़े उड़ गए।

31 जुलाई 2007 को कोर्ट ने इस चर्चित मामले में फैसला सुनाया। मास्टरमाइंड जगतारा सिंह और बलवंत सिंह राजोआना को सजा-ए-मौत दी गई जबकि तीन दोषियों गुरमीत, लखविंदर और शमशेर को उम्रकैद मिली। एक दोषी नसीब सिंह को 10 साल की जेल मिली। फैसले के खिलाफ पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में अपील की गई, जहां जगतारा की सजा उम्र कैद में बदल गई, लेकिन बलवंत की सजा बरकरार रखी गई।

2019 में गुरुपर्व के मौके पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बलवंत की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने का फैसला लिया था।

1956: राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित हुआ था

साल 1947। भारत आजाद हुआ। आजादी के बाद भारत के सामने कई चुनौतियां सीना तान खड़ी थीं, जिनमें से एक बड़ी चुनौती भारत को एकजुट रखने की थी। सरदार पटेल के नेतृत्व में ज्यादातर रियासतों को भारत में मिला लिया गया था, लेकिन आजाद भारत में भी अब बंटवारे की एक अलग मांग उठने लगी थी। ये मांग थी भाषा के आधार पर राज्यों का बंटवारा।

इस मसले को देखने के लिए एक कमेटी बनी। जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और पट्टाभि सीतारमैया इस कमेटी के सदस्य थे। इन तीनों के नाम के शुरुआती अक्षरों के नाम पर इसे जेवीपी कमेटी कहा गया। कमेटी ने भाषा के आधार पर राज्यों के गठन के कांग्रेस के पुराने वादे को खारिज कर दिया और कहा- ‘भाषा महज एक जोड़ने वाली ताकत नहीं बल्कि एक-दूसरे से अलग करने वाली ताकत भी है।’

इसी मुद्दे पर संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश एस.के. धर की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय आयोग का गठन किया था।

आयोग का काम इस बात की जांच-पड़ताल करना था कि भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन उचित है या नहीं। दिसंबर 1948 में आयोग ने अपनी रिपोर्ट में प्रशासनिक आधार पर राज्यों के पुनर्गठन का समर्थन किया था। 22 दिसंबर 1953 को फजल अली की अध्यक्षता में एक दूसरा आयोग बना। आयोग ने 30 सितंबर 1955 को केंद्र को अपनी रिपोर्ट सौंपी।

31 अगस्त 1956 को फजल अली की अध्यक्षता में गठित आयोग के सुझावों को मानते हुए राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित हुआ था।

संसद ने इस आयोग की सिफारिशों को कुछ परिवर्तनों के साथ स्वीकार कर 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित किया।

1997: प्रिंसेस डायना की रहस्यमयी मौत

31 अगस्त 1997 को ब्रिटेन की राजकुमारी प्रिंसेस डायना की एक कार दुर्घटना में मौत हो गई थी। डायना के साथ फिल्म प्रोड्यूसर और प्लेबॉय डोडी अल फायद भी मारे गए थे। कहा जाता है कि दोनों एक-दूसरे को डेट कर रहे थे। दोनों को साथ देख पत्रकारों ने उनकी फोटो खींचनी चाही। पत्रकारों से बचने के लिए कार के ड्राइवर ने अचानक स्पीड बढ़ा दी, लिहाजा वह अनियंत्रित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई।

डायना की मौत के बाद उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए रखे फूल।

डायना की मौत के बाद उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए रखे फूल।

1981 में डायना की शादी शाही परिवार के प्रिंस चार्ल्स से हुई थी, लेकिन शादी के बाद से ही दोनों के बीच सबकुछ ठीक नहीं था। प्रिंस चार्ल्स अपनी भूतपूर्व प्रेमिका कैमिला के साथ आ गए थे। साथ ही डायना शाही परिवार की जिम्मेदारियों की वजह से घुटन महसूस कर रही थी। आखिरकार 28 अगस्त 1996 को दोनों का आधिकारिक तौर पर तलाक हो गया।

हालांकि, डायना की मौत के पीछे अलग-अलग थ्योरी दी जाती है, लेकिन सच्चाई आज तक कोई नहीं जानता।

इतिहास के पन्नों में आज के दिन को इन घटनाओं की वजह से भी याद किया जाता है…

1998: उत्तरी कोरिया ने जापान पर बैलिस्टिक मिसाइल दागी।

1991: उज्बेकिस्तान और किर्गिस्तान ने सोवियत संघ से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की।

1968: भारत में टू-स्टेज राउंडिंग रॉकेट रोहिणी-एमएसवी 1 का सफल प्रक्षेपण किया गया।

1957: मलेशिया ने ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त कर ली।

1920: अमेरिकी शहर डेट्रॉयट में रेडियो पर पहली बार समाचार प्रसारित किया गया।

1919: अमेरिकन कम्युनिस्ट पार्टी का गठन हुआ।

खबरें और भी हैं…

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