मानवाधिकार आयोग पहुंचा करनाल में किसानों पर लाठीचार्ज का मामला: डीजीपी, राज्य सचिव, डीसी, एसपी और एसडीएम के खिलाफ शिकायत, मुआवजा व हत्या का केस दर्ज करने की मांग
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हिसार8 मिनट पहले
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पुलिस के लाठीचार्ज में घायल किसान।
करनाल के बसताड़ा किसानों पर पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज का मामला मानवाधिकार आयोग तक पहुंच गया है। पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता रविंद्र सिंह ढूल द्वारा इस मामले को लेकर आयोग को शिकायत भेजी गई है। शिकायत में राज्य सचिव, डीजीपी, करनाल डीसी, करनाल एसपी व करनाल के एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ शिकायत दी गई है। शिकायत में लाठीचार्ज के कारण जान गंवाने वाले किसानों के लिए 50 लाख के मुआवजे, घायलों के लिए 25 लाख व एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ हत्या व हत्या प्रयास का केस दर्ज करने की मांग की गई है। शिकायतकर्ता रविंद्र सिंह ढुल ने बताया कि करनाल प्रकरण में मानवाधिकारों का पूरी तरह से उलंघन किया गया है। सीआरपीसी 130 के नियमानुसार किसी भी दंगे को रोकने या भीड़ को तीतर-भीतर करने के लिए पुलिस या फोर्स हल्का बल प्रयोग कर सकती हैं। स्थिति नियंत्रित करने के लिए भीड़ के पैरों पर लाठी मारी जा सकती है, गोलीबारी भी सिर्फ पैरों की तरफ हो सकती है ताकि भीड़ को डराकर भगाया जा सके। लेकिन करनाल में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों के सिर पर पुलिस द्वारा लाठियां मारी गई हैं। इसके अलावा वहां पर तैनात एक ड्यूटी मजिस्ट्रेट भी फोर्स को लट्ठ मारकर किसानों के सिर फोड़ देने का आदेश दे रहा है जो पूरी तरह से नियमों का उलंघन है।
रविंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के कारण एक किसान की मौत हुई है और कई किसानों के सिर में गंभीर चोटें आई हैं। इसके अलावा पुलिस कार्रवाई में घायल हुए किसानों को तुरंत अस्पताल तक पहुंचाने के लिए वहां पर एंबुलेंस आदि का प्रबंध भी नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि करनाल में पुलिस द्वारा की गई बर्बर कार्रवाई एनडीएमए की गाइडलाइन 2014 के अनुसार व यूनाइटेड नेशन के नियमावली के अनुसार पूरी तरह से गलत है। इस कार्रवाई में जिस तरह से मानवाधिकारों का हनन किया गया है और उस वजह से किसानों को गंभीर चोटें आई हैं और एक किसान की जान चली गई है। उसके लिए पूरी तरह से प्रशासनिक व्यवस्था जिम्मेदार है। इसलिए इनके खिलाफ कार्रवाई की जाए व पीड़ितों को उचित मुआवजा दिया जाए।
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